सूरत
एक ओर वृध्द पिता की मोत पर दूसरी ओर बेटे के पास पिता की अंतिमविधी के लिए भी रूपए नहीं थे उसे दौरान वहां के मुस्लिमों ने मानवता दिखाई।
मिली जानकारी के अनुसार उमरवाडा, जवाहर नगर में रहने वाले वयोवृद्ध दिलीप गज्जर की शनिवार की दोपहर को मौत हो गई। डेढ़ महीने से लॉकडाउन के कारण बेरोजगार हो जाने से उनके पुत्र अनिल के पास अंतिम विधि के लिए भी रुपए नहीं थे। वह परेशान हो गए और पैसे के लिए इधर-उधर कोशिश करने लगे। ऐसे में परिस्थिति समझ चुके उनके पड़ोसी मुस्लिम बिरादरो ने मानवता दिखाई और अनिल भाई का साथ निभाया।मुस्लिम बिरादरो ने अपने खर्च से अंतिमक्रिया के लिए आवश्यक सामान खरीदा और अनिल भाई की मदद की। अंतिमविधी की सारी सामग्री दुकान से ख़रीद लाए और किसी परिचित की तरह मदद में जुट गए। लॉकडाउन के कारण अनिल भाई के नजदीकी रिश्तेदार भी नहीं पहुंच सके थे। परिस्थिति को देखते हुए उनके पड़ोसी मुस्लिमों ने लाश को कंधा भी दिया।
बताया जाता है कि यह सोसायटी हमेशा से ही एकता की मिशाल रही है।इस सोसाइटी में हिंदुओं के सिर्फ एक दो घर ही है। इसके बावजूद यहां कभी भी किसी प्रकार की अशांति नहीं हुई। सोसाइटी में रहने वाले सादिक भाई ने बताया कि दिलीप भाई हमारे बीच में से ही थे। पांव में फैक्चर होने के बाद वह लंबे समय से बिस्तर पर थे।लॉकडाउन के दौरान मुस्लिम बिरादरो ने भी उनकी खूब सेवा की। यदि किसी की मौत के बाद उसे कंधा दिया जाए तो इससे बड़ी मानवता की बात कोई नहीं हो सकती। लॉकडाउन के कारण मुसीबत मे लोग एक दूसरे के काम आ रहे हैं। देशभर में ऐसे कई मामले लॉकडाउन के दौरान सामने आ रहे है।
पिता की मौत और युवक के पास नहीं थे रुपए फिर, कुछ ऐसा हुआ
