चेंबर के चुनाव पर रोक 31 जुलाई तक रोक लगाने की मांग

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शहर के व्यापारियों के संगठन चेंबर ऑफ कॉमर्स में आगामी दिनों में मैनेजिंग कमेटी के चुनाव होने हैं।ऐसे में मैनेजिंग कमेटी के सदस्य नितिन भरुचा ने कोरोना वायरस के भय को देखते हुए चेंबर ऑफ कमेटी कॉमर्स के प्रमुख और मैनेजिंग कमेटी के सदस्यों से फिलहाल चुनाव 31 जुलाई तक टाल देने की मांग की है।

उन्होंने इस बारे में चैंबर को पत्र लिखा है।भरुचा ने लिखे पत्र में बताया है कि चैम्बर में मैनेजिंग कमेटी का चुनाव 21 जून को करने का एजेण्डा जारी किया है।!कोरोना के कारण इन दिनों शहर परिस्थिति ठीक नहीं है। शहर में बड़ी संख्यामें कोरोना के मरीज आ रहे है।

कोरोना के चलते वृद्धों को संक्रमण लगने का भय सबसे अधिक होता है। चेंबर की मैनेजिंग कमेटी के मतदाताओं में 40% मतदाता हैं। ऐसे में मतदान के समय कोरोना का भय बढ़ जाता है। इस परिस्थिति को देखते हुए चेंबर को मैनेजिंग कमेटी की का चुनाव फिलहाल 31 जुलाई तक टाल देना चाहिए।

उन्होंने यह भी बताया कि यदि राज्यसभा के चुनाव की बात करें तो वहाँ के चुनाव में सिर्फ गिनती के मतदाता होते हैं जबकि चेंबर ऑफ कॉमर्स कमेटी की मीटिंग में हजारों की संख्या में मतदाता आएंगे। इसलिए चैंबर इस मतदान को राज्यसभा के मतदान के साथ नहीं गिने। उन्होंने इस बारे में चेंबर के आर्बिट्रेशन कमेटी का भी ध्यान खींचा है। कमेटी ने 9 जून को उनका पक्ष रखने के लिए बुलाया है।

चीन के खिलाफ 8 देशों ने बनाया संगठन
चीन की मुसीबत लगातार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती जा रही है।कोरोना वायरस, साउथ चाइना और हांगकांग तथा भारत के साथ चल रहे विवाद को लेकर चीन चारों ओर से घिरता नजर आ रहा है।ऐसे हालात में अमेरिका सहित यूरोप के 8 देशों ने चीन को वैश्विक व्यापार सुरक्षा और मानव अधिकारों के लिए खतरा बताते हुए एक संगठन बनाया हैं।

यह संगठन अमेरिका, जर्मन, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, स्वीडन नॉर्वे, और यूरोप की संसद के सदस्यो का बना है।शुक्रवार को इस संगठन यानि आईपीएसी की घोषणा हुई।इस संगठन के अनुसार चीन से जुड़े हुए मुद्दों पर सक्रियता से रणनीति बनाकर एक दूसरे का साथ देकर उचित प्रतिक्रिया देने की योजना है।

अमरीका के रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर मार्को रूबियो आईपीएसी के सहायक देशो में से एक हैं। रूबियों ने कहा कि कम्युनिस्ट पार्टी के राज में चीन वैश्विक चुनौती पेश कर रहा है। अलायंस का यह भी कहना था कि चीन के खिलाफ खड़े होने वाले देशों को अक्सर ऐसा अकेले रहना पड़ता है। और बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ती है।

कोरोनना वायरस के फैलने के बाद से चीन और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। इसका असर उद्योगों पर भी दिखने लगा है। दूसरी ओर चीन का कहना है कि वह अब 19 के दशक का चीन नहीं है वह अपने हितों की सुरक्षा करना जानता है।