अन्य राज्यों में गए श्रमिकों के लिए ट्रेन दौड़ाने की मांग सूरत शहर के उद्यमियों को श्रमिकों की कमी खलने लगी है।व्यापार उद्योग जैसे जैसे खुल रहे हैं, वैसे वैसे श्रमिकों की मांग बढ़ती जा रही है।कुछ दिनों पहले तक शहर के सभी क्षेत्रों से श्रमिकों का पलायन जारी था। अब उद्यमी उन्हें वापस बुलाने की कोशिश कर रहे हैं।
अनलॉक-वन में शहर के कई क्षेत्रों में शर्तों के साथ व्यापार उद्योग खोलने की छूट दे दी गई है।इसके चलते लूम्स कारखाने, डाइंग प्रोसेसिंग यूनिट और एंब्रॉयडरी के कारखाने चालू हो गए हैं। एक और जहां कारखाने चालू हुए हैं। वहीं दूसरी ओर बड़ी संख्या में श्रमिक भी अब अपने गांव को लौट चुके हैं। सूरत में ज्यादातर श्रमिक यूपी, बिहार, उड़ीसा, महाराष्ट्र, झारखंड,मध्य प्रदेश आदि राज्यों के हैं जो कि,उनके दौरान बेबस और लाचार हो गए थे।
कुछ पैदल तो,कुछ ट्रेन के माध्यम से गांव चले गए। गांव जाने के समय श्रमिको ने बहुत दर्द का सामना किया।कई महिलाओं को तो ट्रेन में डिलीवरी हो गई। कुछ तो रोड एक्सीडेंट का शिकार हो गए। जैसे तैसे करके आखिर श्रमिक पहुंच गए हैं। अब वह जल्दी लौटकर आएंगे कि नहीं यह भी एक सवालिया निशान है।
इस बीच श्रमिकों को लाने के लिए क्या किया जाए इस पर कपड़ा संगठनों में मीटिंग का दौर चल रहा है। साउथ गुजरात टैक्सटाइल श्रमिकों को वापस लाया जाए इसलिए राज्य के मुख्यमंत्री से गुहार लगाने की मांग की है। साउथ गुजरात टैक्सटाइल प्रोसेसर एसोसिएशन के प्रमुख जीतू वखारिया ने कहा कि धीरे-धीरे यूनिट शुरू हो रहे हैं।
फिलहाल श्रमिकों के कारण उत्पादन प्रभावित हो रहा है। हम सरकार से श्रमिकों को निशुल्क अपने गांव से लाया जाए इसलिए शुरू करने की मांग की है।दूसरी ओर फेडरेशन ऑफ गुजरात वीवर्स एसोसिएशन के सदस्यों की शुक्रवार को मीटिंग थी। मीटिंग में फैसला किया कि श्रमिकों को वापस बुलाने के लिए सांसदों को पत्र लिखेंगे और राज्य के मुख्यमंत्री से यह गुहार लगाएंगे कि श्रमिकों को उनके गांव से लाने के लिए निशुल्क ट्रेन की व्यवस्था कराई जाए।
फैडरेशन ऑफ गुजरात वीवर्स एसोसियेशन के प्रमुख अशोक जीरावाला ने बताया कि मीटिंगे में श्रमिकों की कमी पर बात हुई। हम केन्द्र और राज्य सरकार से श्रमिकों को नि:शुल्क लाने के लिए ट्रेन की माँग करेंगे।