लॉकडाउन के बाद जैसे-तैसे कपड़ा के कारखाना शुरू हो रहे थे कि श्रमिकों की कमी के कारण फिर से कई क्षेत्रों में लांच कारखाने बंद होने लगे हैं।बताया जा रहा है कि यदि श्रमिक एकाध सप्ताह तक और नहीं लौटे तो शहर के 50% से अधिक लोग इस कारखाने बंद हो जाने के कगार पर हैं।
मिली जानकारी के अनुसार लॉकडाउन के बाद लूम्स कारखाना संचालकों ने यूनिट शुरू कर दिए हैं लेकिन श्रमिकों की कमी उनके लिए बाधा बन गई है। लॉकडाउन के दिनों में बड़ी संख्या में यूपी,बिहार ओडिशा सहित अन्य राज्यों के श्रमिक अपने गांव लौट गए हैं। जिसके चलते कपड़ा यूनिटों में अब तक सिर्फ 15 या 20 को से काम चलाया जा रहा है।
श्रमिक कम होने के कारण कई कारखाने सिर्फ एक शिफ्ट में चल रहे थे। कई कारख़ानों मे सप्ताह में 2 दिन की छुट्टी दी जा रही है। वीवर्स का कहना है कि कम उत्पादन होने के कारण कपड़ों की लागत भी बढ़ रही है। कई श्रमिकों का फिक्स वेतन होने के कारण विवर्स को लाभ नहीं मिल रहा है।
ऐसे में कारखाना बंद कर देना ज्यादा उचित होगा। कई क्षेत्र के कारखानों में अब तक उत्पादन सप्ताह में 2 दिन छुट्टी दी जा रही थी लेकिन अब लसकाणा और आसपास के कई क्षेत्रों में कई यूनिट बंद हो गए।श्रमिक नहीं लौटे तो लगभग 50% और कारखाने बंद हो जाने के संभावना बताई जा रही है।
सूरत के व्यापारी दे रहे है साड़ी और ड्रेस के साथ मास्क और सेनेटाइजर
सूरत में कोरोना के बाद व्यापार उद्योग धीरे-धीरे रहा है। सूरत के कपड़ा उद्यमियों ने अब साडी और ड्रेस मैटेरियल के साथ लोगों को हाथों का मास्क, ग्लबस और सैनेटाइजर की बॉटल भी देने की शुरुआत की है।
मिली जानकारी के अनुसार लॉकडाउन के कारण 3 महीने वह सूरत का कारोबार बंद रहा। बीते एक सप्ताह से बंद सूरत का कपड़ा उद्योग मेरे धीरे खुल रहा है। सूरत के कपड़ा उद्यमियों ने व्यापार के साथ अपने काम अधिक ज़िम्मेदारी भी निभाना शुरू कर दी है। सूरत में कई कपड़ा व्यापारी साडी और ड्रेस मटीरियल्स के ऑर्डर के साथ सैनेटाइजर की बोटल हाथ के दस्ताने और मास्क भी दे रहे हैं।
सूरत के उद्यमी ने बताया कि लॉकडाउन के बाद व्यापार खुलने की शुरुआत में ही वह अपने ग्राहकों को साडी और ड्रेस मटीरियल की पैकिंग के साथ केरोना से बचने के लिए पूरी किट दे रहे हैं। हर एक किट मे सैनेटाइजर की बॉटल, मास्क और ग्लब्स है।