सगरामपुरा इलाके की रहने वाली 85 साल की सेजलबेन ने अपनी बेटे के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी। 37 साल की खुशहाल शादी के दौरान दंपति की तीन बेटियां और एक बेटा था। बच्चों के प्रति सभी दायित्वों को पूरा करने के बाद 1988 में पति गुलाबभाई की मृत्यु हो गई। किन्ही कारणो से बेटों और माता के बीच मनमुटाव था। यहां तक कि बूढ़ी मां को अपने पोते की शादी में भी आमंत्रित नहीं किया गया था थे।
बेटे के व्यवहार से दुखी माता अपनी बेटे के यहां रहती थी। साथ ही माता ने बेटे राजेशभाई और उनके पत्नी ने खिलाफ वृद्धावस्था में उनकी देखभाल करने में उपेक्षा करने के लिए फैमिली कोर्ट में मुकदमा दायर किया जिसमें बेटे राजेशभाई को 4500 रुपये मासिक गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया गया।
दूसरी ओर अदालत ने समझौता करने की कोशिश के लिए मध्यस्थता के माध्यम से मामले को सुलझाने की कोशिश की। प्रीतिबेन जोशी और मनीष चालिया वाला ने एक छोटी सी बात पर पक्षों के बीच विवाद की जड़ तक पहुंचकर सुलहकर्ता की भूमिका निभाई। राजेश भाई ने भी अपनी माता से सारी शिकायत छोड़कर उन्हें अपने साथ रखने के लिए तैयारी दिखाई। बुजुर्ग मां भी अपने बेटे के खिलाफ छेड़ी गई कानूनी लड़ाई की याचिका वापस ले ली। इस तरह से अलग हो चुके मां और बेटे को सालों बाद एक सुखद सुलह के साथ मिला दिया गया।