वॉशिंगटन ।
कोरोना को लेकर दुनिया के देश अब एक दूसरे पर आरोप- प्रत्यारोप लगा रहे है। अमरीका और चीन जैसे देश भी इस आरोप- प्रत्यारोप में लग गए है।
खबर है कि अमेरिका की एक कंपनी ने चीन सरकार पर कोरोना फैलाने के लिए ज़िम्मेदार ठहराते हुए 20 ट्रिलियन डॉलर हर्जाने का मुकदमा ठोक है। कंपनी का आरोप है कि चीन ने वायरस का प्रसार एक जैविक हथियार के रूप में किया है। इससे दुनिया बर्बाद हो रही है
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अमेरिका के टेक्सास की कंपनी बज फोटोज, वकील लैरी क्लेमैन और संस्था फ्रीडम वाच ने मिलकर चीन सरकार, चीनी सेना, वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, वुहान इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर शी झेनग्ली और चीनी सेना के मेजर जनरल छेन वेई के खिलाफ केस किया है।
केस का आधार यह है कि चीनी सत्ता वाहक एक जैविक हथियार तैयार कर रहे थे और अचानक वायरस फैला गया । इस आधार पर उन्होंने चीन से 20 ट्रिलियन डॉलर का हर्जाना मांगा है।
आप को जानकर आश्चर्य होगा कि जितनी बड़ी रक़म का दावा किया गया उतना चीन का कुल जीडीपी भी नही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि चीन का शिकार अमेरिकी नागरिकों को मारने और बीमार करने की साजिश था।
केस मे यह भी आरोप वुहान वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट द्वारा यह वायरस जानबूझकर छोड़ा गया है। चीन ने कोरोना वायरस का ‘निर्माण’ दुनिया में बड़े पैमाने पर जन मानस को बर्बाद करने के लिए किया है। मुकदमे में कहा गया है कि जैविक हथियारों को 1925 में ही गैरकानूनी घोषित कर दिया गया है और इन्हें जनसंहार के आतंकी हथियार के रूप में देखा जा सकता है।
मीडिया में आई कई खबरों का भी हवाला देकर कहा है कि चीन में केवल एक माइक्रोबायोलॉजी लैब वुहान में है जो नोवेल कोरोना जैसे अत्याधुनिक वायरस से निपट सकती है। चीन ने कोरोना वायरस के बारे में इसके बयानों को राष्ट्रीय सुरक्षा प्रोटोकॉल का बहाना बनाकर है।
उल्लेखनीय है कि कोरोना के कारण चीन में अब तक सबसे अधिक लोगों की जान जा चुकी है। इसके बाद इटली में भी मृतांक बढ़ते जा रहा है। भारत में भी परिस्थिति बिगड़ रही है। अब एक दूसरे पर आरोप- प्रत्यारोप लगाने का सिलसिला शुरू ह गया है।