सूरत
देश भर में महामारी का माहौल है। बड़े बड़े कोर्पोरेट अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रहे है। संभवत: कोरोना के बाद कई व्यवसायियों को इस समस्या से उबर पाना मुश्किल हो। लोग कोरोना के कारण पहले से परेशान हैं। ऐसे में आयकर विभाग उनकी समस्या का कारण नहीं बनना चाहता।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे बोर्ड की मंजूरी के बगैर सामान्य मामलों में करदाताओं को न तो नोटिस जारी करें और न ही उन्हें कोई जांच नोटिस भेजें। सीबीडीटी का मानना है कि इस तरह का कोई भी नोटिस महामारी के इस दौर में करदाताओं की चिंता बढ़ा सकता है।
आयकर विभाग बीते साल अपने निर्धारित लक्ष्य तक नहीं पहुँच सका था। आयकर विभाग के लिए वर्तमान वित्तीय वर्ष मे भी लक्ष्य को पाना मुश्किल होगा। इसके मद्देनज़र विभाग ने वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए कुछ योजना बनाई है। फ़िलहाल विभाग ने अपने आगामी क्वार्टर में किसी करदाता को सीबीडीटी की सूचना बिना नोटिस नहीं देने को कहा है। आप को बता दें कि पिछले दिनों आयकर विभाग के
आईआरएस अधिकारियों के एक समूह ने तैयार किए एक रिपोर्ट की बड़ी किरकिरी हुई थी। इस रिपोर्ट के कारण लोगों में घबराहट और कर नीति को लेकर ऐसे समय में अनिश्चितता का माहौल बन गया था।
सीबीडीटी ने निर्देश में स्पष्ट किया है कि आय छिपाने के मामले से निपटने और रिटर्न फाइलिंग संबंधी सभी पात्र मामलों का काम 30 जून तक किया जाना चाहिए। ये नोटिस बोर्ड की तरफ से नई सूचना के बाद ही भेजे जाने चाहिए।’
अधिकारियों का कहना है कि देश में कोरोना के कारण व्यापार धंधा बेद है। मौजूदा स्थिति पर विचार करते हुए हम कर राहत के कुछ कदम उठाने जा रहे हैं, जिससे कारोबार पर असर कम किया जा सके।
इस तरह के किसी कम्युनिकेशन से करदाता पर दबाव पड़ सकता है और इससे अनावश्यक घबराहट हो सकती है। जो कि विभाग नहीं चाहता। नई व्यवस्था में पहले ही अधिकारियों को करदाता के साथ कम्युनिकेशन के लिए जवाबदेह बनाया गया है, लेकिन लॉकडाउन के दौरान इस तर का कम्युनिकेशन बोर्ड की सहमति के बगैर नहीं किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि देशभर में कोरोना के कारण व्यापार बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है ऐसे में व्यापार उधोग के संगठन भी आयकर विभाग से राहत चाहते है।