सूरत। शहर के पाल स्थित श्री कुशल कांति खरतरगच्छ भवन पाल में युग दिवाकर खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में शनिवार 9 नवंबर को मुमुक्षु ममता और दामिनी को दीक्षा का मुहूर्त प्रदान किया गया। आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी ने कहा कि वर्तमान में समाज घरों और शासन के वातावरण को जब बहुत गहराई से निहारता हैं तो पता चलता है कि वर्तमान का समय कितना बदल गया है।
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बुजुर्ग व्यक्तियों ने चार पीढ़ी ही नहीं चार मौसम देख लिए है। आदेश में अधिकार झलकता है और निर्देश में अपनत्व झलकता है। डिसकशन के वातावरण में व्यक्ति समझने लगता है। डिसकशन में इगो आ जाता है तो यह जहर बन जाता है। डिबेट में व्यक्ति कभी सामने वाले को सुनता नहीं है इसमें सामने वालों की बातों का खंडन करना होता है।
तर्कों का कोई मालिक नहीं होता है। तर्कों के आधार पर बहुत बार झूठ को सही और सही को झूठा साबित किया जा सकता है। उत्तराध्ययन सूत्र इंटेक्शन का शास्त्र है। इसलिए परमात्मा ने विनय से प्रारंभ किया है। दसवां अध्ययन हमें जीवन के बारे में बताता है।