केमिकल गैंस दुर्घटनाः दो दिन पहले ही सुनील वर्मा को नौकरी पर रखा गया था!


शहर के केमिकल कंपनी में आग लगने की घटना में सात लोगों की मौत हो गई। गुरूवार के मृतकों के परिवारजनों का बुरा हाल है।

22 वर्षीय सुनील वर्मा उत्तर प्रदेश में अपने परिवार के साथ दिवाली की छुट्टियां बिताने के बाद दो दिन पहले सूरत लौटे थे। सूरत आने के बाद वह हमेशा की तरह ईथर कंपनी में कार्यरत हो गये। हालाँकि, उन्हें इस बात का एहसास नहीं है कि इस दिवाली की छुट्टियों में अपने परिवार के साथ बिताया गया हर पल उनका आखिरी पल होगा। कंपनी में हुए ब्लास्ट में मारे गए सुनील वर्मा का शव आज मिल गया है. सुनील वर्मा के परिवार के सदस्य अभी भी उत्तर प्रदेश में हैं, उनके दोस्तों ने कहा। अब उनके परिवार वालों को इस घटना की जानकारी दे दी गई है और यह खबर मिलते ही परिवार वालों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा और उन्होंने अपने जवान बेटे को खो दिया।

मध्य प्रदेश के मूल निवासी और पिछले डेढ़ साल से सूरत में बसे संतोष विश्वकर्मा की ईथर केमिकल इंडस्ट्रीज में एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई। संतोष विश्वकर्मा के परिजन पिछले 24 घंटे से उनकी तलाश कर रहे थे और आखिरकार आज सुबह कंपनी में ही उनका शव मिला. जब परिवार में एक बेटे और एक बेटी के सिर से पिता का साया उठ गया तो मृतक संतोष विश्वकर्मा को उसके भतीजे अनिल विश्वकर्मा ने इस कंपनी में नौकरी पर रखा था। पता चला है कि मृतक संतोष विश्वकर्मा केमिकल मिक्सिंग मशीन में पाउडर डालने का काम करता था.


स्थानीय लोग बता रहे हैं कि पांडेसरा में कलरटेक्स कंपनी में काम करने वाले 40 वर्षीय सनथकुमार मिश्रा ने अपना समय ईथर कंपनी में बिताया है। मूल रूप से मध्य प्रदेश के रहने वाले और पिछले पांच साल से सूरत में बसे सनतकुमार मिश्रा दिवाली की छुट्टियों में घर गए थे और वहीं से उन्होंने एक अन्य दोस्त की मदद से ईथर कंपनी में नौकरी के लिए फोन किया। एथर कंपनी में उसकी नौकरी पक्की होने के बाद तीन दिन पहले ही दिवाली में घर से लौटने के बाद उसने एथर कंपनी ज्वाइन की थी। सूरत में अपनी पत्नी और दो बेटियों के साथ रहने वाले सनत कुमार मिश्रा का शव भी आज कंपनी से ही बरामद हुआ. हालांकि, जब पुलिस ने मृतक की पहचान के लिए पत्नी को बुलाया तो पत्नी भी बेहोश हो गई.

सूरतः अभिषेक टैक्सटाइल मार्केट को फायर विभाग ने सील किया!

शहर के बाहरी इलाके सचिन जीआईडीसी में ईथर केमिकल इंडस्ट्रीज में आग लगने की घटना में सात श्रमिकों की मौत हो गई है, जबकि 24 कर्मचारी अभी भी जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस घटना के बाद सूरत नगर निगम के अग्निशमन विभाग ने एक बार फिर अग्नि सुरक्षा के मामले में लापरवाही बरतने वालों पर पैनी नजर रखी है. इसी के तहत आज सुबह शहर के रिंग रोड इलाके में कपड़ा मार्केट में फायर सेफ्टी की कमी के चलते सीलिंग की कार्रवाई की गई।


सूरत नगर निगम के अग्निशमन विभाग के सूत्रों ने बताया कि रिंग रोड इलाके में स्थित अभिषेक टेक्सटाइल मार्केट में अग्नि सुरक्षा को लेकर प्रशासन की ओर से पिछले पांच साल से नोटिस भेजे जा रहे थे. हालांकि अब तक तीन से अधिक नोटिस भेजे जा चुके हैं, लेकिन बाजार प्रबंधन ने अग्नि सुरक्षा सहित भवन निर्माण सुविधाओं के मुद्दे पर आंखें मूंद लीं। जिसके चलते आज अभिषेक बाजार को सील करने का फैसला लिया गया है. उधर, अभिषेक मार्केट में प्रशासन द्वारा की जा रही सीलिंग की कार्रवाई से 150 से अधिक दुकानदार भी आक्रोशित हो गये हैं.


इस संबंध में सूरत महानगर पालिका के मुख्य अग्निशमन अधिकारी बसंत पारिख ने कहा कि शहर में अग्नि सुरक्षा के मामले में लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि तक्षशिला के बाद सूरत में अग्नि सुरक्षा पर गहनता से काम किया गया। हालाँकि, कुछ बाज़ार और संगठन अग्नि सुरक्षा के मुद्दे पर आंखें मूंद रहे हैं। उनके खिलाफ एक बार फिर सर्वे कराया जाएगा और सघन कार्रवाई के अंत में जरूरत पड़ने पर सीलिंग की कार्रवाई भी की जाएगी।

चार दिवसीय आपदा प्रबंधन विश्व सम्मेलन के दूसरे दिन वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने डिजास्टर मैनेजमेंट के विभिन्न पहलू पर मंथन किया।

