देवउठनी एकादशी आजः शुभ कार्य शुरू होंगे

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देवउठनी एकादशी के दिन देव योग निद्रा से जागते हैं और फिर सभी शुभ काम शुरू हो जाते हैं। हिंदू धर्म में इसे देवोत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली देवउठनी एकादशी देवी लक्ष्मी और श्रीहरि विष्णु को प्रसन्न करने का सबसे अच्छा दिन माना जाता है। उनके प्रभाव से बड़े से बड़े पाप भी क्षण भर में नष्ट हो जाते हैं।

देवउठनी एकादशी का महत्व

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देवशयनी एकादशी के दिन से सो रहे देवता देवउठनी एकादशी को जागृत अवस्था में आ जाते हैं। इस दिन से शुभ कार्यों पर लगी रोक खत्म हो जाती हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से पाप मिटते हैं। और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

देवउठनी एकादशी की तिथि 

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वैदिक पंचांग के अनुसार, देवउठनी एकादशी का व्रत हर साल कार्तिक माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन रखा जाता है। इस साल कार्तिक माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 11 नवंबर को शाम 06:46 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन अगले दिन 12 नवंबर को दोपहर बाद 04:04 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर 12 नवंबर 2024 को देवउठनी एकादशी का व्रत रखना शुभ रहेगा। खास बात ये है कि इस बार देवउठनी एकादशी के अगले दिन 13 नवंबर 2024 को तुलसी विवाह है। इस दिन कोई भी मांगलिक कार्य करना शुभ रहता है।

व्रत के पारण का सही समय 

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देवउठनी एकादशी के व्रत का पारण 13 नवंबर 2024 को प्रात:काल 06:42 मिनट से लेकर सुबह 08:51 मिनट के बीच करना शुभ रहेगा।

देवउठनी एकादशी व्रत के नियम

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इस दिन निर्जला उपवास रखा जाता है।

इस व्रत में भगवान विष्णु या अपने इष्ट देवताओं की उपासना की जाती है।

इस दिन तामसिक आहार प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा, बासी भोजन न लें।

एकादशी पर यदि आप व्रत न भी करें तो भी आपको ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

एकादशी के दिन भूलकर भी चावलों का सेवन न करें।

शीघ्र विवाह के लिए करें ये उपाय 

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अगर किसी लड़के या लड़की को विवाह में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है तो वह भी देवउठनी एकादशी के दिन इन उपाय से बाधाओं से बाहर निकल सकते हैं।

इसी उद्देश्य से भगवान विष्णु की पूजा करते समय केसर, पीले चंदन या हल्दी से बने तिलक का प्रयोग करें। फिर पीले फूल चढ़ाएं। इससे शीघ्र विवाह के योग बनते हैं।

अगर आप अपनी मनोकामना पूरी करना चाहते हैं तो देवउठनी एकादशी के दिन पीपल के पेड़ पर जल का दान अवश्य करें। पीपल के पेड़ में भगवान विष्णु का वास माना जाता है। जल चढ़ाने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी।

 इस दिन तुलसी विवाह कराना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से शादी में आ रही रुकावटें दूर होती हैं और जल्द ही विवाह का योग बनता है।

तुलसी के पौधे में कच्चे दूध में गन्ने का रस मिलाकर अर्पित करना चाहिए।

तुलसी के पौधे के सामने पांच देसी घी के दीपक जलाकर आरती करनी चाहिए।

जिन लोगों की कन्याएं नहीं होतीं, वे इस दिन तुलसी का विवाह करके कन्यादान का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।

देवउठनी एकादशी के अन्य उपाय 

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एकादशी के दिन भगवान विष्णु को पहले शंख में गाय के दूध भरकर स्नान कराएं इसके बाद गंगाजल से स्नान कराएं। ऐसा करने से व्यक्ति की आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं।

भगवान विष्णु की पूजा के दौरान ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप करें। इससे जीवन में आ रही परेशानियां दूर होती हैं।

भगवान विष्णु की पूजा में शुद्ध घी का दीया जरूर जलाएं और भोग में तुलसीदल रखकर अर्पित करें।

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