सूरत
हीराउद्योग के लिए परिस्थिति विषम होते जा रही है,जिस तरह से आयात के आंकड़े दिख रहे हैं।इसके चलते हीरा उद्योग में चिंता का माहौल फैल गया है। एक तरह से हीरा उद्योग के लिए खतरे की घंटी कहा जा सकता है। हीरा उद्योग में बीते 1 साल में करफ हीरो के खरीदी में 35 प्रतिशत की कमी आई है। अर्थात की हीरो का कारोबार 36 प्रतिशत सिमट गया।हीरा उद्योग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बीते तीन साल से हीराउद्योग मंदी के दौर से गुजर रहा है। 90% कट और पॉलिश्ड का हीरो का उत्पादन करने वाला सूरत शहर इन दोनों हीरा उद्योग के भविष्य को लेकर चिंतित है। बड़ी संख्या में हीरा यूनिटों में हीरा श्रमिकों की छंटनी कर दी गई है। कई श्रमिकों ने लेबग्रोन डायमंड का हाथ थाम लिया है।
श्रमिक दिवाली के बाद 50% अधिक हीरा कारखाने में कामकाज नहींवत के बराबर है।इसके चलते हीरा श्रमिक भी गांव से नहीं लौटे।कई हीरा श्रमिकों ने तो स्कूलों में से अपने बच्चों के नाम भी कटवा लिए हैं। कुल मिलाकर स्थिति विषम साबित हो रही है। हीरा उद्यमियों ने बजट में भी आर्थिक पैकेज की मांग की थी लेकिन हीरा श्रमिकों के लिए बजट में कुछ भी नहीं दिखा। कामकाज कम हो जाने के कारण हीरा श्रमिकों की हालत पतली है। नेचुरल हीरो का कारोबार लगातार घट रहा है। रफ हीरो का आयात बीते 1 साल में 35% घट गया है। दिसंबर 2023 में 10,919 करोड रुपए करोड रुपए के हीरो का इंपोर्ट किया गया था। इसके मुकाबले वर्तमान वर्ष 2024 में 7,115 करोड रुपए के हीरो का इंपोर्ट किया जा सका है। अर्थात की 35% की कमी आई है। हीरा उद्यमी इसे लेकर चिंतित है।
हीरा उद्योग की लगातार बदलती स्थिति को देखते हुए हीरा उद्यमियों ने भी अपना रुख बदला है।काम चालू रखने के लिए लेब्रग्रोन डायमंड का उत्पादन करना और उसे कट पॉलिश्ड करना शुरू किया है लेकिन जिस तरह से मंदी का दौर है।इसके चलते लैबग्रोन डायमंड में भी मंदी दिखने लगी है। लेबग्रोन डायमंड का भी एक्सपोर्ट घट रहा है। दिसंबर महीने की बात करें तो वर्ष 2023 की अपेक्षा 2024 में लेबग्रोन डायमंड के निर्यात में चार प्रतिशत की कमी आई है।दिसंबर 2023 में 696 करोड रुपए के मुकाबले इस साल दिसंबर में 670 करोड रुपए के ही कट पॉलिश्ड हीरो का निर्यात किया जा सका। डायमंड वर्कर यूनियन ने हाल में ही एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया है कि हीरा उद्योग में कामकाज घटने के चलते आर्थिक तौर से परेशान हो चुके हीरा श्रमिकों में निराशा का दौर है।बीते 2 साल में 50 से अधिक खीर श्रमिकों ने आत्महत्या कर ली है।राज्य सरकार से भी इस बारे में आर्थिक पैकेज घोषित करने की गुहार लगाई है लेकिन अभी तक किस बारे में कोई सकारात्मक कदम नहीं दिखा।