डीटीसी ने नहीं बढ़ाए रफ हीरो के दाम

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सूरत

हीरा उद्योग में लंबे समय से चल रही मंदी के दौरान रफ डायमंड की सबसे अधिक बिक्री करने वाली कंपनी डी बीयर्स की डायमंड ट्रेडिंग कंपनी ने एक बार फिर से स्थिति को संभालने का प्रयास किया है। जनवरी महीने की साइट में रफ हीरो की कीमत स्थिर रही है। इसके पहले दिसंबर महीने में कंपनी ने रफ हीरो की कीमत में 12% तक की कटौती कर दी थी।

हीरा उद्योग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सूरत सहित विश्व भर में हीरा उद्योग मंदी के बुरे दौर से गुजर रहा है। अमेरिका में आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के चलते वहां कट पॉलिश्ड हीरो और ज्वेलरी कीडिमांड घट गई है।‌इसके अलावा चीन और हांगकांग सहित यूरोप के देशों में भी स्थिति अच्छी नहीं है जिसके चलते सूरत का हीरा उद्योग भी पटरी से से उतर गया है।–दिवाली के बाद अभी तक नहीं शुरू हो सके कारखानेजेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपर्ट प्रमोशन काउंसिल के आंकड़ों के अनुसार भी लगातार हीरो का निर्यात घट रहा है।

दिवाली के बाद अभी तक हीरो के कारखाने सुचारू तोर नहीं शुरू हो सके हैं। बड़ी संख्या में हीरा उद्योगों ने लेब्रग्रोनडायमंड का काम भी शुरू कर दिया है। कई हीरा श्रमिक तो ज्वेलरी का काम सीखने के लिए ट्रेनिंग सेंटर में जा रहे हैं।इस बीच डायमंड ट्रेडिंग कंपनी ने दिसंबर महीने की साइट में हीरा उद्योग की स्थिति को समझते हुए रो हीरो की कीमत में 12% की कमी कर दी थी। बताया जा रहा है कि पॉलिश्ड हीरो की डिमांड नहीं होने के कारण डायमंड ट्रेडिंग कंपनी ने किया फैसला किया था।—कई हीरा उद्यमियों ने इस फैसले को सराहा भी था। इसके बाद अब जनवरी महीने की पांच दिवसीय साइट के दौरान डीटीसी कंपनी ने तमाम हीरो की कीमत स्थिर रखी है।इसके चलते बाजार में स्थिति संतुलित बनी रहेगी।

जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के रीजनल चेयर विजय मांगूकिया ने बताया कि डायमंड ट्रेडिंग कंपनी की ओर से लिया गया फैसला सूरत के हीरा उद्योग का संतुलन बनाए। रखेगा हीरा उद्योग में अभी स्थिति सामान्य चल रही है। डायमंड ट्रेडिंग कंपनी में हीरा उद्योग में वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह करने कम लिया है।

मंदी के कारण हीरा श्रमिकों को पर्याप्त काम नहीं मिलने के कारण दिवाली के दिनों में वेकेशन के समय उत्तर गुजरात में अपने गांव की ओर गए 25 प्रतिशत हीरा श्रमिक अभी तक गांव से लौटकर नहीं आए हैं। इतना ही नहीं बड़ी संख्या में हीरा श्रमिकों ने अपने बच्चों का नाम भी स्कूलों में से कटवा लिया। यदि स्थिति नहीं सुधरी तो आने वाले दिनों में हीरा श्रमिकों और हीरा श्रमिकों के लिए रास्ता सरल नहीं होगी।

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