दिल्ली, 30 जनवरी: रियल एस्टेट के प्रतिष्ठित समूह नुमैक्स ग्रुप ने अपने प्रबंध निदेशक सुनील गोयल के नेतृत्व में मुज़फ्फरनगर में एक नई और अत्याधुनिक टाउनशिप की शुरुआत की है। दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे के पास स्थित यह 100 एकड़ में फैला एक विशाल प्रोजेक्ट है। जानकारों के अनुसार, यह वेस्टर्न यूपी की पहली इंटीग्रेटेड टाउनशिप होगी, जो यहां के लोगों को आधुनिक जीवनशैली का बेहतरीन विकल्प प्रदान करेगी।
इस प्रोजेक्ट में 2000 करोड़ से अधिक का निवेश किया जाएगा, जिससे निवासियों को अल्ट्रा-लग्ज़री सुविधाएं मिलेंगी। यह टाउनशिप बेहतरीन कनेक्टिविटी और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ स्पोर्ट्स, शिक्षा, स्वास्थ्य और व्यावसायिक विकास के लिए भी श्रेष्ठ सुविधाएं उपलब्ध कराएगी।
विश्वस्तरीय सुविधाएं जो बदलेंगी जीवनशैली
• स्पोर्ट्स क्लब
• लॉन टेनिस, स्क्वॉश, बिलियर्ड्स, जिम
• बैडमिंटन कोर्ट, बास्केटबॉल कोर्ट, स्केटिंग रिंक
• थिएटर, जॉगिंग ट्रैक, खूबसूरत गार्डन
• गेमिंग ज़ोन और बच्चों के खेलने के लिए विशेष क्षेत्र
शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं
इस टाउनशिप में केआर मंगलम स्कूल की स्थापना की जाएगी, जिससे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी। साथ ही, अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस नर्सिंग होम और अस्पताल भी स्थापित किए जाएंगे, जिससे निवासियों को बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी।
वाणिज्यिक और व्यावसायिक केंद्र
नुमैक्स टाउनशिप में व्यापारिक और व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए कमर्शियल हब भी विकसित किया जा रहा है। इससे क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे और स्थानीय व्यापार को भी बढ़ावा मिलेगा।
सुनील गोयल: ओमैक्स ग्रुप के सह-संस्थापक और रियल एस्टेट के प्रतिष्ठित नाम
रियल एस्टेट सेक्टर में 35 वर्षों से अधिक का अनुभव रखने वाले सुनील गोयल ने नुमैक्स को एक भरोसेमंद और प्रतिष्ठित ब्रांड में बदल दिया है। उनकी दूरदृष्टि और नवाचार ने इस प्रोजेक्ट को वेस्टर्न यूपी के सबसे बड़े टाउनशिप प्रोजेक्ट्स में शामिल कर दिया है।
परियोजना को मिली आधिकारिक मंजूरी
इस प्रोजेक्ट को लेकर अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए, सुनील गोयल ने कहा, "मुझे यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि हमने पहले ही MDA लाइसेंस, CLU और DPR की मंजूरी प्राप्त कर ली है। यह प्रोजेक्ट वेस्टर्न उत्तर प्रदेश के लोगों की जीवनशैली में एक बड़ा बदलाव लाएगा। मैं यहां के लोगों को ऐसी विश्वस्तरीय सुविधाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हूं, जो इस क्षेत्र ने पहले कभी नहीं देखी।"
सुनील गोयल: रियल एस्टेट में एक प्रेरणादायक सफर
सुनील गोयल की रियल एस्टेट यात्रा 2001 में गुरुग्राम में एक्सीक्यूटिव फ्लोर्स की लॉन्चिंग से शुरू हुई। 2003 में ग्रेटर नोएडा में 85 एकड़ की टाउनशिप और 2004 में नोएडा में 'द फॉरेस्ट' परियोजना उनकी दूरदृष्टि का प्रमाण हैं। 2006 में लखनऊ और इंदौर में विस्तार हुआ, और 2010 में न्यू चंडीगढ़ में 700+ एकड़ की टाउनशिप ने नया कीर्तिमान स्थापित किया। 2017 तक, उन्होंने 100 मिलियन वर्गफुट रियल एस्टेट सफलतापूर्वक विकसित किया। इसी वर्ष, उन्होंने नुमैक्स की स्थापना की, जो नवाचार, सुधार और परिवर्तन की प्रतीक बन चुकी है।
बेहतरीन लोकेशन और कनेक्टिविटी
यह प्रोजेक्ट दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे के पास स्थित है, जिससे दिल्ली, मेरठ, हरिद्वार और अन्य प्रमुख शहरों से इसकी कनेक्टिविटी बेहतरीन होगी। यह न केवल रहने के लिए बल्कि निवेश के लिए भी एक शानदार अवसर साबित होगा।
पर्यावरण-अनुकूल और आधुनिक विकास
नुमैक्स मुज़फ्फरनगर को पर्यावरण के अनुकूल विकसित किया गया है, जहां आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर और हरियाली का बेहतरीन संतुलन मिलेगा। यहाँ की खूबसूरत हरियाली, आधुनिक जल प्रबंधन प्रणाली और टिकाऊ विकास इसे अन्य प्रोजेक्ट्स से अलग बनाते हैं।
मुज़फ्फरनगर की नई पहचान
नुमैक्स मुज़फ्फरनगर केवल एक आवासीय प्रोजेक्ट नहीं है, बल्कि यह वेस्टर्न यूपी के रियल एस्टेट सेक्टर को एक नई दिशा देने वाला प्रोजेक्ट है। यह प्रोजेक्ट निवासियों को विश्वस्तरीय सुविधाओं के साथ-साथ एक सुरक्षित, आधुनिक और टिकाऊ जीवनशैली प्रदान करेगा।
अगर आप भविष्य में निवेश करने या अपने सपनों का घर खरीदने के बारे में सोच रहे हैं, तो नुमैक्स मुज़फ्फरनगर आपके लिए सबसे सही विकल्प हो सकता है!
