प्रवीण मिश्रा का डबल सम्मान: डिजिटल कनेक्टिविटी में नया अध्याय लिखते हुए

नई दिल्ली [भारत], 25 नवंबर: भारत के गौरव, प्रवीण मिश्रा, ने डिजिटल नवाचार के क्षेत्र में इतिहास रचते हुए एक ही सप्ताह में दो प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त किए हैं। पहले हाउस ऑफ कॉमन्स, लंदन में उन्हें “साल के सबसे प्रभावशाली स्टार्टअप” के लिए सम्मानित किया गया और अब उन्हें “भारत विभूषण पुरस्कार 2024” से नवाजा गया है। यह सम्मान उनकी कंपनी ओम्फ के द्वारा डिजिटल विश्वास और विश्वसनीयता के माध्यम से कनेक्टिविटी को नए आयाम देने की दिशा में किए गए योगदान को मान्यता देता है।

ओम्फ, भारत का पहला डिसेंट्रलाइज्ड सोशल क्रेडिबिलिटी एआई प्लेटफ़ॉर्म, पारंपरिक सोशल मीडिया के सीमित दृष्टिकोण से परे जाकर, विश्वास और प्रामाणिकता को डिजिटल इकोसिस्टम का केंद्र बनाने का काम कर रहा है।

प्रवीण मिश्रा का वक्तव्य:
“ओम्फ केवल एक प्लेटफ़ॉर्म नहीं है, यह एक वादा है—एक ऐसा वादा जो तकनीक को लोगों के जीवन में सशक्तिकरण और विकास का माध्यम बनाता है।”

ओम्फ: डिजिटल युग में विश्वास का एक नया मॉडल

ओम्फ एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है जो तकनीकी प्रगति और सामुदायिक सशक्तिकरण को जोड़ता है। ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) प्रोटोकॉल के माध्यम से, यह सरकारों, व्यवसायों और नागरिकों को एक साथ लाने का काम करता है। यह उपयोगकर्ताओं की डिजिटल प्रतिष्ठा को आर्थिक मूल्य में बदलने का एक अनोखा अवसर प्रदान करता है।

भारत विभूषण पुरस्कार: नवाचार की मान्यता

इंस्टीट्यूट फॉर सोशल रिफॉर्म्स एंड हायर एजुकेशन चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा प्रदान किया गया भारत विभूषण पुरस्कार, उन व्यक्तियों और संगठनों को सम्मानित करता है जिन्होंने नवाचार और सामाजिक प्रगति में उल्लेखनीय योगदान दिया है।

यह सम्मान प्रवीण मिश्रा की उस सोच को मान्यता देता है जो तकनीक को केवल एक उपकरण नहीं, बल्कि सामुदायिक और आर्थिक विकास का माध्यम मानती है।

अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को मजबूती

प्रवीण मिश्रा का हाउस ऑफ कॉमन्स और भारत विभूषण पुरस्कार दोनों ही यह दर्शाते हैं कि भारत आज तकनीकी नवाचार के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व कर रहा है। डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के उद्देश्यों को पूरा करने में ओम्फ जैसे स्टार्टअप्स महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

डिजिटल युग का नायक – प्रवीण मिश्रा और ओम्फ का वैश्विक और राष्ट्रीय सम्मान

दिल्ली, 26 नवंबर: डिजिटल नवाचार के क्षेत्र में भारत के योगदान को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिलते हुए, प्रवीण मिश्रा, संस्थापक और सीईओ ओम्फ, ने एक सप्ताह के भीतर दो प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त किए हैं। पहले हाउस ऑफ कॉमन्स, लंदन में “साल के सबसे प्रभावशाली स्टार्टअप” के लिए सम्मानित किया गया और अब उन्हें “भारत विभूषण पुरस्कार 2024” से सम्मानित किया गया है।

ओम्फ: डिजिटल क्रांति का नेतृत्व

ओम्फ एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है जो विश्वास और विश्वसनीयता को डिजिटल कनेक्टिविटी का आधार बनाता है। पारंपरिक सोशल मीडिया की तुलना में, ओम्फ उपयोगकर्ताओं को उनकी डिजिटल प्रतिष्ठा को वास्तविक आर्थिक लाभ में बदलने की सुविधा देता है।

प्रवीण मिश्रा कहते हैं:
“डिजिटल नवाचार का असली उद्देश्य लोगों को सशक्त करना और समुदायों को मजबूत बनाना है। ओम्फ इस विचारधारा का प्रतीक है।”

