जहां जाने से सब डरते है-कोरोना मृतकों का अंतिम संस्कार कर दिखाई मानवता

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सूरत
कोरोना की महामारी के समय में जरूरतमंद लोगों को भोजन कराने वाले तो कई संगठन हैं,लेकिन एक ऐसा भी संगठन है जोकि अपनी जान की परवाह किए बिना कोरोना से जिनकी मौत हो जाती है ।उनकी अंतिम विधि में मदद कर रहा है ।


हम सूरत शहर के एकता ट्रस्ट की बात कर रहे हैं, जिसके सदस्य अपनी जान की परवाह किए और किसी जाति-पातिका भेदभाव रखे बिना इस सेवा कार्य में जुट गए हैं । सूरत महानगर पालिका ने कोरोना कि महामारी में जिन लोगों की मौत हो जा रही है।उनकी, अंतिम विधि के लिए एकता ट्रस्ट की मदद लिए गुहार लगाई है। कोरोना से मृतकों का अंतिम संस्कार सरकार की गाइडलाइन के अनुसार किया जाता है।

लंबे समय से मानवता का काम
कई बार तो किसी की मृत्यु के बाद जब परिवार जन भी संक्रमण से डरते हैं।ऐसे में, एकता ट्रस्ट का यह कार्य बहुत सराहनीय है ।ट्रस्ट के 20 सदस्य अंतिम विधि में मदद देते हैं ।ट्रस्ट में कुल 40 सदस्य हैं।
एकता ट्रस्ट सूरत शहर में लंबे समय से मानवता का काम कर रहा है।

कोरोना मृतकों के लिए गाइड लाइन

एकता ट्रस्स्ट लंबे समय से शहर में जिन लाशों का कोई वारिश नहीं मिलता ।ऐसी लावारिस लाशों को अंतिम संस्कार मानवता का काम करता है।कोरोनाके कारण जिनकी मौत हो जाती है उनके लिए सरकार की ओर से गाइडलाइन है उसी के अनुरूप अंतिम संस्कार करना होता है ।ऐसे में डेड बॉडी को ले जाने के लिए सूरत महानगर पालिका ने एकता ट्रस्ट से गुहार लगाई थी।

विशेष प्रकार की किट

मृतकों को के अंतिम संस्कार के लिए विशेष व्यवस्था रखी जाती है।ताकि अन्य लोगों को भी इन्फेक्शन ना लग सके ।लाश ले जाने वाले के लिए विशेष प्रकार की किट है ।यह किट पहन के वह लाश को से से स्मशान घाट ले जाते हैं।यदि परिवार जन मिलना चाहे तो भी उन्हें दूर से दर्शन कराया जाता है।

विधी से किया जाता है अंतिम संस्कार

यदि मृतक हिंदू हो तो उसे 40 डिग्री टेंपरेचर तक तापमान में दाह संस्कार का जाता है और मुस्लिम को 10 फीट से अधिक गड्ढे में दफनाया जाता है,और केमिकल छांटा जाता है ।सूरत में अभी तक कोरोना के कारण चार लोगों की मौत हो चुकी है और शंकास्पद कोरोना के कारण 7 लोगों की जान जा चुकी है।