दिल्ली, 30 जनवरी: आज के डिजिटल युग में, जहाँ हर जानकारी महज एक क्लिक की दूरी पर है, स्थानीयसमाचार पोर्टल ने अपनी अहम भूमिका निभानी शुरू कर दी है। ये पोर्टल न केवल स्थानीय खबरें और मुद्दे उजागर कर रहे हैं, बल्कि स्थानीय पर्यटन को भी वैश्विक मंच पर ले जाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
स्थानीय पर्यटन की वैश्विक पहचान
भारत जैसे विविधता से भरे देश में ऐसे कई पर्यटन स्थल हैं, जो अपनी अद्वितीय संस्कृति, परंपराओं और प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर हैं, लेकिन बड़े मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इनकी चर्चा अक्सर छूट जाती है। यही काम स्थानीय न्यूज़ पोर्टल्स बखूबी कर रहे हैं। वे स्थानीय स्तर पर इन स्थानों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करते हैं, जिसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया जाता है।
डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का प्रभाव
स्थानीय समाचार पोर्टल डिजिटल माध्यमों का उपयोग करते हुए इन पर्यटन स्थलों की कहानियों को लोगों तक पहुंचाया है। सोशल मीडिया, ब्लॉग्स और वीडियो सामग्री के माध्यम से ये पोर्टल्स छोटे गाँव, ऐतिहासिक धरोहर, अनदेखी प्राकृतिक जगहों और अनोखी परंपराओं को उजागर कर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, उत्तराखंड के एक छोटे से गाँव मलारी या राजस्थान के कुचामन किले की कहानियाँ अब इन पोर्टल्स के कारण वैश्विक पर्यटकों का ध्यान आकर्षित कर रही हैं।
स्थानीय कला, संस्कृति और परंपराओं का प्रचार
पर्यटन सिर्फ स्थलों तक सीमित नहीं है। यह वहां की संस्कृति, स्थानीय व्यंजन, हस्तशिल्प और परंपराओं को भी साथ लेकर चलता है। स्थानीय न्यूज़ पोर्टल इन सभी पहलुओं को उजागर करते हैं। उदाहरण के लिए, बिहार का सोनपुर मेला या हिमाचल प्रदेश की कुल्लू दशहरा की कहानी जब वैश्विक स्तर पर पहुंचती है, तो पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करती है।
स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती
स्थानीय पर्यटन को प्रमोट करने से वहाँ की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलती है। जब इन पोर्टल्स की मदद से पर्यटक किसी जगह पर आते हैं, तो वे वहाँ के होटलों, होमस्टे, रेस्तरां और दुकानों से जुड़ते हैं, जिससे स्थानीय लोगों की आय बढ़ती है।
चुनौतियाँ और समाधान
हालांकि, स्थानीय न्यूज़ पोर्टल्स को अपने कंटेंट को गुणवत्तापूर्ण और तथ्यात्मक बनाने के साथ-साथ तकनीकी और वित्तीय चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है। इसके समाधान के लिए सरकार और बड़े मीडिया हाउस इन्हें प्रोत्साहन और सहायता दे सकते हैं।
स्थानीय न्यूज़ पोर्टल्स का योगदान केवल खबरें पहुंचाने तक सीमित नहीं है। वे स्थानीय पर्यटन को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए सेतु का काम कर रहे हैं। अगर इन्हें सही दिशा और संसाधन मिलें, तो भारत का हर कोना पर्यटन का एक चमकता सितारा बन सकता है।
"स्थानीय न्यूज़ पोर्टल्स ने साबित कर दिया है कि छोटी कहानियाँ भी बड़े बदलाव का कारण बन सकती हैं।"
नई दिल्ली [भारत], 30 जनवरी: यामाहा म्यूजिक इंडिया (Yamaha Music India Private Limited) ने हाल ही में ऐसे मामलों की पहचान की है, जहां कुछ धोखेबाज लोग यामाहा म्यूजिक (Yamaha Music) के नाम का दुरुपयोग कर पिरामिड स्कीम के तहत निवेश के ऑफर, फर्जी नौकरी के प्रस्ताव और अनधिकृत डीलरशिप की पेशकश कर रहे हैं। ग्राहकों को सावधानी बरतने और केवल यामाहा (Yamaha) के आधिकारिक संचार चैनलों पर भरोसा करने की सलाह दी जाती है।