भारत विभूषण पुरस्कार: नवाचार और सामाजिक प्रगति की मान्यता

यह प्रतिष्ठित पुरस्कार, जो इंस्टीट्यूट फॉर सोशल रिफॉर्म्स एंड हायर एजुकेशन चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा प्रदान किया जाता है, उन व्यक्तियों और संगठनों को मान्यता देता है जो समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए नवाचार का उपयोग कर रहे हैं।

स्थानीय से वैश्विक: ओम्फ का प्रभाव

भारत के डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियानों के अनुरूप, ओम्फ एक ऐसा मॉडल प्रस्तुत करता है जो स्थानीय व्यापार को बढ़ावा देने के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर विस्तार की संभावनाएं प्रदान करता है।

आगे का रास्ता

ब्लॉकचेन तकनीक और स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स के आगामी इंटीग्रेशन के साथ, ओम्फ डिजिटल इकोनॉमी में एक नई क्रांति लाने के लिए तैयार है। यह प्लेटफ़ॉर्म न केवल डिजिटल कनेक्टिविटी को मजबूत करेगा, बल्कि आर्थिक और सामाजिक समानता को भी बढ़ावा देगा।

प्रवीण मिश्रा का यह डबल सम्मान भारत की बढ़ती वैश्विक प्रतिष्ठा और तकनीकी नेतृत्व का प्रतीक है। ओम्फ के माध्यम से, वे यह सिद्ध कर रहे हैं कि विश्वास केवल एक मूल्य नहीं, बल्कि एक बेहतर भविष्य की नींव है।

मुंबई के मोटरसाइकिलिंग आइकन, बादल एस. दोशी, ने INRSC में ऐतिहासिक डबल पोडियम हासिल किया

मुंबई, 11 नवंबर: भारतीय मोटरसाइक्लिंग के पर्याय बादल एस. दोशी ने मोटरस्पोर्ट्स में अपनी विरासत को और मजबूत करते हुए दो महत्वपूर्ण मील के पत्थर हासिल किए हैं अनुभवी रेसर ने FMSCI इंडियन नेशनल रैली स्प्रिंट चैंपियनशिप (INRSC) के चौथे राउंड में दोहरी पोडियम फिनिश हासिल की, 550cc ओपन और प्राइवेटियर क्लास दोनों में शीर्ष स्थान प्राप्त किया। ओपन 550cc श्रेणी में, दोशी ने 4:35.600 का प्रभावशाली समय लिया और अपने प्रतिद्वंद्वियों अमरेंद्र साठे और अभिषेक पर्देसी को पीछे छोड़ दिया।

स्वीडन में दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित एंड्यूरो इवेंट, गोटलैंड ग्रैंड नेशनल को पूरा करने वाले पहले भारतीय बनकर दोशी ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। इस दौड़ में 25-किमी के कड़े लूप में 3,600 से अधिक राइडर्स ने भाग लिया। अपनी KTM450 2024 लिमिटेड एडिशन अर्जेंटीना 6 डेज बाइक पर दोशी ने 10°C के तापमान में चुनौतीपूर्ण और फिसलन भरे ट्रैक का सामना किया।पहले लूप में उन्होंने 100 से अधिक राइडर्स को पार किया और कई कठिनाइयों के बावजूद इस कठिन दौड़ को पूरा किया, जिसमें अपने क्लास में 450 में से 294वां स्थान हासिल किया।

दोशी ने अपने परिवार, KTM स्कैंडेनेवियन, मिशलिन और स्वीडन में अपने नए दोस्तों का आभार व्यक्त किया।गोटलैंड ग्रैंड नेशनल में उनकी भागीदारी ने भारतीय मोटरस्पोर्ट्स के लिए एक नई मिसाल कायम की है और आने वाली पीढ़ियों को सीमाओं से परे जाने के लिए प्रेरित किया है।

दो संप्रदायों के संत समुदाय का आध्यात्मिक मिलन!

