लॉकडाउन के बाद व्यापार अभी अच्छे से शुरू भी नहीं हो पाया कि,कपड़ा उद्योग के अलग-अलग घटकों में पेमेंट को लेकर नए-नए विवाद सामने आ रहे हैं। कल सचिन जीआईडीसी के कपड़ा उद्यमियों ने यार्न और जरी वालों के 60 दिन पुराने पेमेंट पर ब्याज नहीं चुकाने का फैसला किया था।
इसके बाद मंगलवार को साउथ गुजरात टेक्सटाइल प्रोसेसर एसोसिएशन की कारोबारी समिति की बैठक में सभी प्रोसेसर ने प्रिंट और प्रोसेस हुए माल पर नया व्यापार धारा शुरू किया है। नए नियमों के अनुसार अब से बिल का पेमेंट 30 दिनों के अंदर बिना किसी डिस्काउंट के व्यापारियों को चुका देना होगा। 30 दिन के बाद यदि कोई व्यापारी बिल चुकाता है तो उसे डेढा प्रतिशत ब्याज चुकाना होगा और 60 दिन तक ब्याज गिना जाएगा।
व्यापारी यदि 60 दिन तक पेमेंट नहीं देता है तो इसके बाद कोई समय नहीं बढ़ाया जाएगा। साउथ गुजरात टेक्सटाइल प्रोसेसर एसोसिएशन की बैठक में उपस्थित जीतू खारिया ने कहा कि लॉकडाउन के पहले प्रोसेसर व्यापारियों को 90 से 120 दिन की क्रेडिट पर जॉबवर्क कर देते थे। अब तक कोई मिला कर प्रोसेसर का ₹2000 का बकाया है।पेमेंट की व्यवस्था बिगड़ने के कारण प्रोसेसर्र्स को सीसी लिमिट बढ़ानी पड़ी है।
प्रोसेसर्स ने 21 मार्च के पहले की रिकवरी शुरू की है। सभी बड़े प्रोसेसर को लगभग व्यापारियों के पास 7 से 8 करोड रुपए लेने है। दूसरी ओर कपड़ा व्यापारियों का कहना है कि अभी तक व्यापार क्षेत्र शुरू भी नहीं हुआ है कि सब ने पेमेंट के लिए वसूली शुरू कर दी है। कपड़ा व्यापारियों को अन्य राज्यों के व्यापारियों ने तो सीधे कह दिया है कि जब माल बिकेगा तब पेमेंट करेंगे।
ऐसे में व्यापारी कहां से पेमेंट ला सकते हैं। सभी उद्यमियों को इसका ख्याल करना चाहिए। फेडरेशन ऑफ सूरत टेक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन के मनोज अग्रवाल ने कहा कि अन्य राज्यों के व्यापारियों ने अभी पेमेंट नहीं किया है। ऐसे में कोई नई नीति नहीं चलेगी। व्यापारियों और प्रोसेसर के बीच वर्षों पुराना संबंध है वह परस्पर एक-दूसरे को समझकर व्यापार व्यापार कर लेंगे।