डीजीटीआर ने हाल ही में वित्त मंत्रालय को चीन और थाईलैंड से आयातित एफडीवाई यार्न पर अगले 5 वर्षों के लिए एन्टि डंपिंग ड्यूटी लगाने की सिफारिश की है। हाल में ही एक सर्कुलर जारी किया गया है, जिसमें 31 दिसंबर तक एंटी-डंपिंग ड्यूटी की अवधि बढ़ाने की जानकारी दी गई है।
कुछ महीनों पहले ही सूरत के विवर्सो ने नायलॉन यार्न पर एन्टि डम्पिंग ड्यूटी नहीं लगाने के लिए मुहिम शुरू की थी। हालाकि नायलॉन यार्न पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाने के खिलाफ लड़ाई आवाज़ उठाने वाले विवर्स ने एफडीवाई यार्न के मुद्दे पर अपनी बात अभी तक नहीं रखी है।
थाईलैंड और चीन से आयातित यार्न पर घरेलू स्पिनरों की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार ने 2015 में FDY यार्न पर डंपिंग रोधी शुल्क लगाया था। यह 19 अक्टूबर, 2020 को समाप्त होने वाला था। इसके पूर्ण होने की तिथि को एक महीना बढ़ाकर 31 दिसंबर 2020 तक बढ़ा दिया है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा 26 नवंबर को एक परिपत्र जारी कर यह बताया गया है।
वीवर अग्रणी मयूर गोलवाला ने इस बारे में कहा कि यदि आयातित पॉलिएस्टर यार्न पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगी तो स्पीनर स्थानीय बाजार में यार्न के दाम मनमर्ज़ी से बढ़ा सकते है। सरकार को पॉलिएस्टर यार्न इस्तेमाल करने वाले विवर्स को सुनने के बाद यह निर्णय लेना चाहिए था।
एफडीवाई यार्न पर 40 रुपये प्रति किलो का घरेलू शुल्क होने से सूरत के विवर्स यार्न के आयात से बच रहे थे, लेकिन घरेलू यार्न निर्माताओं ने पिछले पांच महीनों में एफडीवाई यार्न की कीमत 40 रुपये तक बढ़ा दी है। यह निर्णय सूरत के कपड़ा उद्योग को सीधे प्रभावित कर रहा है।
फोगवा के अध्यक्ष अशोक जीरावाला के अनुसार, कोरोना के कारण कपड़ा उद्योग की स्थिति पहले से ही खराब है। कुछ स्पिनरों को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने यह फ़ैसला किया है।