-महातपस्वी महाश्रमण से नारायणमुनि स्वामी सहित अनेक संतों का हुआ समागमन

-विकृति में नहीं, प्रकृति में रहे मानव : मानवता के मसीहा महाश्रमण

18.10.2024, शुक्रवार, वेसु, सूरत (गुजरात) :

जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में शुक्रवार को प्रातः स्वामीनारायण सम्प्रदाय के सारंगपुर स्थित संत तालिम केन्द्र के मुख्य सिनियर संत नारायणमुनि स्वामी, स्वामीनारायण मंदिर-सूरत के उत्तमप्रकाश स्वामीजी सहित अनेक संत उपस्थित हुए। मंगल प्रवचन से पूर्व आचार्यश्री के प्रवास कक्ष में ही सभी ने आचार्यश्री को वंदन-अभिनंदन कर स्थान ग्रहण किया। आचार्यश्री का उनसे लम्बे समय तक वार्तालाप का क्रम रहा। वार्तालाप के उपरान्त आचार्यश्री संग स्वामीनारायण संप्रदाय के संत भी आज के मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में सहभागी बनने के लिए उपस्थित हुए। 

महावीर समवसरण में मंच पर युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की श्वेत वस्त्रधारी संत शोभायमान हो रहे थे तो दूसरी ओर स्वामीनारायण संप्रदाय के संत केशरिया वस्त्र में सुशोभित हो रहे थे। समुपस्थित जनता को युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि आयारो आगम में बताया गया है कि शब्द, रूप, रस, गंध और स्पर्श- इनको ग्रहण करने के लिए हमारी पांच इन्द्रियां कान, आंख, जिह्वा, नाक और त्वचा हैं। कान से शब्द को ग्रहण किया जाता है। आंखों के द्वारा रूप को देखते हैं। नाक से गंध से लेते हैं। जिह्वा से स्वाद लेते हैं, चखते हैं। त्वचा से स्पर्श का अनुभव करते हैं। पांच इन्द्रियों के पांच व्यापार अर्थात् ये पांच प्रवृत्तियां करता है। 

इन पांच इन्द्रियों से आदमी विषयों को ग्रहण कर ज्ञान प्राप्त करते हैं। जहां तक ज्ञान की बात है, वहां तक तो ठीक है, लेकिन जहां इन्द्रियों के विषयों के ग्रहण करने में राग-द्वेष आ गया, वहां विकृति आ जाती है। जैसे आदमी कुछ सुना, गुस्से में आ गया, किसी को देखा क्रोध से तमतमा उठा। इस प्रकार की विकृति आ जाती है, वहां बात ठीक नहीं होती, इसलिए आदमी को विकृति में नहीं अपनी प्रकृति में रहने का प्रयास करना चाहिए। सुनना और देखना प्रवृत्ति होता है, लेकिन राग-द्वेष करना वह मानव की विकृति हो जाती है। जितना संभव हो सके, आदमी को प्रकृति में रहने का प्रयास करें। जो सुनने लायक हो, उसे सुनने का प्रयास हो और जो देखने लायक हो उसे देखने का प्रयास करें और नहीं देखने लायक है, उसे नहीं देखना चाहिए। आदमी को अपने इन्द्रियों को संयमित रखने का प्रयास करना चाहिए। 

आचार्यश्री ने समुपस्थित स्वामीनारायण संप्रदाय के साधु और संतों को भी पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि धर्म-अध्यात्म की साधना करते हुए जनता का जितना कल्याण कर सकें, करने का प्रयास होता रहे। 

आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त स्वामी नारायणमुनि स्वामी ने जनता को उद्बोधित करते हुए कहा कि आज हमें बहुत आनंद हो रहा है, कि आज हम सभी को गुरु महाराज आचार्यश्री महाश्रमणजी के पास आने का अवसर मिला है। आज के अवसर पर मुझे आचार्यश्री महाप्रज्ञजी की स्मृति हो रही है। जब वे पधारे थे, तब आप भी उपस्थित थे। आप सभी परम सौभाग्यशाली हैं जो ऐसे संत के नित्य दर्शन करने और सत्संग श्रवण करने का लाभ प्राप्त कर रहे हैं। संतों का समागम बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। 

मुनि वंदनदासजी स्वामी ने भी अपने विचारों की अभिव्यक्ति दी और अपने प्रमुख स्वामी महंतजीस्वामी के शुभेच्छा पत्र का वाचन श्री जिग्नेश नरोला ने किया। चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री संजय सुराणा ने डॉ. राधाकृष्ण देव का परिचय प्रस्तुत किया। डॉ. राधाकृष्ण देव ने भी अपनी अभिव्यक्ति दी। 

आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में आज जैन विश्व भारती की ओर जय तुलसी विद्या पुरस्कार समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें इस वर्ष का यह पुरस्कार जैन विश्व भारती के पदाधिकारियों द्वारा भगवान महावीर यूनिवर्सिटी, सूरत को प्रदान किया गया। श्री विजय सेठिया ने चौथमल कन्हैयालाल सेठिया चैरिटेबल ट्रस्ट की जानकारी प्रस्तुत की। भगवान महावीर युनिवर्सिटि के प्रेसिडेंट श्री संजय जैन ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री ने इस संदर्भ में पावन आशीर्वाद प्रदान किया। इस कार्यक्रम का संचालन जैन विश्व भारती के मंत्री श्री सलिल लोढ़ा ने किया। तेरापंथ महिला मण्डल-छापर ने अपनी प्रस्तुति दी।

खुशबू पाठक रूपारेल के तितली डिज़ाइनर स्टूडियो ने नवरात्रि का शानदार सतरंगी कलेक्शन लोन्च किया

वडोदरा,08 अक्टूबर : खुशबू पाठक रूपारेल द्वारा स्थापित तितली डिज़ाइनर स्टूडियो ने 13 से 15 सितंबर तक अहमदाबाद में आयोजित टाइम्स फैशन वीक 2024 में धमाकेदार शुरुआत की। स्टूडियो ने अपने शानदार नवरात्रि कलेक्शन, सतरंगी का लोन्च किया, जिसे पारंपरिकता और आधुनिकता के अनोखे मिश्रण के लिए शानदार प्रशंसा मिली। फैशन प्रेमी और आलोचक समान रूप से सतरंगी कलेक्शन के बोल्ड डिज़ाइन्स तथा शानदार कपड़े से काफी प्रभावित हुए। सतरंगी कलेक्शन नवरात्रि का एक ऐसा नया कलेक्शन है जिसमें चनिया चोली सिरिज को बदलते समय के अनुरूप डिज़ाइन किया गया है। खुशबू पाठक रूपारेल ने इस कलेक्शन के पीछे अपनी प्रेरणा को बताते हुए कहा, “सतरंगी में हमने बदलते समय के अनुसार मोर्डनाईजे़शन के साथ नवरात्रि की समृद्ध परंपराओं को भी निरंतर रखने का लक्ष्य रखा। संग्रह में प्रत्येक चनिया चोली उच्च गुणवत्ता वाले गज्जी रेशम से बनी है, जिसमें जटिल मिरर वर्क और धागे का सूक्ष्म काम किया गया है, जो नवरात्रि की सिज़न की भावना को प्रदर्शित करता है।

सतरंगी को हकीकत में जो चीज अनोखी बनाती है, वह है गरबे की परंपरा के डिजाइन्स को बदले बिना आसानी से पहनी  जा सके इसका ध्यान रखना। घुमावदार स्कर्ट, लाईव पैटर्न और आकर्षक डिज़ाइन्स को नृत्य के सबसे बड़े उत्सव को उतने ही उत्साह के साथ मनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। चाहे मिरर वर्क की चमक हो, अलग अलग कलर्स की आभा हो या अनोखे डिजाइन्स, तितली डिज़ाइनर स्टूडियो का सतरंगी कलेक्शन यह सुनिश्चित करता है कि पहनने वाले हर गरबे में सेन्टर ओफ ऐट्रेक्शन बनें। जो लोग अपने नवरात्रि  स्टाईल को बदल कर इनोवेटिव करना चाहते हैं उन्हें तितली डिज़ाइनर स्टूडियो आमंत्रित करता है। सतरंगी कलेक्शन अब खरीदने के लिए उपलब्ध है। सतरंगी कलेक्शन को देखने या खरीदने के लिए तितली डिज़ाइनर स्टूडियो, ए-10, ब्रजधाम सोसायटी, अक्षर चौक, ओ.पी. रोड़, वडोदरा पर जरूर पधारें ।

घुटने के प्रसिद्ध सर्जन डॉ. मनु शर्मा ने गुजरात को दिलवाया राष्ट्रीय सम्मान

पश्चिम भारत में सबसे अधिक सर्जरी करने वाले डॉ. शर्मा को केन्द्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने किया सम्मानित

अहमदाबाद: गुजरात के प्रसिद्ध घुटने के सर्जन डॉ. मनु शर्मा ने हाल ही में दिल्ली में एक पुरस्कार समारोह में राज्य को राष्ट्रीय पहचान दिलाई है। 25 सितंबर, 2024 को केंद्रीय मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया के हाथों घुटने की सर्जरी के क्षेत्र् में डॉ. शर्मा के असाधारण योगदान के लिए भारत के रत्न पुरस्कार प्रदान किया गया।