देहरादून, 29 नवंबर, 2023 – आपदा प्रबंधन पर विश्व स्तर  के सबसे बड़े सम्मेलनों में से एक ६वाँ विश्व आपदा प्रबंधन  सम्मेलन के दूसरे दिन के पहले सत्र में  इको- डिजास्टर एवं रिस्क रिडक्शन के ऊपर बात की गई, वही दूसरे सेशन में। ” राष्ट्रीय एवं वैश्विक जन स्वास्थ्य एमरजैंसी एंड डिजास्टर रिस्पांस  के ऊपर रखा गया था, जिसमें लोगों ने आपदा के समय में स्वास्थ्य सेवा के इमरजेंसी सुविधाओं को किस तरह से बहाल किया जाए पर चर्चा की। आज के  इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में  टेक्निकल सेशन भी रखे गए थे, जिसके अंतर्गत स्पेस बेस्ड इनफॉरमेशन फॉर डिजास्टर मैनेजमेंट,  बिल्डिंग रेसिलियंस  ऑफ  कम्युनिटीज थ्रू इकोसिस्टम बेस्ड अप्रोच,  मरीन डिजास्टर मैनेजमेंट इनलैंड वॉटर रिसोर्सेस इंपैक्ट ओन एनवायरमेंट – बिल्डिंग  इकोनामी फॉक्स जैसे मुद्दों पर मंथन किया गया।

प्रथम सत्र के  अध्यक्षता डॉक्टर माधव बी कार्की (  पूर्व एडवाइजर, प्रधानमंत्री नेपाल , एवं सदस्य ईपीपीसीसीएमएन नेपाल ) ने की।  उन्होंने अपने संबोधन में  बढ़ते हुए तापमान पर चिंता जताई और   इको- डिजास्टर एंड रिस्क रिडक्शन के माध्यम से भविष्य में होने वाले आपदाओं  को और करीब से  समझ कर उसका समाधान किया जा सकता है ।  वही पैनल डिस्कशन के  सह अध्यक्ष, डॉक्टर, एन रविशंकर (फॉर्मर चीफ सेक्रेट्री उत्तराखंड और कुलपति डीआईटी यूनिवर्सिटी देहरादून  ने अपने संबोधन में मनुष्य और मशीन का समन्वय बनाने और एक दूसरे के आवश्यकताओं और नव निर्माण के बारे में प्रकाश डाला। उन्होंने कहा आपदा के समय पर मनुष्य का मुख्य सहयोगी मशीन ही होता है।

वही पहले सेशन के मुख्य  स्पीकर श्री  रवि सिंह (सेक्रेटरी जनरल एंड सीईओ डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया  ने अपने संबोधन में  कहा कि डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान में माउंटेन रीजन और कोस्टल रीजन  के डिजास्टर के जो स्थिति होती है वह अलग-अलग होती है।  उन्होंने बताया कि किस तरह से आपदा के समय संपूर्ण इकोसिस्टम में बदलाव आता है  और हम  देख  सकते हैं कि मानव जीवन के साथ-साथ जीव जंतु, कीट पतंगे, जलीय जीव सब  इकोसिस्टम में बदलाव की वजह से डिस्टर्ब होते हैं।  उन्होंने कहा हम चाहते हैं कि दुनिया में जितने भी संस्था एनवायरनमेंट के ऊपर काम कर रही है वह सब एक साथ मिलकर सामूहिक प्रयास करें और सस्टेनेबल डेवलपमेंट के बारे में बात करें और उसके लिए कोई निश्चित निष्कर्ष निकाले।  उन्होंने नॉलेज और कैपेसिटी बिल्डिंग पर बात करते हुए कहा की डिजास्टर और एनवायरमेंटल इश्यू के बारे में लोगों के पास पर्याप्त जानकारी होनी चाहिए ताकि आपदा के समय  किस तरह का एक्शन लेना है उसे सोच सके और उसे पर एक्शन ले  ले सके।

कार्यक्रम के अन्य पैनलिस्ट डॉ मैथ्यू वेस्टोबी (  एसोसिएट प्रोफेसर फिजिकल ज्योग्राफी,  स्कूल ऑफ़ जियोग्राफी, अर्थ एंड एनवायरमेंटल साइंस , फैकल्टी ऑफ़ साइंस एंड इंजीनियरिंग,  यूनिवर्सिटी का प्लाइमाउथ, यूके  ने अपने संबोधन में  कहां  की हाई एल्टीट्यूड और माउंटेन रीजन में हमारा जीवन और प्रकृति  दोनों एक साथ रहता है,  हमें इनके बीच बैलेंस बनाकर पूरे इकोसिस्टम को सस्टेनेबल रखना चाहिए।  उन्होंने केदारनाथ त्रासदी, अलकनंदा नदी में आई बाढ़ की वजह से बदलाव  की बात कही, उन्होंने कहा हिमालयन रीजन  से निकलने वाली नदियों में अब काफी बदलाव आ चुका है और जब-जब आपदा या फ्लैश फ्लड आती है तो इन नदियों  में कुछ न कुछ बदलाव आ जाता है जो भविष्य के लिए बहुत खतरनाक हो सकता है।  उन्होंने हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के बारे में भी बात करी और कहां की हाइड्रो पावर  प्रोजेक्ट से कई बार इकोसिस्टम बनता भी है और  बिगड़ता भी है।

अन्य पैनलिस्टों में शामिल डॉक्टर प्रिया नारायण ( सीनियर मैनेजर, अर्बन डेवलपमेंट, डब्ल्यू आर आई, इंडिया)  ने अपने संबोधन में इंपैक्ट आफ क्लाइमेट चेंज इन इंडिया के ऊपर बात कही और कहा कि  पर्यावरण में बदलाव किसी खास राज्य की बात नहीं है यह सब अब पूरे भारत के जलवायु परिवर्तन में दिख रहा है।  उन्होंने “कावाकी पहल”  के ऊपर बात कही जो केरल में चलाया जा रहा है जहां पर पर्यावरण को संतुलन रखने के लिए कई ऐसे अभियान चलाए गए हैं जिसमें पहाड़, मैदान और तटीय क्षेत्रों  के बीच सामंजस्य बनाए रखने की  कोशिश की जा रही है।

