लॉकडाउन में यह करें-आदर्श नागरिक का धर्म निभांए!!

Spread the love

सूरत

देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी में 14 अप्रेल को लॉकडाउन आगे बढ़ाते हुए ३ मई तक कर दिया है। ऐसे में हम सभी नागरिको से इस लॉकडाउन में ये अपेक्षित है कि ,हमअपने अपने घरो में रहें और सिवाय जरुरत की वस्तुए खरीदने या दवा ख़रीदने के घर अलावा घर से बाहर न निकले।

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। अतःइस लॉकडाउन में समाज से दूर घरो में बंद रहकर समय गुजारना आसान कार्य नहीं है। इस अवधि को सुखपूर्वक गुजारने के लिए हमें अपनी दिनचर्या के कई पहलुओं पर ध्यान देना होगा।जीवन में किसी भी बड़ी समस्या का समाधान हम तभी कर सकते हैं ,जब हम उससे लड़ने के लिए शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और आध्यात्मिकया धार्मिक रूप से तैयार हो। इस लॉकडाउन की अवधि में हमें इन सब परविशेष ध्यान देना होगा।

सेहत का रखें ख़्यालकसरत या योग करें

 सामान्य दिनों में हम अपने रोजमर्राके काम से बाहर जाते हैं ,चाहे वो ऑफिस हो, स्कूल या कॉलेज हो या बाज़ार हो। शॉपिंग मॉल हो या पार्क हो ।रोजाना बहार जाने सेहमारे शरीर में दिन भर खाए गए भोजन की कैलोरी का उपयोग तो होता ही है। साथ ही साथ मन प्रसन्न भी रहता है ,परन्तु लॉकडाउन के समय हम सब अपने अपने घरो में बंद हैं और कोई शारीरिक कार्यनहीं कर पा रहे हैं। इस समय हम शारीरिक रूप से चुस्तदुरुस्त रहना अत्यंत आवश्यक है। चाहे आप किसी भी आयु के हो शारीरिक चुस्ती इस समय सबसे ज्यादा जरुरी है। इसलिए घर पर ही योग, प्राणायाम जरूर करें।

यूट्यूब और इंटरनेट से कई ऑनलाइन वीडियो उपलबध है। घर बैठे खुद को फिट रखने के लिए जरुरी कसरते दिखाई गई हैं ।जो मन को पसंद हो वह करें लेकिन कुछ करना चाहिए। क्योंकि स्वस्थ्य शरीर में ही स्वस्थ दिमाग रहता है ।जिसके जरिये इस समय हमअपने परिवार के साथ मिलकर इस महामारी से लड़ सकते हैं।, वृद्ध डायबिटिक लोगो को विशेष ध्यान देना पड़ेगा स्वस्थ पर।

आर्थिक रूप से तैयार रहे

आर्थिक तैयारी का तात्पर्य है, घर मेंजरुरत की सामग्री का होना न कि ,अत्यधिक सामान का संग्रह करना। प्रशासन बहुत ही मुश्किल से हमारी रोजमर्रा की जरुरत केलिए दूध, फल,सब्जी इत्यादि उपलबध करा पा रहा है ।इसलिए एक ज़िम्मेदार नागरिक की तरह हम जितना जररत हो उतना ही ख़रीदे और अनावश्यक संग्रह न करे और कोशिश करे एक सादा जीवन जीने की।

सादा जीवन जीने का करें प्रयास

इस लॉकडाउन  की अवधि में एक सादा जीवन जीने की कोशिश करें ।न कि, विलासितापूर्ण जीवन जिए। एक समय कोशिश करे छोले चना या राजमा बनाये और एक समय सब्जी इत्यादि इससे सब्जी,फलइत्यादि की अत्यधिक मांग नहीं बढ़ेगी और उनके दाम नियंत्रित रहेगा। हर वर्ग अपनी ज़रूरी चीजें खरीद सकेगा।इस समय घर में काम करने वाले नौकर आदि का ख्याल रखे, भलेही वो लॉकडाउन के कारण काम पर न आ रहे हो परन्तु इस संकट की घड़ी में हमें उनका भी ख्याल रखना चाहिए ।

मानसिक रूप से तैयार रहें

बहुत पुरानी कहावत है की मन के हारेहार है ,मन के जीते जीत ।इस लॉकडाउन में मानसिक रूप से मजबूत होना बहुत जरुरी है। यहाँ पर परिवार के व्यस्कों पर अतिरिक्त ज़िम्मेदारी है कि वह घर के बच्चो और वृद्धो का विशेष ध्यान रखें।

बच्चों के साथ बिताएँ समय

बच्चो के साथ खूब समय बिताये, उनके साथ खेले क्योकि इन मासूमों के झूले चीन गए हैं ।पार्क में खेलना छीन गया है।  स्कूल जाना छिन रहा है ।अतः घर के बड़ो की ये जिम्मेदारी है , कि इनके साथ

पूरा परिवार एक साथ लूडो कैरम,ताश या अंताक्षरी खेले बड़े बच्चे सब साथ में खेले और खाये, बच्चो के साथ क्राफ्ट बनाये ।इसके बारे में यूट्यूब पर कई सारे वीडियो उपलब्ध हैं।
घर के बड़े अपना समय नेटफ्लिक्स या हॉटस्टार पर अकेले पिक्चर देखकर भी गुजार सकते हैं लेकिन ऐसा न करें,अगर पिक्चर देखना है तो ,पुरे परिवार के साथ मिलकर देखे क्योकि कोरोना के खिलाफ सबको साथ मिलकर लड़ना है| ऐसे समय में पुस्तके बहुत उपयोगी होती है, अपनी रूचि के अनुसार पुस्तके पढ़े, साहित्य पढ़े|

अपनी पसंद के अनुसार पुस्तक , साहित्य पढ़े

 इन दिनों दूरदर्शन पर रामायण , महाभारत, चाणक्य आदि धारावाहिक का पुनः प्रसारण हो रहा है ।कोशिश करें कि पुरे परिवार के साथ एक साथ बैठ कर देखें । बच्चे बूढ़े सब एक साथ देखे और इस पर चर्चा करे, ये एकसुनहरा अवसर है ,जिसमे आप बच्चो में धार्मिक और नैतिक भावना का विकास कर सकते हैं ,सो ऐसा जरूर करें।अगर आप किसी गुरु या विशेष विचारधारा को मानते है तो परिवारके साथ उनकी शिक्षाओं को पढ़े या सुने, किसी भी प्रकार के नकारात्मक सोच के व्यक्तियों से बचे ।इस समय हमें सकारात्मक सोच के साथ एक एक दिन व्यतीत करना है।

इस बात का हमेशा ख्याल रखे कि यह आप की अकेले की लड़ाई नहीं है ।इसे हम सबको मिलकर लड़ना है। हमें परिवार, मोहल्ला, तालुका, जिला,राज्य  और देश स्तर पर मिलकर ही लड़ना है। साथ मिलकर एक जुटताके साथ ही हम इस लॉकडाउन  का पालन कर सकते हैं और इस महामारीसे लड़ सकते हैं ।

विचार—मयंक पांडेय – संयुक्त आयकर आयुक्त सूरत