यामाहा म्यूजिक इंडिया (Yamaha Music India) का प्रबंधन इन धोखाधड़ी गतिविधियों के खिलाफ संबंधित अधिकारियों से औपचारिक शिकायत कर चुका है। इसके बावजूद, कंपनी लोगों से सतर्क रहने की अपील करती है। डिजिटल युग में ऐसे घोटालों की बढ़ती घटनाओं ने ग्राहकों और ब्रांड्स दोनों के लिए सतर्कता की आवश्यकता को बढ़ा दिया है।
Mr. Taketoshi Yamamoto, Managing Director, Yamaha Music India Private Limited, ने कहा: " यामाहा (Yamaha) में, हमारे ब्रांड इमेज और ग्राहकों की सुरक्षा हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है। यह निराशाजनक है कि कुछ लोग यामाहा म्यूजिक (Yamaha Music) की प्रतिष्ठा और छवि का दुरुपयोग करके लोगों को गुमराह कर रहे हैं। भारत में हमारी उपस्थिति, खासकर चेन्नई फैक्ट्री के ' मेक इन इंडिया (Make in India)' पहल के तहत, बढ़ रही है। ऐसे में इन धोखाधड़ी गतिविधियों को रोकना और ग्राहकों को जोखिमों के प्रति शिक्षित करना बहुत महत्वपूर्ण है। हम सभी यामाहा म्यूजिक (Yamaha Music) ग्राहकों के लिए सुरक्षित और भरोसेमंद अनुभव सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
Mr. Ryoji Maruyama, General Manager, Sales Unit Head, यामाहा म्यूजिक इंडिया (Yamaha Music India), ने कहा: " यामाहा म्यूजिक (Yamaha Music) एक विश्व स्तर पर सम्मानित ब्रांड है और भारत में इसकी स्वीकृति और विकास देखकर हमें गर्व होता है। भारत में बने प्रोडक्ट्स पर हमारा फोकस भारतीय ग्राहकों के साथ हमारे संबंधों को गहरा करता है। दुर्भाग्य से, कुछ दुर्भावनापूर्ण लोग इस विश्वास का दुरुपयोग कर रहे हैं। ऐसे धोखाधड़ी प्रथाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाना बहुत जरूरी है। हम ग्राहकों से अनुरोध करते हैं कि वे केवल हमारे आधिकारिक वेब-प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया हैंडल पर ही भरोसा करें।”
Mr. Naval Kishor Rustagi, AGM- HR & Admin (General Affairs), India, ने जोर दिया:
"हम अपने ग्राहकों और ब्रांड की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह महत्वपूर्ण है कि हर कोई इन धोखाधड़ी गतिविधियों के प्रति जागरूक और सतर्क रहे। हम इन समस्याओं को हल करने और हमारे ब्रांड की अखंडता बनाए रखने के लिए अधिकारियों के साथ मिलकर काम करना जारी रखेंगे।”
यामाहा म्यूजिक इंडिया (Yamaha Music India) ने दोहराया कि वह किसी भी अनधिकृत निवेश योजना, नौकरी के प्रस्ताव, या डीलरशिप प्रस्तावों का संचालन या समर्थन नहीं करता। Yamaha के नाम और ब्रांड का कोई भी अनधिकृत उपयोग अवैध है और जनता को गुमराह करने के इरादे से किया जाता है।
आधिकारिक संचार चैनल यामाहा म्यूजिक इंडिया (Yamaha Music India) जनता से अनुरोध करता है कि वह उत्पादों, इवेंट्स, और घोषणाओं के बारे में प्रामाणिक जानकारी के लिए केवल उसके आधिकारिक प्लेटफार्मों पर भरोसा करें। आप अधिक जानकारी यहां देख सकते हैं:
जारीकर्ता:
Marketing Communication Department
दिल्ली, 29 जनवरी: तेजी से बदलती तकनीक और उद्यमिता की दुनिया में, जहां नवाचार परिवर्तन को प्रेरित करता है और दृढ़ता सफलता को परिभाषित करती है, चंदन सिंह राठौर उद्योग के सबसे युवा और गतिशील नेताओं में से एक के रूप में उभरे हैं। साधारण शुरुआत से लेकर वैश्विक पहचान तक, चंदन सिंह की यात्रा असाधारण है, जो लाखों लोगों को बड़े सपने देखने और निरंतर मेहनत करने के लिए प्रेरित करती है।
एक युवा दूरदर्शी का उदय