मुख्य रूप से सूरत के शेल्बी अस्पताल से जुडे़ डॉ. शर्मा ने एक अनूठी, दर्द रहित तकनीक का उपयोग करके 13,000 से अधिक घुटनों की सफलतापूर्वक सर्जरी की है । उनकी सर्जरी की खास बात यह है कि सर्जरी के तुंरत बाद पेशेन्ट तैराकी या घुड़सवारी जैसे कठिन कार्य करने की क्षमता प्राप्त कर सकता है। वर्तमान में, वे पश्चिमी भारत में सबसे अधिक संख्या में सर्जरी करने वाले सर्जन हैं।

डॉ. मनु शर्मा जो सूरत के अलावा नियमित रूप से वडोदरा में भी अपनी सेवाएं देते हैं । डॉ. शर्मा कहते हैं कि वे गुजरात और विशेष रूप से सूरत को घुटने की सर्जरी के लिए एक अंतरराष्ट्रीय केंद्र के रूप में विकसित करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “हमारे पास सभी नवीनतम तकनीकें और प्रशिक्षित कर्मचारी हैं। हर साल सैकड़ों एनआरआई घुटने की सर्जरी के लिए यहां आते हैं, जो इस बात का सबूत है कि हम किसी भी अंतरराष्ट्रीय मानक के बराबर हैं।”

डॉ. शर्मा अपनी अप्रतिम सफलता का श्रेय अपने हजारों रोगियों के आशीर्वाद को देते हैं, और कहते हैं, “मुझे यह सम्मान मेरे 13,000 से अधिक रोगियों के आशीर्वाद के कारण मिला है।”

डॉ. शर्मा जरूरतमंद लोगों के लिए प्रतिदिन तीन सर्जरी भी करते हैं, जिसके लिए वे बहुत कम शुल्क लेते हैं । जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया से घुटने की आधुनिक टेक्नोलोजी में विशेषज्ञता हांसिल करने वाले डॉ. शर्मा को अतीत में भी कईं पुरस्कार मिल चुके हैं। हालांकि, यह सम्मान न केवल राष्ट्रीय स्तर पर उनकी ख्याति को उजागर करता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उनकी की प्रतिष्ठा को बढ़ाने की राह पर एक कदम है।

23 वर्षों के संघर्ष के बाद Actor Raj Baasira का सपना हुआ साकार, ‘सतरंगी रे’ 20 सितंबर, 2024 को होगी रिलीज़

सूरत, सितम्बर 18: राजेश गांगानी urf Raj Baasira – भावनगर के एक छोटे से गांव से शुरू हुई कहानी फिल्म सतरंगी रे पर पूरी हुई- 23 साल तक संघर्ष कर अपना सपना पूरा किया

नाम– राजेश कुमार मनजीभाई गांगानी,प्यार का नाम- राज बासिरा.

जन्म– जिला- भावनगर, तालुका- सीहोर, गांव- बेकड़ी गांवदिनांक- 5 जुलाई 1981

यह परिचय अमिताभ बच्चन की फिल्म अग्निपथ के एक डायलॉग जैसा लगता है. लेकिन ये जो शख्स हैं उन्हे फिल्म बनाने के लिए 23 साल तक अग्निपथ पर चलने का तप करना पड़ा. 23 साल के लगातार संघर्ष के बाद राजेश गागांनी की -संतरंगी रे नाम की गुजराती फिल्म आखिरकार 20 सितंबर को रिलीज होने जा रही है।

राजेश कुमार गंगानी उर्फ राजबासिरा का पैतृक गांव हबुकवाड है जो भावनगर के तलाजा तालुका में स्थित है। यहीं बचपन बिताया और 7वीं कक्षा तक पढ़ाई की। गाँव इतना छोटा है कि प्राइमरी स्कूल के बाद 10वीं तक की पढ़ाई के लिए पड़ोसी गांव टीमाणा जाना पड़ा। फिर हालात ऐसे बने कि 1997 में हीरे के काम के लिए मुंबई जाना पड़ा. 2 से 3 साल तक हीरों का काम किया। मुंबई में रहकर पता लगा कि वे फिल्म लाइन के लिए ही बने हैं। फिर 2001 में फिल्मलाइन में आये. वह फिल्मों और सीरियल्स में छोटे-बड़े रोल करते रहे।