पैनलिस्ट डॉ. हामान उनुसा (  यूनिट हेड फॉर स्टडीज एंड प्रोस्पेक्शन,  जी ई एफ ऑपरेशनल फोकल प्वाइंट, कैमरन)  ने अपने संबोधन में कहा कि क्लाइमेट चेंज और डिजास्टर  का असर कृषि भूमि पर सबसे अधिक हो रहा है और अब यह कृषि भूमि का मुद्दा  दुनिया के लिए चिंता का विषय बन चुका है।  उन्होंने अपने सुझाव में नदियों के किनारे बांस लगाकर मिट्टी  के कटाव को रोकने की बात कही और उन्होंने कहा कि बांस के माध्यम से हम नदियों के किनारे उसके  फ्लो  को नियंत्रित कर सकते हैं और वहीं पर मिट्टी  को  भी हम नदियों में बहने से रोक सकते हैं।  उन्होंने आगे कहा कि बांस एक समूह में उगता है और छोटे-छोटे बांध के रूप में नदियों के किनारो पर  उग जाता है। बांस  को लगाने से लोगों के आर्थिक में भी मदद मिलेगी क्योंकि बांस के बहुत सारे ऐसे उत्पाद बनाए जाते हैं जिससे लोग अपने  लिए इस्तेमाल करते हैं।

वहीं  पैनलिस्ट श्री कृतिमान अवस्थी (  सीनियर एडवाइजर और टीम लीडर वेटलैंड मैनेजमेंट  बायोडायवर्सिटी एंड क्लाइमेट प्रोटेक्शन,  इंडो-जर्मन बायोडायवर्सिटी प्रोग्राम, GIZ इंडिया  ने अपने संबोधन में  इंडो जर्मन बायोडायवर्सिटी प्रोग्राम के बारे में बात की और कहा कीपंचायत स्तर पर भी लोगों को कैपेसिटी बिल्डिंग और ट्रेनिंग की जरूरत है, जो आपदा के खतरे को कम कर सकता है जब भी आपदा आएगी तो।  लोगों की कैपेसिटी बिल्डिंग और ट्रेनिंग आपके इकोसिस्टम को बनाए रखने में सहयोग करेगा और जब भी आपदा आएगी तब लोग  खुद को संभाल पाएंगे  की बात कही।  डॉ हरीश बहुगुणा,  डिप्टी डायरेक्टर जनरल,  जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया  ने लैंडस्लाइड और उसके होने वाले खतरों के बारे में बात कही, उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदा आती है तो यह सिर्फ एक तरफ नहीं होती है यह पूरे इकोसिस्टम पर असर डालता है और इससे बहुत सारी अदृश्य नुकसान हो जाती है जो हमें दिखाई नहीं  देता है वह सिर्फ इकोसिस्टम के बदलाव के बाद ही पता चलता है।  वही डॉक्टर शालिनी ध्यानी ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से अपनी बात रखी और उन्होंने कहा कि हम देख सकते हैं की पहाड़ी क्षेत्रों में क्लाइमेट चेंज का असर बहुत तेजी से हो रहा है, यह इकोसिस्टम और बायोडायवर्सिटी के  स्टडी करने के बाद ही पता चलता है कि इससे कितना नुकसान हो रहा है!  हम देख सकते हैं कि पहाड़ों में कई तरह के जीव जंतु विलुप्त होने के कगार  पर  है  इसका  एकमात्र  कारण पर्यावरण में बदलाव ही है।

कार्यक्रम  दूसरा सेशन ”  राष्ट्रीय एवं वैश्विक जन स्वास्थ्य एमरजैंसी एंड डिजास्टर रिस्पांस  के ऊपर रखा गया था, जिसमें लोगों ने आपदा के समय में स्वास्थ्य सेवा के इमरजेंसी सुविधाओं को किस तरह से बहाल किया जाए पर चर्चा की।  इस पैनल डिस्कशन में मुख्य रूप से जो पैनलिस्ट मौजूद रहे उनमें  विनोद चंद्र मेनन, फाउंडर मेंबर, नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी , गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एवं रीजनल डायरेक्टर एशिया टाइम्स, ओस्लो, नोर्वे,  प्रोफेसर. हेमचंद वाइस चांसलर, एच एन बी  उत्तराखंड मेडिकल एजुकेशन यूनिवर्सिटी, देहरादून,  मेजर जनरल प्रोफेसर अतुल कोटवाल, एसएम, वीएसएम , डॉ क्रिस ब्राउन,  डायरेक्टर, डिवीज़न ऑफ़ इमरजेंसी ऑपरेशन, ऑफिस  ऑफ  रेडीनेस एंड रिस्पांस यूएस, सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन,यूएसए,  डॉक्टर सौरभ गोयल,  ज्वाइन डायरेक्टर आईडीएसपी, एनसीडीसी, एमओएचएफडब्ल्यू  आदि मौजूद रहे।

वही इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में  टेक्निकल सेशन भी रखे गए हैं जिसके अंतर्गत स्पेस बेस्ड इनफॉरमेशन फॉर डिजास्टर मैनेजमेंट,  बिल्डिंग रेसिलियंस  ऑफ  कम्युनिटीज थ्रू इकोसिस्टम बेस्ड अप्रोच,  मरीन डिजास्टर मैनेजमेंट इनलैंड वॉटर रिसोर्सेस इंपैक्ट ओन एनवायरमेंट – बिल्डिंग  इकोनामी फॉक्स  जैसे मुद्दों पर मंथन किया गया।

इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में मीडिया से बात करते हुए   प्रोफेसर पीके जोशी (स्कूल का एनवायरमेंटल साइंस, स्पेशल सेंटर फॉर डिजास्टर रिसर्च, जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी,  न्यू दिल्ली  बताते हैं कि इस तरह के अंतरराष्ट्रीय आयोजन से सबसे पहले मुद्दे को गंभीरता से समझते हैं और वैश्विक स्तर पर कौन-कौन से इश्यूज इस संदर्भ में चल रहे हैं उसकी जानकारी प्राप्त करते हैं!  यहां पर जो डिस्कशन हो रहा है वह अंतरराष्ट्रीय स्तर का हो रहा है और यह सिर्फ भारत की समस्या नहीं है यह पूरा ग्लोबल इशू है जो हम यहां पर  चर्चा कर रहे हैं।