राजस्थान के एक छोटे से शहर में जन्मे, चंदन सिंह राठौर ने 2018 में मात्र 17 वर्ष की आयु में अपने उद्यमिता सफर की शुरुआत की। सिर्फ महत्वाकांक्षा के साथ, उन्होंने अपना पहला उद्यम, एक सोशल मीडिया मार्केटिंग फर्म, शुरू किया, जिसका उद्देश्य स्थानीय व्यवसायों को डिजिटल युग में सफल बनाना था।
जो एक छोटी पहल के रूप में शुरू हुआ, वह जल्द ही एक आंदोलन में बदल गया, क्योंकि उन्होंने स्टार्टअप्स और उद्यमों को नवीन रणनीतियों और समाधानों के माध्यम से अपनी ऑनलाइन उपस्थिति बनाने में सक्षम बनाया। बाजार की आवश्यकताओं की पहचान करने और परिणाम देने की उनकी क्षमता ने उन्हें उद्यमिता पारिस्थितिकी तंत्र में एक महत्वपूर्ण नाम बना दिया।
इम्पारावेल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड: तकनीक में एक गेम-चेंजर
2020 में, चंदन सिंह राठौर ने इम्पारावेल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की, जो भारतीय आईटी परिदृश्य में एक अग्रणी तकनीकी कंपनी बन गई है। सॉफ्टवेयर और ऐप विकास में क्रांति लाने के दृष्टिकोण के साथ, इम्पारावेल इंडिया वैश्विक स्तर पर व्यवसायों को उच्च-प्रभाव वाले समाधान प्रदान करने पर केंद्रित है।
चंदन सिंह राठौर के नेतृत्व में, कंपनी ने:
• व्यावसायिक दक्षता बढ़ाने वाले अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर प्रदान किए।
• शिक्षा, सोशल मीडिया और लाइव स्ट्रीमिंग के लिए नवीन प्लेटफॉर्म विकसित किए।
• एशिया की सबसे मूल्यवान सॉफ्टवेयर कंपनियों में से एक के रूप में अपनी पहचान बनाई।
तकनीक के प्रति उनका दृष्टिकोण केवल कोडिंग तक सीमित नहीं है—यह उद्योगों और जीवन को बदलने वाले समाधान बनाने के बारे में है।
सम्मान और उपलब्धियां
सफलता कभी अनदेखी नहीं रहती, और चंदन सिंह राठौर को उनके प्रभाव के लिए कई सम्मान प्राप्त हुए हैं:
• वर्ष के सीईओ (2019-2020) – उनके उत्कृष्ट नेतृत्व और नवाचार के लिए मान्यता।
• यंग एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर – उद्यमिता पारिस्थितिकी तंत्र में उनके योगदान के लिए सम्मानित।
• वर्ल्ड सीईओ रैंकिंग 2024 में शीर्ष 10 में स्थान – उनकी वैश्विक प्रभाव और दृष्टि का प्रमाण।
इन उपलब्धियों के बावजूद, चंदन सिंह राठौर जमीन से जुड़े रहते हैं और निरंतर सीखने और विकास के प्रति प्रतिबद्ध हैं।
मिशन के पीछे का व्यक्ति
चंदन सिंह राठौर की नेतृत्व दर्शन तीन प्रमुख सिद्धांतों पर आधारित है:
1. संगति: सफलता रातोंरात नहीं बनती; यह समय के साथ अनुशासित प्रयास का परिणाम है।
2. नवाचार: समस्याओं को अनोखे तरीकों से हल करके हमेशा आगे रहें।
3. सशक्तिकरण: दूसरों को उनकी क्षमता हासिल करने के लिए प्रेरित करें, चाहे वह कर्मचारी हों, ग्राहक हों, या नवोदित उद्यमी हों।
एक मेंटर के रूप में, चंदन सिंह राठौर दूसरों को व्यक्तिगत ब्रांड बनाने और लिंक्डइन जैसे प्लेटफॉर्म के माध्यम से बढ़ने में मदद करने के लिए समर्पित हैं। उनका मानना है कि व्यक्तिगत ब्रांडिंग अब वैकल्पिक नहीं है—यह आज की प्रतिस्पर्धी दुनिया में एक आवश्यकता है।
वैश्विक मंच पर प्रभाव
चंदन सिंह राठौर का प्रभाव भारत की सीमाओं से परे है। पीएसवी एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड और पीएसएस एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड (ऑस्ट्रेलिया) के माध्यम से, उन्होंने अपने व्यावसायिक संचालन को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में विस्तारित किया है, वैश्विक सहयोग और व्यापार के लिए अवसर पैदा किए हैं।
उनकी उद्यमिता कुशलता और अग्रणी सोच ने उन्हें स्टार्टअप्स, तकनीक, और डिजिटल परिवर्तन की दुनिया में एक मांग वाले आवाज़ बना दिया है।
क्यों चंदन सिंह राठौर की कहानी महत्वपूर्ण है
