हीरे के जॉबवर्क बढ़ाने के लिए नए संगठन की रचना

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सूरत
हीरा उद्योग की मंदी के चलते हीरा श्रमिकों के साथ अब हीर कारखाने चलाने वालों को भी कड़ी चुनौतियां झेलनी पड़ रही है।सतत मंदी के चलते बड़े व्यापारियों ने कट और पॉलिश्ड हीरे तैयार करने की मजदूरी घटा दी है इसके चलते हीरा श्रमिकों और हीरा तैयार करने वाले कारखाना मालिकों को भी संकट के दौर से गुजरना पड़ रहा है। यदि हीरे की मजदूरी नहीं बढ़ी तो वर्तमान समय में जो कारखाने चल रहे हैं वह भी बंद हो जाएंगे।इस स्थिति का सामना करने के लिए हीरो का जॉबवर्क करने वाले कई कारखाना मालिकों ने मिलकर एक नया संगठन तैयार किया है जो की इस बारे में बड़े व्यापारियों से बातचीत कर मामले का हल निकालने का प्रयास करेगा।


हीरा उद्योग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बीते 3 साल से हीरा उद्योग में मंदी का दौर गुजर रहा है।कट और पॉलिश्ड हीरो की कीमत भी नहीं बढ़ रही। इसके चलते हीरा व्यापारियों ने जॉबवर्क की कीमत घटा दी है। एक अंदाज के अनुसार 3 साल में 50% जॉब वर्क चार्ज घट गया है। जब चार्ज घटने के कारण हीरा कारखाने के मालिकों ने हीरा श्रमिकों का वेतन भी घटा दिया है। जिसके चलते पूरे हीरा उद्योग में संकट का माहौल बन गया है‌ वर्तमान स्थिति को देखते हुए जोबवर्क करने वाले कारखानेदारों का मानना है की कीमत में और कटौती की जाएगी।

बड़े हीरा व्यापारियों की मनमानी को रोकने के लिए जॉब वर्क करने वाले कारखानेदारों ने नया संगठन बनाया है। इस संगठन की मीटिंग आगामी 1 मार्च को मिलेगी। जिसमे की जब चार्ज के साथ मजदूरी के दर भी तय किए जाएंगे। संगठन की रचना के साथ ही महिधरपपूरा, कतारगाम और वराछा हीरा बाजार के लिए तीन अलग-अलग कमेटिया बनाई गई है। जो कि वहां के व्यापारियों की समस्याएं बताएंगे।

बताया जा रहा है की सूरत में छोटे-बड़े 5000 से अधिक कारखाने हैं जिनमें की जॉब वर्क का काम किया जाता है अभी तक इस संगठन में 1000 से अधिक व्यापारी जुड़ चुके हैं। इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए सूरत डायमंड जॉबवर्क एसोसिएशन के उप प्रमुख विजय नावडिया ने बताया कि मंदी की आड़ में बड़े व्यापारियों ने जॉबचार्ज घटा दिया है। यदि जॉबवर्क करने वाला व्यापारी कम कीमत में काम करने के लिए तैयार नहीं होता तो व्यापारी दूसरे को माल दे देते हैं।प्रतिस्पर्धा के कारण लगातार जाब चार्ज घटता जा रहा है। ।इसे रोकने के लिए यह संगठन तैयार किया गया है।