सूरत के सरकारी अस्पताल में कोरोना मरीज की उपचार को लेकर आए दिन विवाद आते रहते हैं।इस दौरान सहारा दरवाजा स्थित मनपा संचालित स्मीमेर हॉस्पिटल में मरीज के उपचार के दौरान लापरवाही का आरोप परिवारजनों ने लगाया है।
मिली जानकारी के अनुसार पुणा क्षेत्र की एक सोसाइटी में रहने वाली 70 वर्षीय वृद्धा को कोरोना के लक्षण दिखने पर उन्हें स्मीमेर हॉस्पिटल में ले जाया गया था। 13 जुलाई के रोज उनका कोरोना का रिपोर्ट पॉजिटिव आया। इसके बाद शुक्रवार की शाम को हॉस्पिटल के स्टाफ ने उनके परिवारजनों से बात की और मरीज की तबीयत ठीक होने का बताकर शाम को 6:00 बजे रजत छुट्टी देने की बात कही ।
हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हुई मरीज को महानगरपालिका की बस द्वारा घर तक पहुंचाया जाता है। लेकिन यहां पर मरीज को घर तक नहीं पहुंचाए जाने का आरोप लगाया जा रहा है। इस बारे में स्टाफ का कहना था कि बस में मरीजों की संख्या ज्यादा होने से उन्होंने वृद्धा को का कापोद्रा पुलिस स्टेशन के पास ले जाने के लिए परिवार जनों को कहा था। दूसरी ओर परिवार का कहना था कि जब परिवार जन पहुंचे तो वृद्धा फुटपाथ पर सुलाई गई थी।
परिवारजन वृद्धा को लेकर घर पर पहुंचे और थोड़ी देर में उसकी मौत हो गई। परिवार जनों का आरोप है कि वृद्धा की मौत अस्पताल की लापरवाही के कारण हुई है। इस बारे में इस क्षेत्र के कॉरपोरेटर दिनेश सांवलिया ने मीडिया को बताया कि घटना की जानकारी मिलने पर वृद्धा के घर पहुंचे और ड्यूटी पर के जवाबदार अधिकारियों को फोन किया लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया।
बाद में हॉस्पिटल के डीन को फोन करने पर उन्होंने यह बताया कि नए मरीज आ रहे होने के कारण स्मीमेर हॉस्पिटल में जगह नहीं है। इसलिए पुराने मरीजों को डिस्चार्ज किया जा रहा है। इस प्रकार के जवाब से भी अवाक रह गए थे। कॉरपोरेटर ने आरोप लगाया कि मरीजों को छुट्टी दी जाए तो ठीक है। लेकिन मरीज को दवा भी नहीं दी जाती और घर पर भेज दिया जाता है।
ऐसे में जिम्मेदार किसे माना जाए एक तरफ सरकार की ओर से धन्वंतरि रथ और 104 की सेवा चालू की जा रही है जिसमें की हेल्प की टीम घर पर आ रही है और दूसरी और इतनी बड़ी लापरवाही भी की जा रही है यह आश्चर्यजनक है।