चंदन सिंह राठौर की यात्रा केवल सफलता की कहानी नहीं है—यह उन महत्वाकांक्षी उद्यमियों के लिए एक खाका है जो बड़े सपने देखने की हिम्मत करते हैं। शून्य-राजस्व स्टार्टअप से एशिया की सबसे मूल्यवान सॉफ्टवेयर कंपनियों में से एक का नेतृत्व करने तक, राठौर ने दिखाया है कि:
• आयु सिर्फ एक संख्या है: दृढ़ संकल्प और दृष्टि अनुभव के वर्षों से अधिक महत्वपूर्ण हैं।
• विफलता एक सीढ़ी है: हर असफलता सीखने और बढ़ने का अवसर है।
• प्रभाव ही सब कुछ है: सफलता केवल व्यक्तिगत उपलब्धियों के बारे में नहीं है; यह एक विरासत छोड़ने के बारे में है।
चंदन सिंह राठौर केवल एक उद्यमी नहीं हैं—वह इस बात का प्रतीक हैं कि जब महत्वाकांक्षा क्रिया से मिलती है तो क्या संभव है।
दिल्ली, 29 जनवरी: नई दिल्ली स्थित एचईसीटी इंडिया एक प्रतिष्ठित ट्रैवल कंपनी है, जो कस्टमाइज्ड अंतरराष्ट्रीय टूर पैकेजों के क्षेत्र में अपनी अग्रणी पहचान बना चुकी है। दूरदर्शी उद्यमी गौरव शर्मा द्वारा स्थापित यह कंपनी, यात्रियों की व्यक्तिगत जरूरतों और बजट के अनुसार अनुकूलित यात्रा अनुभव प्रदान करने में माहिर है।
दशक भर की उत्कृष्टता और 1 लाख से अधिक संतुष्ट पर्यटकों के साथ, एचईसीटी इंडिया लगातार भारतीय यात्रियों के लिए दुनिया को खोजने के तरीके को नए सिरे से परिभाषित कर रहा है। कंपनी का मुख्य उद्देश्य यादगार और परेशानी-मुक्त यात्रा अनुभव प्रदान करना है, चाहे वह एक रोमांटिक गेटवे हो, पारिवारिक अवकाश हो, या रोमांच से भरा साहसिक ट्रिप।
एचईसीटी इंडिया को क्या बनाता है खास?
एचईसीटी इंडिया अपनी बेस्पोक (व्यक्तिगत रूप से डिज़ाइन की गई) यात्रा योजनाओं के लिए प्रसिद्ध है, जो प्रत्येक ग्राहक की अनूठी जरूरतों को पूरा करती हैं। पारंपरिक ट्रैवल कंपनियों से अलग, एचईसीटी इंडिया रचनात्मकता और व्यावहारिकता का संतुलन प्रस्तुत करता है। हाल ही में, कंपनी ने अपने यूरोप फिक्स्ड टूर पैकेज लॉन्च किए हैं, जो भारतीय पर्यटकों के लिए किफायती, सुव्यवस्थित और शानदार यूरोप यात्रा का अनुभव प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता
कंपनी का प्रभावशाली रिकॉर्ड ग्राहक संतुष्टि और नवाचार के प्रति उसकी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है। अपने ऑफर्स को लगातार बेहतर बनाते हुए और उद्योग की प्रवृत्तियों से आगे रहते हुए, एचईसीटी इंडिया ने देशभर के असंख्य यात्रियों का विश्वास अर्जित किया है।
भारतीय यात्रियों की पसंद
एचईसीटी इंडिया का लक्ष्य है कि वह परिवारों, जोड़ों, साहसिक यात्रियों, और एकल यात्रियों की जरूरतों को पूरा करे। चाहे कोई व्यक्ति मालदीव में हनीमून प्लान कर रहा हो, यूरोप के प्रसिद्ध स्थलों की खोज कर रहा हो, या अफ्रीका में रोमांचक अनुभव की तलाश में हो, एचईसीटी इंडिया हर यात्रा को आरामदायक, सुरक्षित और यादगार बनाता है।
उपलब्धियों का गौरवशाली इतिहास
1 लाख से अधिक सफल यात्राओं के साथ, एचईसीटी इंडिया की उपलब्धियां इसकी उत्कृष्ट सेवाओं और ग्राहकों के साथ मजबूत संबंधों की गवाही देती हैं। इसके नवाचारी समाधान और उत्कृष्ट सेवा गुणवत्ता ने इसे ट्रैवल उद्योग में एक भरोसेमंद नाम बना दिया है।
भविष्य की ओर
एचईसीटी इंडिया निरंतर नवाचार और ग्राहक-केंद्रित समाधानों की दिशा में प्रयासरत है। यूरोप फिक्स्ड टूर पैकेज की लोकप्रियता बढ़ने के साथ, कंपनी अपने पोर्टफोलियो का विस्तार करने और उभरती हुई यात्रा प्रवृत्तियों और गंतव्यों को शामिल करने की योजना बना रही है।
एचईसीटी इंडिया और उसकी सेवाओं के बारे में अधिक जानकारी के लिए, उनकी वेबसाइट www.hectindia.com पर जाएं या info@hectindia.com पर ईमेल करें।