अनिल कपूर की मशहूर फिल्म नायक में भी रोल मिला लेकिन दुर्भाग्यवश फिल्म लंबी होने के कारण उन्हें काट दिया गया। फिर उन्होने ‘कभी दिया जले, कहीं जिया’ नामक धारावाहिकों में अभिनय किया। 2004 के बाद निजी कारणों से सूरत आना पड़ा। वहां कपड़ा और जमीन कारोबार में काम शुरू किया, वहां 10 साल तक काम किया. लेकिन उनके दिमाग में तो सिर्फ मुंबई ही चल रही थी. इसलिए 2014 में वापस मुंबई आ गए। अब मन बना लिया और मुंबई के अंधेरी में एक ऑफिस खोल लिया। गोलटच एंटरटेनमेंट नाम से अपनी कंपनी शुरू की। फिर, अभिनेता के तौर पर कई फिल्मों में काम किया. मुख्य किरदार के तौर पर दो गुजराती फिल्में कीं जो अभी तक रिलीज नहीं हुईं। रामरतन नाम की एक हिंदी फिल्म आई थी जिसमें उन्होंने अभिनय किया था. इसके अलावा एक हिंदी फिल्म भी की जिसका नाम था- हक चाहिए- जो आरक्षण के बारे में थी।

फिल्म में उन्होंने नेगेटिव किरदार निभाया था. किस्मत ने फिर पलटी मारी और साल 2018 में वापस सूरत आना पड़ा। फिर से जमीनी काम से जुड़ गये. लेकिन मन तो मुंबई में ही अटका हुआ था. आख़िरकार 2022 में दोबारा मुंबई गए. जून महिने में- सतरंगी रे- फिल्म के संगीत और कहानी पर काम करना शुरू किया। फिर 23 मई 2023 को शूटिंग शुरू की. शूट एक महीने में निपट गया और पोस्ट प्रोडक्शन 6 महीने तक चला। आखिरकार अब फिल्म संतरंगी 20 सितंबर 2024 को रिलीज हो रही है। राजेश कुमार गांगानी की जिंदगी की कहानी में भी कई रंग हैं. लेकिन एक बात तय है कि वह 23 साल तक फिल्म निर्माण के अपने जुनून पर कायम रहे।

डॉ. चिरागकेवड़ियाकी SG IVF & Women’s Care कीनईशाखाकासरथानामेंउद्घाटन

केवड़िया ने 1000 से अधिक निःसंतान दम्पतियों के जीवन में खुशियाँ लाने में मदद की है।

सूरत, सितम्बर 14: एसजी आईवीएफ एंड वूमेन केयर (SG IVF & Women’s Care)  ने 1 सितंबर 2024 को हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार बुजुर्गों के आशीर्वाद के साथ सरथाना नेचर पार्क के सामने अपने नए अस्पताल का भव्य उद्घाटन किया। डॉ. चिराग केवड़िया के नए उद्यम को दादा रामजीभाई, दादी श्यामू बा, पिता गोविंदभाई और माता सविताबेन सहित  परिवार के सदस्यों द्वारा आशीर्वाद दिया गया। सरथाना नेचर पार्क के सामने 501 से 503 ,मिलेनियम बिजनेस हब-1 में बना नया अस्पताल सभी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है।

इस अवसर पर डॉ. चिराग केवड़िया ने कहा कि यह अस्पताल आईवीएफ और महिला स्वास्थ्य के क्षेत्र में आधुनिक उपचार प्रदान करने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

डॉ. केवड़िया ने 3000 से अधिक सामान्य (दर्द रहित) प्रसव, 1000 से अधिक सिजेरियन प्रसव और 100 से अधिक उच्च जोखिम वाले प्रसव सफलतापूर्वक किए हैं। उन्होंने 800 से अधिक महिला सिस्ट और ट्यूमर ऑपरेशन सफलतापूर्वक किए हैं। डॉ. केवड़िया ने 1000 से अधिक निःसंतान दम्पतियों को उपचार और सहायता प्रदान करके माता-पिता बनने के उनके सपने को पूरा करने में भी मदद की है।

डॉ. केवड़िया कहते हैं कि कई तरीकों में से सही ट्रीटमेन्ट चुनना महत्वपूर्ण है। प्रत्येक विधि की ताकत और सीमाओं की स्पष्ट समझ आवश्यक है। आईसीएसआई और आईवीएफ दोनों ही प्रभावी तरीके हैं, लेकिन दोनों के उपयोग के परिप्रेक्ष्य में एक महत्वपूर्ण अंतर है।

