सूरत
मंदी के कारण ऐसा नहीं है की सूरत के हीरा उद्योग को ही नुकसान हो रहा है,बल्कि इसका सीधा असर भारत की अर्थव्यवस्था पर भी पहुंच रहा है। एक्सपोर्ट बढने पर डॉलर से आवक बढ़ती है है और घटने पर आय में कमी आती है। बीते 10 महीना में 10772 मिलियन यूएस डॉलर के कट और पॉलिश्ड हीरो का निर्यात किया गया है जो कि पिछले वित्तीय वर्ष में 13094 मिलियन यूएस डॉलर का था यानी कि एक्सपोर्ट में 17% की कमी आई।
हीरा उद्योग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सूरत का हीरा उद्योग दुनिया भर में जाना माना जाता है। कट और पॉलिश्ड हीरो में 90% हीरे सूरत में ही तैयार किए गए होते हैं। कट ऑफ पॉलिश्ड का बहुत बड़ा कारोबार सूरत से जुड़ा हुआ है। ऐसा भी कह सकते हैं कि भारत का हीरा उद्योग एक तौर से एक्सपोर्ट पर ही आधारित है।हीरा हीरा उद्योग इन दिनों मुसीबत के दौर से गुजर रहा है। ऐसे में एक्सपोर्ट में कमी आने के कारण विदेश से होने वाली कमाई पर भी असर पड़ा है।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में जनवरी महीने तक 1394 मिलियन यूएस डॉलर के कट और पोलिश्ड हीरे विदेश में भेजे गए थे जो की 2024-280में 10 महीने तक 10772 मिलियन यूएस डॉलर पर पहुंच गया है अर्थात की व्यापार कम होने से डॉलर की आय भी कम हुई है। लगातार घटते हीरे के कारोबार ने सूरत के हीरा श्रमिकों के समक्ष बेरोजगारी का भय खड़ा कर दिया है। हाल में ही लोकसभा में सांसद पुरुषोत्तम रुपाला ने भी संबोधन में बताया कि सूरत के हीरा श्रमिकों की हालत लाचार है। साथ ही राज्य सरकार और केंद्र सरकार से उनके बच्चों के लिए स्कूल फीस सहित की व्यवस्था करने के लिए भी गुहार लगाई।हीरा उद्योग के घटते कारोबार में जहां एक और हीरा श्रमिकों की नौकरी छीन ली है। वहीं देश की तिजोरी पर भी असर पड़ रहा है।
चार साल में लगभग पचास फीसदी घटा
वर्ष----------------आय
2021-22----20057
2022-23-----18071
2023-24------13087
2024-25-----10772
(नोट --आवक मिलियन डोलर और समय अप्रेल से जनवरी का है)