एचईसीटी इंडिया के साथ दुनिया को अपने तरीके से खोजें – जहां हर यात्रा आपके लिए डिज़ाइन की गई है।
नई दिल्ली [भारत], 29 जनवरी: भारत की राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने हेतु संदेश देते हुए, वर्तमान नामधारी मुखी ठाकुर दलीप सिंघ जी ने कहा कि भारत को “विश्व गुरु” बनाने के लिए तथा राष्ट्र की तरक्की करने के लिए; हिन्दी तथा दक्षिणी भाषाओं का झगड़ा मिटाने की आवश्यकता है; तभी भारतवासी एक हो कर, उन्नति कर सकते हैं। सब जानते हैं कि जहां पर भी झगड़े होते हैं; वहां पर उन्नति रुक जाती है तथा देश की हानि होती है। इस कारण, भारतीयों में एकता करवाने के लिए, भारतीय जनता को आगे आने की आवश्यकता है। राष्ट्र की तरक्की करने के लिए, झगड़े मिटाकर एकता होनी चाहिए।
हिन्दी तथा अन्य भाषाओं का आपसी झगड़ा मिटाने के लिए, नामधारी ठाकुर जी ने सर्वोत्तम व सरल उपाय बताया कि सभी भारतीय आपस में मिल कर, भारत में उपजी भाषाओं के शब्द मिला कर, एक नई भाषा बनाएं। जैसे: संस्कृत, हिंदी, मलयालम, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, बंगाली आदि। इस नई भाषा में उर्दू, फारसी जैसी विदेशी भाषाएं, जिन की लिपि तथा मूल विदेशी है: उन के शब्द शामिल नहीं किए जाएंगे। उस भाषा का नाम "भारतीय” भाषा रखें। उस "भारतीय” भाषा को धीरे-धीरे सभी अपना लें: परंतु, भाषा पर झगड़ा करना सदा के लिए बंद कर दें। सभी भारतीय भाषाओं के शब्द सम्मिलित होने के कारण, इस नई भाषा पर किसी को भी कोई आपत्ति नहीं हो सकती। इस प्रकार से, पूरे भारत की एक ही भाषा होगी और वह राष्ट्रभाषा भी बन जाएगी। परंतु, इस के लिए, जनता की आपसी सहमति अत्यंत आवश्यक है।
नामधारी ठाकुर जी ने भारतवासियों को प्रेरित करते हुए कहा कि भाषाओं का झगड़ा समाप्त करने का कार्य, भारतीय जनता ही आपस में मिल कर, कर सकती है; नेता लोग नहीं कर सकते। क्योंकि, जनता को तो झगड़ा मिटा कर शांति स्थापित करनी है तथा देश की तरक्की करनी है। इस लिए, ठाकुर जी ने विनती करते हुए कहा “आइए! हम सब मिलकर एक नई “भारतीय भाषा का आविष्कार करें, जिस में सभी भारतीय भाषाओं के शब्द सम्मिलित हों”।
हिंदी, तामिल, मलयालम, कन्नड़, उड़िया का झगड़ा मिटाइए।
भारतीय भाषाएं मिलाकर नई "भारतीय- भाषा" बनाइए।
ठाकुर जी ने अपनी बात स्पष्ट करते हुए कहा कि सभी को ज्ञात है कि स्वतंत्रता के उपरांत, आज तक भारत की कोई भी, एक राष्ट्रभाषा नहीं बन पाई। हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का प्रयत्न 1947 से ही सभी पार्टियों की सरकारें करती रही हैं, परंतु दक्षिण वाले, हिंदी को प्रवान नहीं करते हैं। सहमति ना होने के कारण ही, किसी को भी सफलता प्राप्त नहीं हुई। विदेशी भाषा ‘अंग्रेजी’ का प्रयोग कर के, सभी प्रांतों के आपसी पत्राचार होते हैं तथा सभी न्यायालयों में आज भी अंग्रेजी से ही कार्य होता है। विदेशी गुलामी का कलंक चिन्ह "अंग्रेजी भाषा" को, जब तक भारतवासी नहीं छोड़ते; तब तक सही रूप में स्वतंत्र नहीं हो सकते। विदेशी भाषा को पूर्ण रूप से त्यागने के लिए, भारतीयों को अपनी ही एक सर्वमान्य (सभी को प्रवान होने वाली) राष्ट्रभाषा चाहिए। जिन दक्षिणी प्रांतों के लोग, हिंदी को राष्ट्रभाषा प्रवान नहीं करते; उन सभी दक्षिणी प्रांतों की भाषाओं में बहुत शब्द ऐसे हैं, जो हिंदी, संस्कृत तथा बाकी भारतीय भाषाओं से भी मिलते हैं। जैसे: करुणा, गुरु, धर्म, दया, नगर, माँ, शास्त्र, अर्थ, रक्त, वर्ष, तिथि, लिंग, संधि, स्वतंत्र आदि। इस कारण, इन सभी भाषाओं के शब्दों को मिला कर, एक नई “भारतीय भाषा” बन सकती है, जो सर्वमान्य हो सकती है। जब सब लोग दक्षिणी प्रांतों की भाषाओं को, नई "भारतीय भाषा” में स्थान देंगे और उन भाषाओं के शब्दों का प्रयोग, हिंदी-भाषी लोग भी आरंभ कर देंगे: तो वह लोग भी उत्तरी-भाषाओं के तथा हिंदी के शब्दों को अपनाना आरंभ कर देंगे।