सूरतः सचिन के केमिकल मील में आग, सात लापता कर्मचारियों की अस्थियाँ मिली

सूरत के सचिन जीआईडीसी इलाके में स्थित ईथर इंडस्ट्री केमिकल कंपनी में मंगलवार देर रात भयानक धमाके के साथ भीषण आग लग गई. इस घटना में देर रात कंपनी में काम कर रहे मजदूरों की चीख-पुकार से पूरा इलाका गूंज उठा. इस घटना में लापता 7 मजदूरों का कंकाल आज मिल गया हैं. सभी को पीएम के लिए भेजा गया। इसके लिए उन्हें सिविल अस्पताल भेजा गया है। इस हादसे में 27 मजदूर झुलस गए हैं. जिनमें से आठ से ज्यादा मजदूर गंभीर रूप से झुलसे होने के कारण अस्पताल के अंदर इलाज करा रहे हैं. 70 से 100 फीसदी जलकर मजदूर जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं.

इस संबंध में सूरत पुलिस डीसीपी ने कहा कि कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी गायब थे. जिसमें आज कंपनी से सात मानव खोपड़ियां मिली हैं. ये कंकाल थे पी.एम. अर्थे को सिविल अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया है।


सूरत के सचिन जीआईडीसी स्थित केमिकल प्रोसेसिंग प्लांट ईथर इंडस्ट्री में देर रात मालवारी में भीषण आग लग गई। इस हादसे में कंपनी में काम करने वाले 27 कर्मचारी आग की चपेट में आ गए। तभी देर रात सचिन जीआईडीसी का इलाका मजदूरों की चीख-पुकार से गूंज उठा. घायल मजदूरों को इलाज के लिए शहर के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। संजीवनी को इलाज के लिए शहर के सूरत सुपर स्पेशलिस्ट, एप्पल अस्पताल और मैत्री अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया है।

सूरतः केमिकल बनाने वाली कंपनी में भयानक आग, २० से अधिक झुलसे!


सूरत के सचिन इलाके में केमिकल बनाने वाली ईथर इंडस्ट्रीज के स्टोरेज टैंक में विस्फोट से भीषण आग लगने के करण स्टाफ में भगदड़ मच गई। घटना की खबर मिलते ही दमकल की तीन से ज्यादा गाड़ियां पहुंच गईं।दमकलकर्मी आग बुझाने की कोशिश कर रहे हैं।इस आग में 20 से अधिक कर्मचारी झुलस गए. उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

प्राप्त विवरण के अनुसार एथर इंडस्ट्रीज लिमिटेड में बीती रात 2 बजे किसी कारण से आग लग गई। इससे कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों व कर्मचारियों में हड़कंप मच गया। घटना की जानकारी होने पर दमकल कर्मी फायर फाइटर्स के साथ पहुंचे। रात से ही दमकलकर्मी आग पर पानी फेंक रहे हैं.


वहाँ उपस्थित लोगों का कहना है कि ”हमने कई मजदूरों को रात में वहां काम करते देखा.” हमारा नियमित काम चल रहा था. इसी बीच अचानक धमाका हुआ और हम भागने लगे. धमाके की वजह से कई लोग झुलस गए. मैं भागकर बाहर आया तो एप्पल कुछ घायलों को लेकर अस्पताल पहुंच चुका था. यहां तीन श्रमिकों को लाया गया है। साथ ही कुछ अन्य कर्मचारियों को सचिन के निजी अस्पताल के साथ-साथ अन्य अस्पतालों में स्थानांतरित कर दिया गया है।


ईथर में ज्वलनशील रसायन तैयार किये जाते हैं। कंपनी के स्टोरेज टैंक में ब्लास्ट हो गया. इससे अफरा-तफरी मच गयी. फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर फैक्ट्री से बाहर भागने लगे थे. सूचना पर दमकल विभाग मौके पर पहुंचा।


चीफ फायर ऑफिसर बसंत पारिख ने बताया कि कॉल मिली थी कि ईथर इंडस्ट्री में आग लग गई है. इस फैक्ट्री में केमिकल का निर्माण किया जाता है. जैसा कि अब पता चला है कि आग स्टोरेज टैंक में लीकेज की वजह से लगी थी. कम से कम 24 कर्मचारी झुलस गए हैं और उन्हें इलाज के लिए एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। आग पर काबू पा लिया गया है और अब कूलिंग ऑपरेशन चल रहा है।

देहरादून में आज से शुरू हुआ चार दिवसीय आपदा प्रबंधन पर विश्व सम्मेलन

देहरादून, 29 नवंबर, 2023: आपदा प्रबंधन पर विश्व स्तरके सबसे बड़े सम्मेलनों में से एक ६वाँ विश्व आपदा प्रबंधनआज से देहरादून केग्राफिक एरा (डीम्ड यूनिवर्सिटी)  में शुरू हो चुका है । इस चार दिवसीय सम्मेलन का शुभारंभ उत्तराखंड के माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी द्वारादीप प्रज्वलन के साथ किया गया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी ने “आपदा प्रबंधन पर विश्व सम्मेलन” में भाग ले रहे सभी अतिथियों, रिसर्च स्कॉलर, प्रैक्टिशनर एवं वैज्ञानिकों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि दुनिया भर के 50 से अधिक देशों से आए हुए मेहमानों का उत्तराखंड में स्वागत है।उन्होंने कहा इस सम्मेलन में आपदा प्रबंधन विषय पर विस्तृत चिंतन- मंथन होगा और देहरादून डिक्लेरेशन भी जारी किया जाएगा जिससे उम्मीद है की आपदा प्रबंधन पर बहुत सारी चीजें निकल कर सामने आएँगी और हम उस पर भविष्य में अमल भी करेंगे एवं यह एक महत्वपूर्ण दस्तावेज भी होगा।

