सूरत के कपड़ा उद्यमियों को इस बार कोरोना और डिजिटल प्रचार का ग्रहण लग गया है। चुनाव प्रचार में इस्तेमाल में लिए जाने वाले झंडे, बेनर, के साथ ही पार्टियों के प्रिन्ट वाली साडियां भी बड़े पैमाने पर बनती है। कई कपड़ा व्यापारियों का व्यापार चुनाव पर ज्यादातर टिका है। कोराना के कारण निराश इन व्यापारियों को गुजरात के कुछ सीटों पर उपचुनाव तथा बिहार में विधानसभा के चुनाव पर व्यापार होने की उम्मीद थी, लेकिन कोरोना के कारण चुनाव प्रचार का ढंग बदला है।
अब पार्टियों के कार्यकर्ताओं ने भी ज्यादातर प्रचार डिजिटल माध्यम से शुरू करने के कारण उनका गली -गली में घूमना और बांटना आदि कम हुआ है। इसका सीधा असर सूरत के कपड़ा बाजार पर पड़ा है। गुजरात उपचुनाव सहित देश के अन्य राज्यों के विधानसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा कर दी गई है। इसके साथ ही बिहार विधानसभा चुनाव भी होने हैं। हालांकि, बाजार में चुनाव प्रचार साहित्य की कोई मांग नहीं है। इससे चुनाव प्रचार साहित्य बनाने वाले व्यापारियों में चिंता है।
विभिन्न राजनीतिक दलों के लिए चुनाव प्रचार सामग्री बना रहे एक व्यापारी ने बताया कि, को दिल्ली सहित विभिन्न राज्यों से चुनाव के दौरान अच्छे आदेश मिलते रहे हैं। चुनाव की तारीखों की घोषणा से पहले विभिन्न राज्यों के व्यापारियों द्वारा सूरत के व्यापारियों को आदेश दे दिए जाते हैं। लेकिन वर्तमान स्थिति में, चुनाव की तारीख की घोषणा के बावजूद, थोक में कम ऑर्डर मिले हैं। कपड़ा व्यापारी अरविंद गाडोदिया का कहना है कि वर्तमान में, व्यापार न के बराबर है। इसके लिए कोरोना महामारी जिम्मेदार है।
कोरोना के कारण सभाएं नहीं हो सकती। इसके कारण भी झंडे,बैनर, साडी आदि के ऑर्डर नहीं मिले। साथ ही उद्यमी भी आर्थिक तौर से परेशान हैं।इसिलए वह अपनी ओर से भी खर्च कर प्रचार करने से कतरा रहे है। कोरोना के कारण व्यापार चौपट हो गया है।