हीरा श्रमिक ने आर्थिक तंगी के कारण जान दी!

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कोरोना के कारण शहर की परिस्थिति खराब होने से इन दिनों शहर के कपड़ा उद्योग और हीरा उद्योग में स्वैच्छिक बंद का माहौल चल रहा है। इसके कारण लाखों श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं। कई श्रमिकों के पास तो जीवन जरूरी खर्च के लिए भी रुपए नहीं बचे हैं। बड़ी संख्या में श्रमिक पलायन कर गए हैं। आर्थिक तंगी के कारण शहर के एक हीरा श्रमिक ने कल वराछा ने कल सवजी कोराट ब्रिज पर से छलांग लगाकर जान दे दी।


मिली जानकारी के अनुसार भावनगर जिला में फरियादका गांव के ३६ वर्षीय हीरा श्रमिक संजय भाई बाबू भाई विराडिया बुधवार की सुबह गांव किसी को कुछ बताए बिना चले गए थे। परिवार जनों ने उनकी हर जगह खोजबीन की लेकिन कोई पता नहीं चला। बुधवार की शाम एक युवक सवजी कोराट ब्रिज से तापी नदी में कूद गया है।

ऐसा एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा था। जब वीडियो संजय भाई के परिवार जनों को भी देखने को मिला। इस पर उन्हें पता चल गया कि वह संजय भाई ही था। इसके बाद परिवार जन चिंतित हो गए परिजनों ने इसकी जानकारी पुलिस और फायर ब्रिगेड को दी।

इसके बाद फायर ब्रिगेड के जवानों ने तापी नदी में 2 से 3 घंटे की मेहनत के बाद युवक को ढूंढा। लेकिन वह नहीं मिला इसके बाद गुरुवार कि सुबह और शाम को भी फिर से तापी नदी में उसे ढूंढने का प्रयास किया जिसमें कि संजय भाई की लाश मिली।

फायर ब्रिगेड ने लाश को पुलिस के हवाले की है संजय भाई के संबंधी महेश भैया ने बताया कि गांव से बिना किसी को बताए चले आए थे। बीते कई दिनों से हीरा के कारखाने बंद होने से वह आर्थिक तौर पर परेशान थे। उल्लेखनीय है कि बीते 3 महीने से लॉकडाउन के कारण हीरा श्रमिक लाचार हो गए हैं। कुछ दिनों तक हीरा कारखाने खुले और फिर बंद हो गए।

इसके कारण उनकी मजबूरी और बढ़ गई है हीरा श्रमिकों के पास जीवन यापन के लिए भी रुपए नहीं बचे हैं। ऐसे में डायमंड वर्कर यूनियन और रत्नकलाकार विकास संघ की ओर से हीरा श्रमिकों को आर्थिक पैकेज देने की मांग की गई है।

लेकिन अभी तक इसकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। परिस्थिति नहीं सुधरी तो आने वाले दिनों में हीरा श्रमिक की समस्या और बढ़ सकती है।इस बारे में डायमंड वर्कर यूनियन ने राज्य सरकार से भी गुहार लगाई है।