माननीय मुख्यमंत्री ने उत्तरकाशी के टनल में फंसे लोगों को बचाने के लिए किया जा रहा प्रयास के बारे में भी लोगों को अवगत कराया और उन्होंने कहा राज्य सरकार और केंद्र सरकार के सहयोग सेलोगों को जल्द से जल्द बाहर निकलने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। टनल के अंदर फंसे हुए लोगों तक समय-समय पर ऑक्सीजन, दवाई, खाना एवं उनके जरूरत के सभी सामानों को मुहैया करा जा रहा है ताकि वे अंदर स्वस्थ और सुरक्षित रहें।

सम्मेलन के संदर्भ में बात करते हुए मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी ने कहा कि मानव जाति एवं प्रकृति का संबंध हमेशा से रहा है और यह देवभूमि साक्षी है कि हमारे यहां पहाड़ों पर आपदाओं का भीषण सामना होता रहा है! इस पृष्ठभूमि को देखते हुए उत्तराखंड इस सम्मेलन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। हमारे यहां पर समय-समय पर लैंडस्लाइड, अतिवृष्टि, अधिक बर्फ गिरनाइस तरह की आपदा होती रही हैं। हम प्रोएक्टिव अप्रोच के साथ आपदा को पहले से पहचान कर उसके प्रभावों को कम करने में सफल रहे हैं एवं मोदी जी के मार्गदर्शन में हमने पहाड़ों में हेल्थ, हेली सेवा एवंअन्य आवश्यक सुविधाओं का निर्माण किया है ताकि कम से कम लोग आपदाओं में प्रभावित हो।उन्होंने कहा आपदा को हम रोक नहीं सकते परंतु टेक्नोलॉजी और सिस्टम के माध्यम से इसके प्रभाव को पहले पहचान कर कम जरुर कर सकते हैं। माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा की हम आपदा प्रबंधन को उत्तराखंड के पाठ्यक्रम में भी शामिल करने के लिए प्रयास रत हैं ताकि उत्तराखंड के छात्र-छात्राओं को आपदा के बारे में अधिक से अधिक जानकारी मिल सके और भविष्य के लिए चिंतन मंथन कर सचेत और सावधान रहें।

माननीय मुख्यमंत्री जी ने G20 सम्मेलन का उल्लेख करते हुए कहा कि उत्तराखंड को G20 सम्मेलन के तीन सम्मेलनों को आयोजित करने का अवसर मिला था और इसके माध्यम से हमने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के मेहमानों के समक्ष उत्तराखंड को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है। उन्होंने 8 से 9 दिसंबर 2023 को देहरादून मेंआयोजित होने वाले ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के बारे में भी बात की और उन्होंने कहा कि सम्मेलन से पहले ही हम 2 लाख करोड़ का करार कर चुके हैं और जब यह सम्मेलन संपन्न होगा तब तक हम और आगे बढ़ चुके होंगे।

इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जी के द्वारा,  माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के अनुभवों पर आधारित पुस्तक “रेजिलिएंट इंडिया: कैसे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत का आपदा प्रबंधन मॉडल बदला” का विमोचन भीकिया गया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रंजीत कुमार सिन्हा, सेक्रेट्री, उत्तराखंड डिजास्टर मैनेजमेंट ने आए हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया, उन्होंने कहा कि पृथ्वी को बचाने के लिए हम सबको एक साथ मिलकर आगे आना होगा। उन्होंने कहा हमारे युवा मुख्यमंत्री माननीय पुष्कर सिंह धामी जी के नेतृत्व में हम आज आपदा प्रबंधन पर चिंतन मंथन कर रहे हैं जिसका निष्कर्ष हमें बहुत ही अच्छा मिलने वाला है।

आनंद बाबू , प्रेसिडेंट DMICS  ने अपने संबोधन में कहा की इस वर्ल्ड इवेंट में अभी तक अनेकों साइंटिस्टों ने प्रतिभाग किया है एवं अपने विचार रखे हैं परंतु इस बार इस आयोजन को उत्तराखंड के देहरादून में क्यों किया जा रहा है? के सवाल परउन्होंने कहा कि हम हिमालय के बेहद करीब है और हमने आपदाओं को बहुत ही करीब से देखा है जिससे हमारे यहां पर साइंटिस्ट और रिसर्च स्कॉलर्स को काम करना आसान है इसलिए यह आयोजन हमारे उत्तराखंड के देहरादून में हो रहा है।

प्रो. दुर्गेश पंत,  डीजी यू कास्ट ने अपने संबोधन में कहा कि इस आयोजन में 51 देशों का प्रतिनिधित्व शामिल है एवं इससे आपदा प्रबंधन के गंभीरता को समझा जा सकता है, उन्होंने कहा कि हम जी-20 का सफलतापूर्वक आयोजन कर चुके हैं और इसमेंविश्व स्तर पर हमारे भारत केयोगदान को समझा जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारे मुख्यमंत्री डिजास्टर मैनेजमेंट को लेकर बहुत गंभीर हैं और चिंतन मंथन करते हैं और समय अनुसार एक्शन भी लेते रहते हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री जी के कार्य शैलियों की सराहना करते हुए कहा कि उत्तरकाशी के टनल में फंसे हुए लोगों को मुख्यमंत्री जीप्राथमिकता से ले रहे हैं एवं उसका समय-समय पर निरीक्षण करते रहते हैं।

उन्होंने कहा कि “अर्थ इज माय मदर एंड आई एम हर चाइल्ड” के कांसेप्ट को हमें समझना होगा और उस पर अमल करना होगा। उन्होंने अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री से मिले हुए पत्र, (जो WCDM को अप्रिशिएसन लेटर के रूप में मिला है) को लोगों को दिखाया एवं उन्होंने विजुअलके माधयम से सदी के महानायक श्री अमिताभ बच्चन जी द्वारा ६वें विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन के अवसर पर इस सम्मेलन की सफलता के लिए माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उत्तराखंड राज्य को बधाई और शुभकामनाएँ भी लोगों को दिखाई।