उन्होंने समझाते हुए आगे कहा कि आईवीएफ में, अंडे और शुक्राणु को एक लैब डिश में मिलाया जाता है और प्राकृतिक रूप से निषेचित किया जाता है। जबकि आईसीएसआई एक विशिष्ट शुक्राणु को सीधे अंडे में इंजेक्ट करता है। आईसीएसआई आमतौर पर पुरुष बांझपन के लिए उपयोगी है। जब आईवीएफ किया जाता है तो पुरुष और महिला बांझपन होते हैं।

डॉ. चिराग ने प्रतिष्ठित बी.जे. मेडिकल कॉलेज (बीजेएमसी) अहमदाबाद से एमबीबीएस और डीजीओ किया है। उन्होंने अहमदाबाद सिविल अस्पताल में आईवीएफ में 3 साल और नाडियाड के त्रिभुवनदास फाउंडेशन में 2 साल की फेलोशिप पूरी की है।

वे कहते हैं कि SG IVF & Women’s Care का  मिशन प्रत्येक रोगी की खास जरूरतों के अनुरूप व्यक्तिगत देखभाल प्रदान करना है। साथ ही एक ऐसी प्रणाली विकसित करना है जहां हर कोई आत्मविश्वास और आसानी से पिता या मातृत्व के अपने सपने को पूरा कर सके।

उनके समूह का विजन लोगों को प्रजनन क्षमता के बारे में अधिक जागरूक बनाकर समाज को सशक्त बनाना है, खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां उपचार के बारे में जागरूकता सीमित है।

उन्होंने कहा कि उनका मिशन आईवीएफ और आईसीएसआई तकनीक के बारे में मिथकों और गलत धारणाओं को दूर करने के अलावा सभी को उनकी पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना आधुनिक ट्रीटमेन्ट प्रदान करना है।

डॉ. चिराग केवड़िया ने बताया कि, “भारत में हर 8 मिनट में एक महिला सर्वाइकल कैंसर से मरती है। समय रहते निदान, टीकाकरण और जागरूकता से जीवन बचाया जा सकता है। आइए हम सब मिलकर अपनी माताओं, बेटियों और बहनों को इस रोके जा सकने वाली त्रासदी से बचाएं।”

डॉ. चिराग का लक्ष्य प्रत्येक रोगी की जरूरतों को सर्वोत्तम तरीके से पूरा करना है। इसीलिए एसजी आईवीएफ की टैगलाइन है ““Delivering Happiness.”

“मुस्कुराते हो तुम”: प्रेम और प्रकृति का आदर्श संगम – फिल्म ‘जान अभी बाकी है

फिल्म “जान अभी बाकी है” का गीत “मुस्कुराते हो तुम” प्रेम और प्रकृति के संगम को खूबसूरती से पेश करता है। यह गीत, जिसमें प्रांजल शांडिल्या और स्वप्निल सिंह ने प्रमुख भूमिकाएँ निभाई हैं, यासीर देसाई और पालक मुच्छल की मधुर आवाजों से जीवंत हो उठा है। इस गीत की रचना महेश मटकर ने की है, और इसके बोल डॉ. आई जे मिश्रा और सत्यजीत ने लिखे हैं। यह गीत प्रेम की गहरी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए प्रकृति को एक व्यक्तित्व प्रदान करता है।

सत्यजीत द्वारा निर्देशित “जान अभी बाकी है” एक अद्वितीय प्रेम कहानी है जो दिलों को छूने का वादा करती है। फिल्म की कहानी प्रेम और प्रकृति को एक साथ जोड़ती है, जो इसके संगीत में विशेष रूप से “मुस्कुराते हो तुम” में दर्शाया गया है। इसके बोल, जो काव्यात्मक अभिव्यक्ति से भरपूर हैं, प्रेम की शांति और प्रकृति की शांति के बीच समानांतर खींचते हैं, जिससे यह गीत भावना और धुन का एक आदर्श मिश्रण बन जाता है।

इस गीत के निर्माण में एक समर्पित टीम की सामूहिक कोशिश का प्रमाण है। महेश मातकर द्वारा संगीत की रचना, डॉ. आई जे मिश्रा और सत्यजीत द्वारा लिखे गए दिल को छूने वाले बोलों के साथ मिलकर एक प्रभावशाली गीत तैयार हुआ है। यासीर देसाई और पालक मुच्छल की आवाजें इस गीत की भावनात्मक गहराई को बढ़ाती हैं। फिल्म, जो आई जे एम प्रोडक्शंस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा निर्मित है, में प्रांजल शांडिल्या, स्वप्निल सिंह, मकरंद देशपांडे, ब्रिजेन्द्र काला, राजेश जईस और अन्य कई कलाकार शामिल हैं, जो फिल्म की समृद्ध कहानी में योगदान देते हैं।