अंत में, नामधारी ठाकुर दलीप सिंघ जी ने कहा कि यदि नई "भारतीय भाषा" बना कर, उस को लागू नहीं किया गया, तो भारत में अंग्रेजों की गुलामी, उनकी भाषा के रूप में, सदा के लिए चलती ही रहेगी। इस लिए, भारतवासियों को विचार करना चाहिए कि भारत में गुलामी का कलंक चिन्ह: ‘विदेशी-अंग्रेजी-भाषा’ रखनी है: या उस ‘गुलामी-चिन्ह’ से मुक्त हो कर, अपनी नई भाषा बना कर; पूर्ण रूप से स्वतंत्र होना है।
जय भारत।
नामधारी सिख
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में इन दोनों महाकुंभ का पवित्र स्नान चल रहा है।बुधवार के दिन यहां मौनी अमावस का पवित्र स्नान होना है।ऐसे में सवेरे भगदड़ के चलते कई लोग घायल हो गए जिन्हें उपचार के लिए ले जाया गया है।
प्रशासन ने तुरंत ही सतर्कता के सारे प्रयास शुरू कर दिए हैं।बताया जा रहा है कि बुजुर्गों कुछ बुजुर्गों को चक्कर आने के बाद गिर जाने के कारण भगदड़ जाती स्थिति मच गई आपको बता दें कि घटना की जानकारी मिलते ही प्रशासन तत्व हो गया है। इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात कर पूरी सहायता का आश्वासन दिया है। दूसरी ओर सभी श्रद्धालुओं से भी शांति बनाए रखे जाने की अपील की जा रही है। प्रशासन ने वहां गए श्रद्धालुओं से गंगा के नदी की घाट पर ही स्नान कर लेने की अपील की है। उन्हें संगम स्थान तक पहुंचाने के लिए प्रयास नहीं करने की अपील की गई है।
प्रशासन ने इस बारे में सारे ही प्रयास शुरू कर दिए हैं घायलों को अस्पताल ले जाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बना दिया गया है। कुछ लोगों को एयर एंबुलेंस के जरिए भी अस्पताल पहुंचाया जा रहा है।
उल्लेखनीय है की बड़ी संख्या मे लोग महाकुंभ में के स्नान के लिए दूर-दूर से जा रहे हैं लेकिन वहां भगदड़ के कारण रास्ते में ही गाड़ियां रोक ली गई है। के चलते हैं उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ा।
सूरत महानगर पालिका में लोगों को पालिका संबंधित शिकायत के लिए और एक सुविधा प्रदान की है। पालिका ने व्हाट्सएप पर चैटबॉट की सुविधा शुरू की है। इसके माध्यम से शहरीजन अपनी शिकायतें पालिका को बता सकते हैं।
पालिका चैटबोट के माध्यम से लोगों को जल्दी से सुविधा मिल सके इस बारे में प्रयास कर रही है। 63599 30020 नंबर पर लोग अपने शिकायत बता सकते हैं।सूरत महानगरपालिका की ओर से अभी भी लोग मनपा के एप्लीकेशन ऑनलाइन और हेल्प नंबर पर कॉल करके अपनी शिकायत बता रहे हैं।इसके बावजूद लोगों के सरलता के चलते पालिका ने यह कदम उठाया है।
इस पर लोग प्रॉपर्टी टैक्स साफ सफाई पानी आदि की समस्या बता सकते हैं।इसके अलावा इस पर मनपा के अधिकारियों का संपर्क नंबर लाइब्रेरी की जानकारी तथा पालिका के अन्य सुविधाओं की जानकारी भी लोगों को उपलब्ध की जाएगी। महानगरपालिका की ओर से हाल में ही कई कार्यो का लोकार्पण किया गया था। इसी दौरान इस सुविधा को भी लोगों के लिए शुरू कर दिया गया है।पालिका का कहना है कि यह सुविधा शुरू होने के कारण लोगों को अपनी समस्याओं को बताने में और सरलता रहेगी।
जीएसटी डिपार्मेंट ने व्यापारियों के हित में एक बड़ा कदम उठाया है।इसके चलते अब जिन कंपनियों को जीएसटी रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं है लेकिन जीएसटी के नियमों के चलते टैक्स का भुगतान करना जरूरी है उन्हें टेंपरेरी आईडेंटिफिकेशन नंबर दिया जाएगा। जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में या फैसला लिया गया।
