अन्य राज्यों से बेहतर टैक्सटाइल पॉलिसी बनाने के लिए कपड़ा उद्यमियों की गुहार
सूरत
गुजरात की टेक्सटाइल पॉलिसी 31 दिसंबर को समाप्त हो गई है।ऐसे में कपड़ा उद्यमियों को नई टेक्सटाइल पॉलिसी से कई उम्मीदें हैं।कपड़ा उद्योगों का मानना है कि अन्य राज्यों में टेक्सटाइल पॉलिसी में कपड़ा उद्यमियों के लिए कई राहत होने के चलते वहां पर कपड़ा उद्योग का विकास तेजी से हो रहा है।यदि गुजरात की टेक्सटाइल पॉलिसी में कुछ नई चीजों को नहीं शामिल किया गया तो यहां से बड़े पैमाने पर कपड़ा उद्योग का पलायन हो सकता है।इसलिए चेंबर ऑफ कॉमर्स तथा कपड़ा उद्योग के कई संगठनों ने राज्य सरकार से टेक्सटाइल पॉलिसी में कई प्रकार की सब्सिडी की मांग की है।
- चैम्बर तथा कपड़ा संगठन के प्रतिनिधी मिले अधिकारियों से
गत सोमवार को राज्य सरकार के उद्योग और खनिज विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी एस. जे हैदर वित्त मंत्रालय के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी जेपी गुप्ता ने नई टेक्सटाइल पॉलिसी के बारे में चर्चा करने के लिए तमाम स्टेकहोल्डर को बुलाया था। जिसमे की चेंबर ऑफ कॉमर्स से पूर्व प्रमुख आशिष गुजराती तथा किरण ठुम्मर और फिआस्वी के अध्यक्ष भरत गांधी तथा फोगवा के प्रमुख अशोक जीरावाला फोस्टा के प्रमुख कैलाश हकीम आदि उपस्थित रहे। कपड़ा उद्यमियों का कहना था कि गुजरात की पुरानी टेक्सटाइल पॉलिसी में कपड़ा उद्योग के लिए जो मदद है उसे यथावत रखना चाहिए। लेकिन गुजरात अन्य राज्यों की तुलना में पीछे ना रह जाए इसलिए कपड़ा उद्यमियों को आकर्षित करने के लिए अन्य नई चीज भी इसमें शामिल करना चाहिए। जैसे की 30% कैपिटल सब्सिडी साथ 7 प्रतिशत ब्याज सब्सिडी एवम आईटी और एचटी बिजली कनेक्शन के लिए क्रमशः तो और ₹3 प्रति यूनिट इलेक्ट्रिक सब्सिडी होनी चाहिए। - ब्लैकआउट पीरियड नहीं रह सके इस पर भी ज़ोर
अलावा कपड़ा उद्यमियों ने यह भी कहा कि 31 दिसंबर को समाप्त हो रही टेक्सटाइल पॉलिसी का अमल 1 जनवरी 2024 से किया जाना चाहिए ताकि कोई ब्लैकआउट पीरियड नहीं रह सके। सूरत पॉलिएस्टर कपड़ों का सबसे बड़ा उत्पादक शहर है। सूरत में बने कपड़े देश विदेश में बिकते हैं महाराष्ट्र राज्य सरकार ने भी टेक्सटाइल पॉलिसी के विकास के लिए टेक्सटाइल पॉलिसी बीते दिनों में घोषित की थी। जिसमे की कपड़ा उद्यमियों के लिए कई छूट दी गई है।इसलिए कपड़ा जमीन चाहते हैं कि गुजरात की टेक्सटाइल पॉलिसी में भी कई छूट दी जाए जिससे कि गुजरात के कपड़ा उद्यमी महाराष्ट्र की ओर में पलायन नहीं हो।