उत्तराखंड के खूबसूरत स्थलों पर फिल्माया गया, जिसमें पिथौरागढ़, मुनस्यारी, झूलाघाट, नैनीताल, और भीमताल शामिल हैं, फिल्म की छायांकन तिमन्ना आर हेगड़े द्वारा शांति की लैंडस्केप को खूबसूरती से कैप्चर किया गया है, जो गीत के प्रकृति और प्रेम के थीम को और भी स्पष्ट करता है। उत्तराखंड सरकार और उत्तराखंड फिल्म विकास परिषद को फिल्मांकन प्रक्रिया में उनके समर्थन के लिए विशेष धन्यवाद।

धर्मजीत मिश्रा द्वारा कार्यकारी उत्पादन ने समन्वय सुनिश्चित किया, जबकि सत्यजीत द्वारा निर्देशित फिल्म ने दृष्टिकोण को जीवित किया। फिल्म के सभी गाने, जिसमें “मुस्कुराते हो तुम” भी शामिल है, सोनी म्यूजिक इंडिया द्वारा वितरित किए गए हैं, जिससे यह गीत व्यापक दर्शकों तक पहुंच सके।

अंततः, “मुस्कुराते हो तुम” सिर्फ एक गीत नहीं है; यह एक अनुभव है जो श्रोताओं को प्रेम और शांति की यात्रा पर ले जाता है, जिसे प्रकृति की सुंदरता से समेटा गया है। “जान अभी बाकी है” और इसका संगीत दर्शकों के दिलों पर एक अमिट छाप छोड़ने का वादा करता है।

डॉक्टर हर्षमीत अरोड़ा को हाल ही में नया भारत गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया

दिल्ली की विख्यात डाइटिशियन डॉक्टर हर्षमीत अरोड़ा को हाल ही में नया भारत गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया.

आप को बता दे की वैसे हर्षमीत अरोड़ा को काफी अस्पतालों और संस्थाओं से उनके कार्य के लिए उन्हें सम्मानित किया गया है हाल ही में उन्हे नया भारत गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया जो कि भारत में एक गौरवशाली सम्मान है आपको बता दें कि डॉक्टर हर्षमीत अरोड़ा डाइटिशियन होने के साथ-साथ न्यूट्रिशन और साइकोलॉजिस्ट भी है जो दिल्ली में ही नहीं बल्कि देश विदेश में भी हेल्दी ग्रेसफुल लाइफ स्टाइल की सहायता से अपनी सेवाएं प्रदान कर रही हैं 

डॉ हर्षमीत अरोड़ा का कहना है की जीवन मे चाहे कितनी भी कठिनाइयां क्यों ना आए हमें अपने लक्ष्य की और बढ़ते रहना चाइए क्योंकि लक्ष्य अगर आप का उचित है तो आप को कामयाबी जरूर मिलेगी बस आप को निस्वार्थ भाव से उसके लिए कठिन परिश्रम करना पड़ेगा… 

हर्षमीत अरोड़ा का जन्म 16 जनवरी 1991 मे हुआ  उन्होने अपनी MSc in Nutritionist and Dietetics, University of Delhi (DU) से पूरी की हर्षमीत मे दिल्ली के बड़े बड़े हॉस्पिटल मे अपनी सेवाएं प्रदान की… जिसके बाद उन्होने हेल्दी ग्रेसफुल लाइफस्टाइल नाम से वेट लॉस कंपनी का शुभारंभ किया और वर्तमान में अपनी सेवाएं प्रदान कर रही हैं…

हर्षमीत अरोड़ा ने अपनी सेवाएं काफी बॉलीवुड और टीवी आर्टिस्ट को भी दी है और उनके कार्य की प्रशंसा उन सभी ने की है….

हर्षमीत सिर्फ भारत देश मे ही नही अपितु वर्ल्ड वाइड अपनी सेवा दे रही है…. हाल ही मे उन्हें अपने कार्यों के लिए एक मैगजीन में भी जोड़ा गया है भारत देश के बेस्ट डाइटिशियन में हर्षमीत अरोड़ा का नाम है