अपरिग्रही व अकिंचन साधु नायक के समान : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण

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जन-जन को सन्मार्ग दिखाने के लिए, मानव-मानव में मानवता का संचार करने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमणजी, जिन्होंने अब तक 58 हजार किलोमीटर की पदयात्रा कर ली है, वर्तमान में भारत के समृद्ध प्रदेश गुजरात के डायमण्ड व सिल्क के लिए दुनिया भर में मशहूर शहर सूरत में अपना वर्ष 2024 का चतुर्मास कर रहे हैं। ऐसे मनस्वी आचार्य की मंगल सन्निधि भी अपने आप में आध्यात्मिकता से भावित करने वाली होती है, किन्तु इस समय नवरात्र चल रहा है तो ऐसे महामानव की मंगल सन्निधि में आध्यात्मिक अनुष्ठान का क्रम भी अनवरत जारी है। 

गुरुवार को महावीर समवसरण में उपस्थित श्रद्धालुओं को मंगल प्रवचन से पूर्व आचार्यश्री महाश्रमणजी ने आध्यात्मिक अनुष्ठान का प्रयोग कराया। तत्पश्चात युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने भक्तिमान जनता को आयारो आगम के माध्यम से पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि जिस साधु के पास अपरिग्रह का विशेष धन होता है, मानों वह तीन लोक का स्वामी होता है। परिग्रह रूपी धन रखने वाले तो मानों सीमित धन रखने लोग हो सकते हैं, किन्तु जो साधु अपरिग्रह वाला होता है, अकिंचन होता है, उसे ग्रंथों में तीन लोकों का स्वामी कहा गया है। अकिंचन व अपरिग्रह से युक्त साधु नायक कहलाता है। 

राजनीति में लो लीडरशीप करने वाला राजनेता होता है। समाज में जो प्रमुख होता है, वह समाजनेता हो सकता है। राजतंत्र में राजा को नेता मान लें, लेकिन जो साधु ममत्व का त्यागी और अपरिग्रही होता है, वह नायक होता है। नेता होने वाले आदमी में भी अर्हता, योग्यता होनी चाहिए। नेता को प्रज्ञावान, बुद्धिमान, समझदार, सादाचार सम्पन्न होना चाहिए। नेतृत्व करने वाले में सहनशीलता होनी चाहिए। नेता को धैर्यवान भी होना चाहिए। नेता को परिश्रमी और उद्योगशील होना चाहिए। जो परिश्रमी होता है, उसका लक्ष्मी वरण करती हैं। इसलिए जो अपरिग्रही और अकिंचन साधु त्यागी होता है, वह अपने साथ दूसरों का भी कल्याण करने वाला होता है, उसे नायक भी कहा जाता है। 

भारत के प्रमुख उद्योगपति, पद्मविभूषण श्री रतन टाटा के निधन पर आचार्यश्री ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह दुनिया का नियम है कि आदमी जन्म लेता है, जीवन जीता है और एक दिन चला जाता है। अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी ने भी अणुव्रत पुरस्कार श्री रतन टाटाजी को प्रदान किया था। आज जानकारी मिली कि वे संसार में नहीं रहे। उनकी आत्मा आध्यात्मिक गति-प्रगति करे और कभी मोक्ष का वरण करे, आध्यात्मिक मंगलकामना। तेरापंथ महिला मण्डल-सूरत की अध्यक्ष की श्रीमती चंदा भोगर ने अपनी अभिव्यक्ति दी। सूरत तेरापंथ महिला मण्डल ने समृद्ध राष्ट्र परियोजना के अंतर्गत धूमकेतु प्राथमिकशाला एवं डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णनन प्राथमिकशाला को संरक्षण में लेकर संस्कारी बनाने कार्यशाला आयोजन करने के उपरान्त आज उन प्राथमिकशालाओं के बच्चों के साथ आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में उपस्थित थे। 

आचार्यश्री ने उन्हें पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि विद्यार्थियों में अच्छे संस्कार आएं। इसके लिए सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति की भावना जीवन में रहे। आचार्यश्री ने विद्यार्थियों को संकल्पत्रयी भी स्वीकार कराई।