पर्यावरणविद् पद्म भूषण अनिल प्रकाश जोशी,  ने अपने संबोधन में कहा कि यह एक महत्वपूर्ण कांग्रेस है जो यहां आयोजित किया जा रहा है, हम सिटी को और स्मार्ट से स्मार्ट बनने जा रहे हैं परंतु हमारा देश डिजास्टर के मामले में भी आगे बढ़ते जा रहा है, हम चाहते हैं कि डिजास्टर फ्री डेवलपमेंट की बात की जाए जहां पर डेवलपमेंट तो हो परंतु डिजास्टर के जो संभावना है वह बिल्कुल न्यूनतम हो।उन्होंने उत्तरकाशी टनल हादसे की बात करते हुए कहा कि आज के इस दौड़ में हमारे पास इतनी सारी टेक्नोलॉजी और सिस्टम उपस्थित है परंतु हम बिल्कुल हेल्पलेस महसूस कर रहे हैं।हमारे साइंटिस्ट और सिस्टम को रिव्यू करने की जरूरत है कि इस तरह के हादसे को कैसे कम किया जा सके!

डॉक्टर डी महंतेश, फाउंडर समर्थनम इंटरनेशनल बेंगलुरु,  ने अपने संबोधन में कहा कि आपदा सबसे अधिक लोगों में डिसेबिलिटी लाती है और इसका प्रभाव ज्यादातर महिलाओं एवं बच्चों के ऊपर पड़ता है। उन्होंने कहा डिसएबल लोगों के लिए हमारी संस्था समर्थन इंटरनेशनल काम करती है, हमने उत्तराखंड में भी कोरोना महामारी के दौरान काम किया है और आपदाओं के समय पर हम उत्तराखंड के लोगों के लिए हमेशा साथ खड़े रहते हैं।

राजेंद्र रतनू , IAS  एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ डिजास्टर मैनेजमेंट, ने अपने संबोधन में कहा कि जलवायु परिवर्तन एक गंभीर मुद्दा है और यह पूरी दुनिया के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है। उन्होंने कहा हमें डिजास्टर रिस्क रिडक्शन पर काम करना चाहिए।

राधा रतूड़ी, एडिशनल चीफ सेक्रेट्री उत्तराखंड सरकार,  ने अपने संबोधन में कहा कि आपदा के समय सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले महिलाएं एवं बच्चे होते हैं। हमें उम्मीद है कि हम इस सम्मेलन के माध्यम से इस पर विचार विमर्श करेंगे एवं इसके लिए ठोस निष्कर्ष निकलेंगे।

एसएस संधू,  चीफ सेक्रेटरी, उत्तराखंड सरकार,  ने अपने संबोधन के माध्यम से विभिन्न देशों से आए हुए लोगों का स्वागत किया।उन्होंने कहा कि हर वक्त डेवलपमेंट प्रोजेक्ट डिजास्टर नहीं लाता है परंतु हमें कुछ ऐसे ट्रीटमेंट की व्यवस्था करनी चाहिए जो की डिजास्टर को नियंत्रित कर सके। उन्होंने कहा हमें डेवलपमेंट को नेचुरल बैलेंस के साथ सम्मिलित कर आगे बढ़ना चाहिए।

शोम्बी शार्प,  यू एन, रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर,  ने अपने संबोधन में कहा कि उत्तराखंड सरकार के तरफ से डिजास्टर मैनेजमेंट को लेकर बहुत ही गंभीर कदम उठाए जा रहे हैं! आपदा “मैन मेड और नेचुरल” दोनों तरह से होती है जैसेप्राकृतिक आपदा बाढ़, भूकंप, लैंडस्लाइड, सुनामी के रूप में आती है वही मैन मेडदो देशों के बीच में हुए युद्ध के रूप में आती है। उन्होंने कहा यूनाइटेड नेशन आर्गेनाईजेशन भारत को हर संभव मदद करने के लिए तत्पर रहता है। उन्होंने कहा कि आपदा से लोगों के साथ-साथ कृषि भूमि एवं अन्य आवश्यक संसाधनों पर भी असर पड़ता है,  हम देख सकते हैं कि दुनिया भर के 125 देश के पास डिजास्टर पॉलिसी सिस्टम है परंतु यह पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा भारत अर्ली वार्निंग सिस्टम में काफी कुछ कर चुका है और अब भारत में कोई भी डिजास्टर आने वाला होता है तो उसे 24 घंटे पहले ही सूचना मिल जाती है जिसे जान माल का नुकसान कम करने और लोगों को संभलने के लिए वक्त मिल जाता है।

एडमिरल डीके जोशी, लेफ्टिनेंट गवर्नर,  अंडमान एंड निकोबार आइलैंड,  ने अपने संबोधन में कहा कि उत्तराखंड और अंडमान एंड निकोबार दोनों डिजास्टर के मामले में काफी करीब है, हमारे अंडमान एंड निकोबार में सुनामी और स्टॉर्म आता है तो उत्तराखंड में लैंडस्लाइड,  अतिवृष्टि जैसे आपदा आती रहती है। उन्होंने कहा है कि आज के समय में हमारे पास बहुत से ऐसी टेक्नोलॉजी और नए सिस्टम आ चुके हैं जो हमें डिजास्टर से पहले अलर्ट जारी कर देते हैं। हमारे यहां पर एनडीआरएफ और एसडीआरएफ जैसे संस्था बनाई गए हैं जिससे कम्युनिटी को हो रहे नुकसानों को उनकी मदद से कम किया जा सकता है और हर वक्त उनकी तैयारी रहती है जिससे लोगों को मदद मिलते रहती है।उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी और एप्स के माध्यम से भी हम इवेक्युएशन को जल्दी लागू कर सकते हैंऔर जान माल का नुकसान भी कम कर सकते हैं, हमारे पास GIS सिस्टम,  सेंसर और ड्रोन जैसे महत्वपूर्ण टेक्नोलॉजी है जिससे हम लोगों को अब मदद कर सकते हैं और डिजास्टर में होने वाले नुकसान की संभावनाओं को भी कम कर सकते हैं।

