सूरत
जहां एक ओर दुनिया के देश कोरोना का ईलाज ढूंढने के लिए एडी चोटी का जोर लगा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कोरोना बिमारी के बदलते लक्षण ने दुनिया के लिए चिंता और बढा दी है। इस बीच सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि इन दिनों गुजरात में जो केस सामने आ रहे हैं उनमें ज्यादातर पॉजिटिव मामलों में जिन लोगों के रिपोर्ट पॉजिटिव आ चुके हैं उनके अंदर कोरोना के कोई लक्षण हीं नहीं दिख रहे।
इस बात ने प्रशासन की चिंता बढा दी है। राज्य स्वास्थ्य सचिव जयंति रवि ने गुजरात में कोरोना की स्थिति के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि गुजरात में इन दिनो टेस्ट की संख्या बढी है। जिन लोगों के रिपोर्ट पॉजिटिव हैं उनमें 80 प्रतिशत लोगों में कोरोना के कोई लक्षण नहीं दिखते।
उन्होंने कहा कि गुजरात में कोरोना की वास्तविक परिस्थिति क्या है यह जानने के लिए ज्यादा लोगों की जांच की जा रही है। रैपिड टेस्ट आ जाने के बाद रैपि़ड टेस्ट लैब टेस्टिंग के साथ किया जाएगा। यह टैस्ट विशेषतौर पर जहां कोरोना के पॉजिटिव मामले अधिक है वहां किया जाएगा। टेस्ट किट की विश्वसनीयता के मामले में समझौता नहीं किया जाएगा, इसलिए रैपिड टेस्ट किट के साथ एक दोहरी जांच की जाती है जैसे कि एक व्यक्ति रैपिड टेस्ट में सकारात्मक रहा है, यह फिर से प्रयोगशाला परीक्षण भी होगा।
कोरोना पीड़ितों के लिए क़ैदियों ने दिए १.११ लाख रूपए
सूरत सब जेल में क़ैद कैदियों ने कुछ ऐसा काम किया कि जो मानवता की मिसाल बन गया है ।जेल में क़ैद कैदियों ने कोरोना से लड़ने के लिए सरकार को 1,11, 111रुपए देकर मदद की।जेल के कैदियों का मानना है कि कोरोनी की महामारी दुनिया के सामने मुँह फाडकर खड़ी है । ऐसे में हर एक व्यक्ति का दायित्व है कि वह , देश के लिए कुछ समर्पण करें । इसलिए उन्होंने अपनी नैतिक ज़िम्मेदारी समझते हुए देश के लिए 1,11,111 रुपया का दान दिया|
भारत में भी अब तक 15, हज़ार से अधिक लोग संक्रमित हैं और कोरोना की अभी कोई दवाई बाज़ार में उपलब्ध नहीं है आने वाले कितने दिनों तक कोरोना दुनिया का परेशान करेगा यह भी पता नहीं है ।ऐसे में कोरोना से बचाव ही एक सुरक्षा का साधन है ।