बरसात के कारण देरी से हुआ आम का आगमन, क़ीमत मे 20 प्रतिशत का वृद्धि

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सूरत
फलों के राजा आम का सीजन आ गया है लेकिन इस बार बेमौसमी बरसात के कारण गुजरात में आम की आवक देरी से और साथ मे कम भी हुई है। बीते वर्षों मे बाज़ार में जिस तरह से बड़े पैमाने पर आम का स्टॉक आ जाता था।इस साल अभी तक वैसा नजर नहीं आ रहा है।इस बार आम के स्वाद के लिए लोगों को 25 अधिक रक़म चुकानी पड़ सकती है।


मिली जानकारी के अनुसार सामान्य तौर पर गुजरात में मार्च महीने की शुरुआत से ही आम का आगमन होने लगता है लेकिन इस बार जनवरी महीने में कमौसमी बारिश के कारण आम की फ़सल पर बुरा असर पड़ा। आम के बगीचों में आम की फसल खराब हो गई जिसके चलते अभी तक बाज़ार में पूर्ण रूप से स्टॉक नहीं आ पाया है। गुजरात के वलसाडी हापुस आम देश भर में प्रख्यात है। इसके अलावा राजापूरी केसर तालाला आदि आम बई लोगों की पसंद हैं। बाज़ार में अभी इनकी आवक धीरे धीरे बढ़ रही है।

आगामी दस दिनों के बाद बड़े पैमाने पर आवक होने की संभावना है। आम विक्रेताओं का कहना है कि बेमौसमी बारिश के कारण बीते दिनों बड़े पैमाने पर पेड़ पर ही आम की फसल बिगड़ गई गई। इस कारवों आम का आगमन देरी से हुआ। हालाँकि अभी महाराष्ट्र के रत्नागिरि से आनेवाले रत्नागिरी आम बाज़ार में संपूर्ण तौर पर उपलब्ध है लेकिन गुजरात में जो आम की फ़सल होती है उसमें देरी के कारण क़ीमत बढ़ गई है। बीते साल राजापूरी आम की क़ीमत बीस किलो की 1000 रुपये थी जो कि इस 1200रुपये हो गई है। वहीं वलसाडी हापुस की क़ीमत 1500 रुपये थी जो कि दो हज़ार के क़रीब पहुँच गयी है। केसर तालाला की कीमत 1800 रुपये से बढ़ते 2400 हो गई है। रत्नागिरी हापुस की क़ीमत 1500 सौ से बढ़कर 2200 रुपये हो गई है।आम विक्रेता संतोष मिश्रा ने बताया कि सामान्य तौर पर सूरत में मार्च महीने से आम का आगमन हो जाता है लेकिन मौसम बिगड़ने के कारण दिसंबर- जनवरी महीने में कई स्थानों पर सामान्य बरसात होने के कारण बडे पैमाने पर आम की फसल नष्ट हो गई। उसके बाद जो फल आए वह देरी से आ रहे है। इन तमाम कारणों से आम की क़ीमत में 20 प्रतिशत तक का उछाल आया है। हालाँकि दिनों के बाद बाज़ार में सभी प्रकार के आम का पूर्ण स्टॉक बाज़ार में आ जाएगा।
उल्लेखनीय है कि गुजरात के वलसाड में होने वाले हापुस आम का निर्यात विदेशों में भी बड़े पैमाने पर किया जाता है। गुजरात के हापुस का स्वाद अच्छा होने के चलते विदेशी ग्राहक इसे बहुत पसंद करते हैं। बीते कुछ वर्षों से वलसाड के हापुड़ के निर्यात में भी लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है।

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