उद्घाटन समारोह के अंत में ग्राफ़िक एरा विश्वविद्यालय समूह के अध्यक्ष प्रो. डॉक्टर कमल घनशाला जी द्वारा उपस्थित सभी मेहमानों को धन्यवाद ज्ञापन दिया गया उन्होंने कहा कि यह ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय के लिए गर्व की बात है कि आज हम मोदी जी के अनुभव पर आधारित पुस्तक का विमोचन कर रहे हैं। यह चार दिवसीय सम्मेलन हमारे आपदा प्रबंधन सिस्टम को समझने के लिए काफी महत्वपूर्ण है और इसके निष्कर्षसे हमें काफी कुछ सीखने को मिलेगा।

કિરણ જેમ્સ સહિતની કંપનીઓની 2 ટકા કમિશનની ઓફરોથી ગુજરાત-મુંબઇના બ્રોકરો અને ટ્રેડર્સ આકર્ષાયા

  • સુરત ડાયમંડ બુર્સને પ્રથમ સપ્તાહમાં ધાર્યા કરતા વધુ પ્રતિસાદ

સુરત ડાયમંડ બુર્સમાં ગઇ તા.21મી નવેમ્બરે કિરણ જેમ્સ સહિત અનેક કંપનીઓએ શરૂ કરેલા કામકાજના પ્રથમ સપ્તાહમાં ધાર્યા કરતા પણ જોરદાર પ્રતિસાદ સાંપડ્યો છે.


સુરત ડાયમંડ બુર્સના ચેરમેન વલ્લભભાઇ પટેલની કંપની કિરણ જેમ્સ દ્વારા સુરત ડાયમંડ બુર્સમાં હીરાની લેવેચ માટે જનારા બ્રોકરો તેમજ ટ્રેડરો માટે 2 ટકા ડિસ્કાઉન્ટ આપવાની ઓફર દિવાળી પહેલાથી આપવામાં આવી હતી. એવી જ રીતે ડાયમંડ બુર્સમાં ઓફિસ શરૂ કરનારી અન્ય ડાયમંડ કંપનીઓએ પણ હીરાની લેવેચમાં આકર્ષક ઓફરો આપી હતી. જેના પ્રતિસાદમાં મુંબઇ તેમજ ગુજરાતના અમદાવાદ, રાજકોટ વગેરે વિસ્તારના બ્રોકરો અને ટ્રેડરો શરૂ થયાના પહેલા જ સપ્તાહમાં ડાયમંડ બુર્સમાં પહોંચ્યા હતા અને હીરાની લેવેચની પ્રક્રિયા હાથ ધરી હતી. ડાયમંડ બુર્સમાં ઓફિસ શરૂ કરનારી કંપનીઓને આ પ્રકારનો રિસ્પોન્સ મળતા રોજેરોજ નવા ઓફિસ ધારકો ડાયમંડ બુર્સમાં પોતાની ઓફિસ શરૂ કરવાની તજવીજ હાથ ધરી દીધી છે.

નાણામંત્રી, ઉડ્ડયન મંત્રીને બુર્સના ઉદઘાટનનું આમંત્રણ અપાયું

સુરત ડાયમંડ બુર્સના પ્રમુખ નાગજીભાઇ સાકરીયા, લાલજીભાઇ ઉગામેડી, મથુરભાઇ સવાણી, અશેષભાઇ દોશી સહિતના આગેવાનોના એક પ્રતિનિધિ મંડળ આગામી તા.17મી ડિસેમ્બરના રોજ વડાપ્રધાન શ્રી નરેન્દ્રભાઇ મોદીના હસ્તે ડાયમંડ બુર્સના થનારા ઉદઘાટનની આમંત્રણ પત્રિકાઓ આપવા માટે નવી દિલ્હી પહોંચ્યું હતું. જ્યાં બુર્સના ડેલિગેશને સુરતના સાંસદ શ્રીમતી દર્શના જરદોષને સાથે રાખીને કેન્દ્રીય નાણા મંત્રી નિર્મલા સીતારમણ અને નાગરીક ઉડ્ડયન મંત્રી જ્યોતિરાદિત્ય સિંધિયાને આમંત્રણ પાઠવ્યા હતા. નાગરીક ઉડ્ડયન મંત્રી જ્યોતિરાદિત્ય સિંધિયાએ સુરતને બે ઇન્ટરનેશનલ ફ્લાઇટ આપવાની અગાઉ આપેલી ખાતરીને દોહરાવી હતી.

ગુજરાતમાં ઠેર ઠેર જે કમોસમી વરસાદ પડ્યો છે, એના કારણે ખેડૂતોને મોટાપાયે નુકસાન થયું: ઈસુદાન ગઢવી

ખેડૂતોને જે નુકસાન થયું છે તેનો કૃષિ વિભાગ દ્વારા સર્વે કરવામાં આવે અને તાત્કાલિક ધોરણે ખેડુતોને સહાય ચૂકવવામાં આવે છે: ઈસુદાન ગઢવી

આમ આદમી પાર્ટીના ગુજરાત પ્રદેશ પ્રમુખ ઈસુદાન ગઢવીએ રાજ્યમાં થયેલ કમોસમી વરસાદ મુદ્દે એક વિડીયોના માધ્યમથી પોતાની વાત રજૂ કરતા કહ્યું કે, ગુજરાતમાં ઠેર ઠેર જે કમોસમી વરસાદ પડ્યો છે એના કારણે ખેડૂતોને મોટાપાયે નુકસાન થયું છે. એવો અંદાજ લગાવવામાં આવી રહ્યો છે કે જીરાના પાકને, શિયાળુ પાકને, જે મગફળી લણણી ઉપર હતી તેને નુકસાન થયું છે, સાથે સાથે કપાસના પાકને પણ મોટાપાયે નુકસાન થયું છે. વિવિધ પાકને નુકસાન થયું છે અને સાથે સાથે એવા પણ સમાચાર મળ્યા છે કે વીજળી પડવાના કારણે છ લોકોના મૃત્યુ થયા છે.

