कोरोना बन रहा गंभीर, शनिवार को 59 पॉजिटिव, दो की मौत सूरत

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सूरत

लॉकडाउन-4 में कुछ क्षेत्रों में शर्तो के साथ छूटछाट देने के बाद कोरोना पॉजिटिव की संख्या तेजी से बढ रही है ऐसा प्रतीत हो रहा है। शुक्रवार को पचास के करीब कोरोना पॉजिटिव आने के बाद शनिवार को फिर से 59 कोरोना पॉजिटिव मामले सामने आए हैं। इनमें दो लोगों की मौत भी हो गई। इतनी तेजी से बढ़ रहे कोरोना पॉजिटिव केस ने मनपा की चिंता बढ़ा दी है।


मिली जानकारी के अनुसार सूरत में एक सप्ताह पहले तक 30-35 के औसत से कोरोना पॉजिटिव मरीज दर्ज हो रहे थे, लेकिन बीते तीन दिन में बड़ी तेजी से कोरोना के मरीजो की संख्या बढी है। आज जो 59 नए कोरोना के पॉजिटिव मामले सामने आए उनमें कतारगाम जोन के सबसे अधिक 19, लिंबायत के 16 उधना के 10 वराछा ए के 8 और सेन्ट्रल जोन के 6 मामले हैं।

मनपा कमिश्नर बंछानिधि पानी ने कहा कि पिछले तीन दिनों से कोरोना के मरीज तेजी से बढे हैं। उन्होंने लोगों से बिना आवश्यकता के बाहर नहीं निकलने की अपील की। कमिश्नर का कहना था कि कोरोना का संक्रमण बुजुर्ग और डायबिटिज, ब्लड प्रेशर सहित अन्य बिमारी से पीडित लोगों को जल्दी लगता है। इसलिए उन्हें इन दिनों में विशेष ख्याल रखना चाहिए। 

करोड़ो रुपए के आम लटके हैं झाड़ पर तोडने वाले श्रमिको की कमी
ऐसा नहीं है कि श्रमिकों की कमी के कारण सिर्फ मैन्युफैक्चरिंग उधोगों को ही मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है लेकिन, श्रमिकों की समस्या कृषि उद्योग को भी बुरी तरह से प्रभावित कर रही है। दक्षिण गुजरात के सूरत, तापी, नवसारी वलसाड आदि क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर आम के बगीचे में पेड़ों पर आम लटके हैं लेकिन, उन्हें तोड़ने वाले श्रमिक नहीं होने के कारण करोड़ों रुपए के आम इस बार पेड़ पर ही खराब हो जाने की आशंका किसानों को परेशान करने लगी है।

ऐसा ही रहा तो दक्षिण गुजरात के किसानों को करोडो का नुकसान हो सकता है।मिली जानकारी के अनुसार दक्षिण गुजरात में बड़े पैमाने पर सूरत, नवसारी. तापी, भरूच और वलसाड में ग्रामीण क्षेत्रों में हर साल करोड़ों रुपए के आम की उपज ली जाती है।


 इस साल भी किसानों ने बड़ी उम्मीद के साथ बड़े पैमाने पर आम के बगीचों में आम की उम्मीद की थी लेकिन लोग डाउन के कारण जब आम तोड़ने का मौसम आया उन्हीं दिनों में यूपी, बिहार, झारखंड तथा महाराष्ट्र के समीप अपने वतन लौट गए। परिणाम यह है कि हजारों टन आम के बगीचों में ही पेड़ पर लटके हैं लेकिन, उन्हें तोड़ने वाला कोई नहीं है इसके चलते किसान अपना मंडियों तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं।

इस बार ज्यादातर किसानों ने आम के बगीचे से ही व्यापार करना शुरू कर दिया है। किसानों का कहना है कि इस बार आम की खेती ने उन्हें नुकसान पहुंचाया है। एक और पहले बारिश ने आम की फसल को नुकसान पहुंचाया है और श्रमिकों की कमी के कारण जो आम हुए हैं वह भी खराब होने का बता रहा है।

किसान जयेश पटेल ने बताया कि वह हर साल अपने आम के बगीचे में एक करोड़ के आम की उपज पाते थे इस बार भी उसके बगीचे में बड़े पैमाने पर आम लगे हैं लेकिन उसके पास सिर्फ 20 श्रमिक हैं जोकि पूरा आम तोड़ पाने में असक्षम है।इसलिए उसे आम पेड़ परी खराब होने का भय सता रहा है।