सूरत
लोक डाउन के कारण जहां एक और व्यापारिक गतिविधियां बंद है। वहीं दूसरी ओर धार्मिक गतिविधियों पर भी ब्रेक लग गया है। पिछले दो महीनों से कोरोना के कारण देशभर में बंद का माहौल है। लोग घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। सिर्फ जरूरत हो तभी लोग घर के बाहर निकल पा रहे हैं। नहीं तो उन्हें घर में ही रहना पड़ रहा है।
इस परिस्थिति के चलते लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं। और कई लोगों को रोजी रोटी के भी लाले पड़ गए हैं। ऐसे में सूरत में मृतकों की अस्थियां विसर्जित नहीं होने के कारण यहीं पर पड़ी हैं।
सूरत में अश्विनी कुमार घाट पर मृतकों को अंतिम विधि के बाद जो अस्थियाँ बचती हैं उसे सुभाष जीथा नाम के शख्स गंगा नदी में जाकर विसर्जित कर देते हैं। बीते 4 महीने से उनके पास 1200 से अधिक अस्थियां इकट्ठा हो गई हैं लेकिन,वह लोकडाउन के चलते जा नहीं पा रहे हैं। यूपी में भी घाट पर जाना मुश्किल होने के कारण सुभाष ने कुछ दिन रूकना उचित समझा।
इसलिए सारे अस्थिकलश यहीं पर है। उन्होंने मीडिया को बताया कि हर महीने के शुरुआत में इन अस्थियों का विसर्जन गंगा नदी में जाकर विधि-विधान के साथ करते हैं लेकिन, फिलहाल ऐसी परिस्थिति बन गई है कि वहां जाना भी मुश्किल हो गया है। इसलिए वह इंतजार कर रहे हैं। जैसे ही समय मिलेगा और जाने की इजाजत होगी चले जाएंगे उन्होंने बताया कि शहर में से हर महीने लगभग ४००संख्या अस्थियां विसर्जन के लिए इकट्ठा होती हैं। उन्हें प्रयाग या तो हरिद्वार में विसर्जित किया जाता है फिलहाल या काम रुक गया है।
उल्लेखनीय है कि सनातन धर्म में अंतिम संस्कार के बाद गंगा में अस्थि विसर्जन का खास महत्व है। मान्यता है कि अस्थि विसर्जन से मोक्ष प्राप्ति होती है। सनातन परंपरा केमुताबिक अंतिम संस्कार के बाद अस्थियों को गंगा में प्रवाहित किया जाता है।