અમે ગુજરાતની રાજ્ય સરકારને અપીલ કરીએ છીએ કે જે લોકોના મૃત્યુ થયા છે તેમના પરિવારને તાત્કાલિક ધોરણે સહાય ચૂકવવામાં આવે. સાથે સાથે ખેડૂતોને જે નુકસાન થયું છે તેનો કૃષિ વિભાગ દ્વારા સર્વે કરવામાં આવે અને તાત્કાલિક ધોરણે ખેડુતોને સહાય ચૂકવવામાં આવે છે એવી આમ આદમી પાર્ટીની માંગણી છે.

ई-कॉमर्स निर्यात के लिए डीजीएफ़टी द्वारा ई कॉमर्स कंपनियों को बढ़ावा देने पर कैट ने उठाए सवाल

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने देश से ई-कॉमर्स निर्यात को बढ़ावा देने हेतु देश भर के जिलों का लाभ उठाने के लिए ई-कॉमर्स खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफ़टी) की आलोचना की है। कैट ने कहा कि यह विचार तो अच्छा है, लेकिन यह छोटे व्यवसायों और जिलों में स्थित निर्माताओं के हितों के लिए बहुत हानिकारक होगा क्योंकि यह आशंका है कि ई-कॉमर्स कंपनियाँ जिलों के छोटे व्यवसायों को अपने बिज़नेस मॉडल के अनुरूप अपने एकाधिकार के चंगुल में ले लेंगे।

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी.सी. भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने डीजीएफटी के इस कदम की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि ई-कॉमर्स नीति और नियमों के अभाव में, यह कदम आत्मघाती साबित होगा और ई कॉमर्स कंपनियों के पहले से चले आ रहे अपवित्र बिज़नेस मॉडल को मज़बूत करेगा क्योंकि अब यह साफ़ हो गया है कि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां देश के कानूनों का उल्लंघन कर रही हैं और ऐसे में डीजीएफटी का उन्हें समर्थन उनके बिजनेस मॉडल को वैधता प्रदान करेगा ज्ञातव्य है कि इन कंपनियों के ख़िलाफ़ सीसीआई और अन्य जांच एजेंसियों द्वारा काफी सवाल उठाए गये हैं और जाँच अभी भी पेंडिंग है।

श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल ने आगे कहा कि हमें निर्यात के लिए ई-कॉमर्स का लाभ उठाने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि कानून के दायरे में रह कर ही ई कॉमर्स कंपनियाँ काम कर रहा है या नहीं।डीजीएफटी का यह कदम ई-कॉमर्स कंपनियों को ज़िला स्तर तक के उद्यमियों के महत्वपूर्ण डेटा सहित उनके व्यापार पर आधिपत्य जमाने के बड़े मौक़े देगा।

श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल ने कहा कि ऐसी घोषणा करने से पहले, डीजीएफटी ने स्टेकहोल्डर्स के साथ कोई परामर्श नहीं किया और न ही बोर्ड ऑफ़ ट्रेड में इस मुद्दे पर चर्चा की गई। श्री खंडेलवाल बोर्ड ऑफ़ ट्रेड के सदस्य हैं।

कैट ने आज केंद्रीय वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल से ई-कॉमर्स नीति और नियमों को तुरंत लागू करने का आग्रह किया है जिसे ई-कॉमर्स कंपनियों की मनमानी पर अंकुश लग सके। कैट ने श्री गोयल से यह भी आग्रह किया है कि नीति और नियम अधिसूचित होने के बाद ही डीजीएफटी के इस कदम को अमल में लाया जाए।

સુરતઃ શહેરની જાણીતી વિજય હોટલની મીઠાઇમાં વંદો ફરતા હોવાનો વીડીયો વાયરલ

શહેરમાં મીઠાઇ વિક્રેતાઓને ત્યાં દીવાળી પહેલા અનેક સ્થળો પર તપાસ કરવામાં આવી હતી અને દંડની કાર્યવાહી પણ કરવામાં આવી હતી. ત્યારબાદ હવે શહેરના રાંદેર ઝોનમાં આવેલા પાલનપુર વિસ્તારમાં વિજય ડેરીમાં મીઠાઈમાં વંદો ફરતો જોવા મળતા એક નાગરિક દ્વારા વિડીયો ઉતારી સોશિયલ મીડીયા પર પોસ્ટ કર્યો હતો. આ વિડીયો સોશીયલ મીડીયામાં વાયરલ થતા જ મનપાનો ફુડ વિભાગ સ્થળ પર પહોંચ્યો હતો. અને મીઠાઈના સેમ્પલો લેવામાં આવ્યા હતા. તેમજ વિજય ડેરીને નોટિસ પણ બજવવામાં આવી હતી.


પ્રાપ્ત માહિતી અનુસાર, પાલનપુર વિસ્તારમાં રૂપાલી સિનેમાની બાજુમાં આવેલા વિજય ડેરીમાં મીઠાઈઓમાં જ વંદો ફરતો જોવા મળ્યો હતો. જેમાં એક ગ્રાહક દ્વારા મીઠાઈમાં વંદો ફરતો હતો તેનો વિડિયો લેવામાં આવ્યો હતો અને આ વિડીયો સોશીયલ મીડીયામાં પોસ્ટ કરવામાં આવ્યો હતો.

સોશીયલ મીડીયામાં વાયરલ થયેલા આ વિડીયોને લઈ મનપાના ફુડ વિભાગ દ્વારા તપાસ કરવામાં આવી હતી અને વિજય ડેરીમાંથી કાજુ ખીર કદમ તેમજ અંજીર રોલના નમુના લેવામાં આવ્યા હતા. સાથે જ વિજય ડેરીને નોટિસ પણ ફટકારવામાં આવી હતી. સાથે સાથે અહી થોડાક દિવસોમાં ફુડ વિભાગની ટીમ દ્વારા ફરીવાર તપાસ હાથ ધરવામાં આવશે તેમ જાણવામાં આવ્યું છે. જોકે આ વીડીયોને લીધે શહેરીજનોમાં ચર્ચા શરૂ થઇ હતી