जीएसटी विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जीएसटी डिपार्मेंट की ओर से कर प्रणाली को सरल करने के लिए लगातार प्रयत्न किया जा रहा है। किसी के चलते जीएसटी डिपार्मेंट ने यह फैसला किया है।जीएसटी के नियम के अनुसार मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में 40 लाख और 20 लख रुपए से सालाना टाइम कम टर्नओवर वालों को जीएसटी के रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं है।
हालांकि कई नियमों के चलते व्यापारियों को जीएसटी का भुगतान करना जरूरी होता है।ऐसे मामलों में इन व्यापारियों को टेंपरेरी आईडेंटिफिकेशन नंबर दिया जाएगा बताया जा रहा है कि इस नियम के चलते व्यापारियों को भी नियमों के उलझन में नहीं पढ़ना पड़ेगा जीएसटी डिपार्मेंट के इस नियम के चलते व्यापारियों को बड़ी राहत होगी।
सूरत केंद्र सरकार की ओर से आगामी दिनों में लूम्स इंडस्ट्री की मशीनों पर बीआईएस का नियम अमल करने की तैयारी चल रही है। इसके चलते कपड़ा उद्यमियोमें चिंता का माहौल है।कई स्तर पर कपड़ा उद्यमियों ने इस बारे में सरकार से गुहार भी लगाई है। लेकिन अभी तक परिणाम शून्य है। हालांकि कपड़ा उद्यमियों को उम्मीद है कि सरकार उनकी बात पर पुनः विचार करेगी।
मिली जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार की ओर से आगामी 1 अगस्त से विदेश से आयातित कपड़ा उद्योग की वींविग और एम्ब्रायडरी की मशीनों पर बीआईएस स्टैंडर्ड अनिवार्य कर दिया गया है। सूरत में बड़े पैमाने पर चीन, इटली और यूरोप के देशों से वाटर जेट रेपियर,एयर जेट,डिजिटल प्रिंटिंग शादी की मशीन इंपोर्ट की जाती है। सूरत में वर्तमान समय में 30000 से अधिक रेपियर मशीन और 80000 से अधिक वाटर जेट मशीन कार्यरत होगी। इनमें से बड़े पैमाने पर मशीन विदेश से आयात की गई है। कपड़ा उद्योग का कहना है कि अच्छे कपड़े बनाने के लिए विदेश की मशीन ज्यादा कारगर है। स्थानिक उत्पादक भी मशीनों का उत्पादन करते हैं लेकिन यहां के की मशीन इतनी कारगर नहीं साबित हो सकती है। इसलिए विदेश की मशीनों पर आदर रखना पड़ता है।
यदि सरकार की ओर से 1 अगस्त से विदेश से आयातित मशीनों पर बीस सर्टिफिकेट अनिवार्य कर दिया गया तो कपड़ा उद्योग का अपग्रेडेशन रुक जाएगा। साथ ही विदेश में डिमांडके अनुसार कपड़ों का उत्पादन भी मुश्किल हो जाएगा। इसलिए सरकार को इस फैसले पर पुनः विचार करना चाहिए। उल्लेखनीय है कि पॉलिएस्टर कानपुर बीस का अमल अनिवार्य कर दिए जाने के बाद कपड़ा उद्यमी पहले से ही परेशान है। ऐसे में सरकार की ओर से धीमे-धीमे करके अन्य तमाम आवश्यक चीजों पर भी बीस का सर्टिफिकेट जरूरी कर दिए जाने की प्रक्रिया चल रही है। इसे लेकर कपड़ा जमीनों में निराशा का माहौल है।--कपडा उद्योग होगा प्रभावितयदि टेक्सटाइल मशीनरी पर बीआईएस का नियम लागू हुआ तो सूरत के कपड़ा उद्यमियों के लिए मुसीबत बन सकती है।क्योंकि विदेश की मशीन बेहतरीन है।
इसका आयात रुकने से उत्पादन पर असर पड़ने की आशंका है।इसलिए सरकार को इस पर फिर से विचार करना चाहिए।दीपू अग्रवाल,कपड़ा उद्यमी--सरकार से लगाई है गुहारयदि विदेश से आयात होने वाली मशीनों पर बीआईएस अनिवार्य कर दिया जाएगा तो कपड़ा उद्योग के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है। क्योंकि भारत में इतने बड़े पैमाने पर मशीन नहीं बनती हैं। इसके चलते सरकार की ओर से जो लक्ष्य निर्धारित किया गया है वह भी पूरा होने में मुसीबत होगी। इस बारे में चेंबर ऑफ कॉमर्स ने गुहार भी लगाई है।आशीष गुजराती, पूर्व प्रमुख चेंबर ऑफ कॉमर्स