सूरत
कहते है कि आवश्यक अविष्कार की जननी है। देशभर के कपड़ा उधोग के लिए यह कहावत बिल्कुल सही साबित हो रही है। देशभर के कई सक्षम कपड़ा उत्पादकों ने साड़ी, ड्रेस और गारमेन्ट्स आदि का उत्पादन इन दिनों छोड़कर पीपीई किट और मास्क के उत्पादन में जुट गए है।
देश-दुनिया में कोरोना संक्रमितों की संख्या तेज़ी से बढ़ने के कारण वैश्विक स्तर पर पीपीई किट और मास्क की डिमांड है। एक ओर जहां साड़ी, ड्रेस मटीरियल्स आदि की डिमांड कम हो गई है वहीं दूसरी ओर पीपीई किट और मास्क का उत्पादन करने वालों के लिए कमाई का रास्ता खोल दिया है।सूरत, अहमदाबाद, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल दिल्ली, राजस्थान सहित देश के कई राज्यों में कपड़ा उधमियों ने मास्क और पीपीई किट बनाना शुरू कर दिया है।
देशभर में १२५ से अधिक कंपनियों ने पीपीई किट का उत्पादन शुरू कर दिया है। पीपीई किट सफल है या नहीं यह प्रमाणित करने के लिए केन्द्र सरकार की मान्य लैबोरेटरी से सर्टिफिकेट लेना पड़ता है। कई कंपनियाँ इसके लिए कगार में है। बताया जा रहा है कि ५० से ज़्यादा कंपनियों मे पीपीई किट के लिए प्रस्ताव भेजा है।
पीपीई किट और मास्क बनाने के बाद उत्पादक इसे केन्द्र सरकार को बेचते है। सरकार इसका आवश्यकतानुसार उपयोग करती है। आनेवाले दिनों में इसकी बड़े पैमाने पर डिमांड होने की संभावना है।
सूरत के उधमियों ने किया वायरस और बैक्टीरिया प्रूफ़ सुट का अविष्कार !
हमेशा कुछ नया करने वाले सूरत के कपड़ा उद्यमियों ने कोरोना के मुसीबत के समय को मौके में बदल दिया है। सूरत के कपड़ा उद्यमी अब कोरोना से लड़ने के लिए काम करने वाले फ़्रंट लाइन वारियर्स के उपयोग में आने वाली पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्शन किट )का उत्पादन करने में जुट गए हैं।
सूरत में यश फैशन, लक्ष्मीपति ग्रुप और नोबेल टैक्स में पीपी सूट का उत्पादन शुरू किया है।बताया जा रहा है कि यह सूट 30 बार री यूज़ कर सकते हैं। साउथ इंडिया टैक्सटाइल रिसर्च एसोसिएशन ने इसे प्रमाणित किया है।
सूट बिल्कुल कारगर साबित है इसलिए इसको सर्टिफिकेट भी दिया गया है।सर्टिफिकेट मिलने के बाद लक्ष्मीपति ग्रुप में पांडेसरा जीआईडीसी क्षेत्र में पीपई सूट का उत्पादन भी शुरू कर दिया है। कोरोना के वायरस से बचने के लिए उपयोगी पीपीई सूट नॉन-वुवन यानी कि बिना बुने कपड़ों में से बनाया जाता है।
सूरत का कपड़ा उद्योग हमेशा से कुछ नया करने के लिए पहचाना जाता है नॉन-वुवन के बदले वूवन फैब्रिक में से पीपीई सुट तैयार कर टेक्सटाइल उद्योग को नई दिशा दी है। सूरत के पांडेसरा जीआईडीसी में यश फैशन ने भारत सरकार के मंत्रालय से मंजूरी लेकर प्रतिदिन 20000 पीपी सूट का उत्पादन शुरू कर दिया है। लक्ष्मीपति ग्रुप में भी प्रतिदिन 10000 सूट बनाना शुरू कर दिया है।
लक्ष्मीपति ग्रुप के संजय सरावगी ने बताया कि नॉन-वुमन एक ही बार उपयोग में लिया जा सकता है जबकि, वॉवन फैब्रिक से तैयार किया गया सुट कम से कम 30 बार पहन सकते हैं यह सूट 70 बार यूज हो सकता है। इस सूट के बारे में दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि नॉन वुवन सुट सिर्फ 4 घंटे ही पहन सकते हैं जबकि, वॉवन सुट 8 घंटे तक पहन सकते हैं। यह सिर से लेकर पांव तक होने के कारण पूरे शरीर को कवर करता है।