सूरत
कोरोना के कारण विश्व भर में महामारी फैली है। कोरोना ने जहां दुनियाभर में महामारी फैला रखी है , वहीं कोरोना के बाद भी हालात मुश्किल नज़र आ रहे है। कोरोना का असर कब समाप्त होगा कह पाना कठिन है लेकिन , कोरोना ठीक होने के बाद भी गाड़ी पटरी पर आने में कम से कम छह महीने लग जाएँगे। ऐसे में बड़े बड़े कोर्पोरेट सेक्टर और उधोगो के लिए भी आगे की डगर संघर्ष पूर्ण नज़र आ रही है।
कई कंपनियाँ कर सकती हैं छँटनी, बेरोज़गारी का भय
कोरोना के बाद दुनिया भर में बड़े पैमाने पर बेरोज़गारी फैलने की आशंका व्यक्त की जा रही है ।इसका उदाहरण अभी तक नज़र आने लगा है ।कई बड़ी कंपनियों ने केंद्र सरकार की ओर से लॉकडाउन के दौरान पूरा वेतन दिए जाने की घोषणा के बावजूद अपने कर्मचारियों को आधा -तिहा वेतन देकर मना लिया ।कोरोना के कारण लॉकडाउन को अभी एक महीना ही हैं हुंआ है कि बड़े बड़े कोर्पेरेट और कई कंपनियाँ हाँफ गई है उन्होंने अंजाने वाले दिनों के लिए अपने कई प्लान में बदलाव कर दिए। नए प्रोजेक्ट और निवेश पर रोक लगा दी। इसका सीधा असर रोजगारी पर होगा।
नोटबंदी और जीएसटी से पहले से प्रभावित थे
नोटबंदी और जीएसटी के चलते कई सेक्टर पहले से प्रभावित थे। भारत में जनवरी से लेकर मई महीना शादी-ब्याह का सीजन रहता है। इस दौरान कपडे, ज्वैलरी, वाहन आदि की जमकर ख़रीद लोग करते है, लेकिन इस बार सीजन शुरू होते ही कोरोना का ग्रहण लग गया। यदि अभी से यह हालात है तो आनेवाले दिनों में क्या होगा अंदाज लगाया जा सकता है।
कोर्पोरेट सेक्टर को लड़नी है लंबी लड़ाई
सभी सेक्टर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर हो ट्रेडिंग या अन्य पर सेक्टरो कोरोना के कारण चौपट हो गए। व्यापार धंधे बंद होने के कारण में श्रमिकों की आमदनी घट गई है ।जहाँ परश्रमिक पर दो वक्त की रोटी के लिए परेशान है ।वहीं पर कॉर्पोरेट सेक्टर बिज़नस चौपट हो जाने से परेशान है।कोरोना समाप्त होते ही तुरंत ही व्यापार नहीं निकल पड़ेगा इसके लिए भी दो से तीन महीने का कम से कम समय लगेगा। कंपनियां मात्र एक महीने में कर्मचारियों का वेतन नहीं चुका पाई वह दो-तीन महीने भला किस तरह कर्मचारियों का निर्वाह कर पाएंगे?
ग्रामीण क्षेत्रों से होने वाली ख़रीद को लगा झटका
भारत का अर्थतंत्र बड़े तौर पर ग्रामीण क्षेत्र पर टिकी है। कोरोना के कारण वहाँ भी लोगों की आय पर चोट पहुँची है। ग्राम्य क्षेत्रों में रहने वाले भी कई लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर से शहर पर टिके हैं ।शहर में बंद का माहौल होने से उनकी हालत भी पतली है एैसे में किसी भी सेक्टर में जल्दी रिकवरी मुश्किल है।
अपने खर्च से ही लाचार कोर्पोरेट सेक्टर
कोरोना कारण व्यापार नहीं होने से वैसे भी कंपनियां बहुत नुक़सान कर रही हैं एक ओर जहाँ उनके स्थानीय ख़र्च भी बढ़ा है वहीं दूसरी ओर बैंकों के लोन ब्याज मंत्री पर टैक्स किराया आदि वे निकालने की जद्दोजहद उन्हें करनी पड़ेगी ।एक और व्यापार बंद बद है और दूसरी ओर बढ़ते ख़र्च ऐसे में किसी के लिए भी सँभल पाना मुश्किल है।
सरकार से उम्मीदे
भारतीय उधोग जगत को इस बुरे वक्त में सरकार से बड़ी उम्मीदें है। कई संगठनों ने सरकार से खुलकर गुहार लगाना भी शुरू कर दिया है। दरअसल वह राज्य और केन्द्र सरकार दोनों से उम्मीदें लगा रहे है। राज्य सरकार से उनकी उम्मीद है कि वह स्थानीय टैक्स में रियायत दे। कुछ महीनों तक बिजली बिल नहीं ले और उनकी पैंडिंग सब्सिडी लौटाए। वहीं केन्द्र सरकार से भी वर्तमान बैंक लोन में रियायत के साथ ही नए लोन की व्यवस्था करे। नई योजना शुरू करें। साथ ही पेन्डिंग सब्सिडी जल्दी जी जाए ।