सूरत केंद्र सरकार की ओर से आगामी दिनों में लूम्स इंडस्ट्री की मशीनों पर बीआईएस का नियम अमल करने की तैयारी चल रही है। इसके चलते कपड़ा उद्यमियोमें चिंता का माहौल है।कई स्तर पर कपड़ा उद्यमियों ने इस बारे में सरकार से गुहार भी लगाई है। लेकिन अभी तक परिणाम शून्य है। हालांकि कपड़ा उद्यमियों को उम्मीद है कि सरकार उनकी बात पर पुनः विचार करेगी।
मिली जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार की ओर से आगामी 1 अगस्त से विदेश से आयातित कपड़ा उद्योग की वींविग और एम्ब्रायडरी की मशीनों पर बीआईएस स्टैंडर्ड अनिवार्य कर दिया गया है। सूरत में बड़े पैमाने पर चीन, इटली और यूरोप के देशों से वाटर जेट रेपियर,एयर जेट,डिजिटल प्रिंटिंग शादी की मशीन इंपोर्ट की जाती है। सूरत में वर्तमान समय में 30000 से अधिक रेपियर मशीन और 80000 से अधिक वाटर जेट मशीन कार्यरत होगी। इनमें से बड़े पैमाने पर मशीन विदेश से आयात की गई है। कपड़ा उद्योग का कहना है कि अच्छे कपड़े बनाने के लिए विदेश की मशीन ज्यादा कारगर है। स्थानिक उत्पादक भी मशीनों का उत्पादन करते हैं लेकिन यहां के की मशीन इतनी कारगर नहीं साबित हो सकती है। इसलिए विदेश की मशीनों पर आदर रखना पड़ता है।
यदि सरकार की ओर से 1 अगस्त से विदेश से आयातित मशीनों पर बीस सर्टिफिकेट अनिवार्य कर दिया गया तो कपड़ा उद्योग का अपग्रेडेशन रुक जाएगा। साथ ही विदेश में डिमांडके अनुसार कपड़ों का उत्पादन भी मुश्किल हो जाएगा। इसलिए सरकार को इस फैसले पर पुनः विचार करना चाहिए। उल्लेखनीय है कि पॉलिएस्टर कानपुर बीस का अमल अनिवार्य कर दिए जाने के बाद कपड़ा उद्यमी पहले से ही परेशान है। ऐसे में सरकार की ओर से धीमे-धीमे करके अन्य तमाम आवश्यक चीजों पर भी बीस का सर्टिफिकेट जरूरी कर दिए जाने की प्रक्रिया चल रही है। इसे लेकर कपड़ा जमीनों में निराशा का माहौल है।--कपडा उद्योग होगा प्रभावितयदि टेक्सटाइल मशीनरी पर बीआईएस का नियम लागू हुआ तो सूरत के कपड़ा उद्यमियों के लिए मुसीबत बन सकती है।क्योंकि विदेश की मशीन बेहतरीन है।
इसका आयात रुकने से उत्पादन पर असर पड़ने की आशंका है।इसलिए सरकार को इस पर फिर से विचार करना चाहिए।दीपू अग्रवाल,कपड़ा उद्यमी--सरकार से लगाई है गुहारयदि विदेश से आयात होने वाली मशीनों पर बीआईएस अनिवार्य कर दिया जाएगा तो कपड़ा उद्योग के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है। क्योंकि भारत में इतने बड़े पैमाने पर मशीन नहीं बनती हैं। इसके चलते सरकार की ओर से जो लक्ष्य निर्धारित किया गया है वह भी पूरा होने में मुसीबत होगी। इस बारे में चेंबर ऑफ कॉमर्स ने गुहार भी लगाई है।आशीष गुजराती, पूर्व प्रमुख चेंबर ऑफ कॉमर्स