सुप्रिम कोर्ट के फैसले के अनुसार राज्य सरकारो ने उनके यहां रहने वाले श्रमिकों को गांव भेजने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। सूरत में भी बड़ी संख्या में अन्य राज्यों के श्रमिक रहते हैं। प्रशासन ने उनके लिए भी व्यवस्था की है।
शहर जिला मे अलग-अलग क्षेत्रो में रहने वाले लोगों को यदि गांव जाना हो तो 11 से 13 जून के बीच वह सुमन हाइस्कूल नं.15 नागसेन नगर. चीकूवाडी के बाजू में उधना में सबेरे 10 बजे से पांच बजे के बीच नाम दर्ज करवा सकते हैं। इसके बाद रजिस्ट्रेशन नहीं होगा।
उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन के दौरान व्यापार धंधा बंद हो जाने से सूरत में रहने वाले यूपी, बिहार. ओडिशा आदि राज्यों के श्रमिक अपने गाव लौट गए थे। देश के कई राज्यों में से श्रमिक अपने अपने गांव लौट गए थे। इसके लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन भी दौडाई गई थी।
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घाना के फूटबाल खिलाड़ी ने क्यों कहा भारत के लोग बहुत दयालु है, नहीं तो..
लॉकडाउन के दौरान 73 दिन मुंबई एयरपोर्ट के बाहर बिताने वाले घाना के फुटबॉल प्लेयर ने भारतीयों की जमकर तारीफ की है उसने कहा कि भारत के लोग बहुत ही दयालु है और मेरे बुरे वक्त में उन्होंने मेरी बड़ी मदद की है। घाना के इस खिलाड़ी ने को 73 दिन तक लॉकडाउन डाउन में फंसे रहने के कारण पुलिस, सीआईएसएफ, और मुंबई एयरपोर्ट पर अथॉरिटी की ओर से हर प्रकार की सहायता की गई।
बात ऐसी है कि घाना का फुटबॉल खिलाड़ी रानडी जुआन मूलर ने अपना अनुभव मीडिया से साझा करते हुए बताया कि वह केरल में आयोजित फुटबॉल टूर्नामेंट में शामिल होने के लिए भारत आया था लेकिन जाने लगा तब मुंबई एयरपोर्ट पर पहुंचने के बाद उसे पता चला कि क्षेत्र लाइट बंद हो चुकी है।
उसके पास सिर्फ 1000 रूपए थे। रात हो गई थी क्या करेगा एक रात उसने एयरपोर्ट के बाहर ही बिता दी उस दौरान एक पुलिस वाला आया और उसे एयरपोर्ट से दूर जाने के लिए कहा लेकिन वह केरल भी नहीं जा सकता था क्योंकि ट्रेन बंद थी उसके पास होटेल के लिए पैसे भी नहीं थे।
मुझे लगा कि मैं वहीं मर जाऊँगा।ऐसे में मूलर ने एयरपोर्ट के बाहर एक कोने को अपना आशियाना बना लियांधीरे-धीरे वहां से आने जाने वाले पुलिसकर्मी और सीआईएसएफ के जवानों को उसकी सच्चाई पता चली तो उन्होंने मूलर की मदद करना शुरू की।
इतना ही नहीं एयरपोर्ट की सिक्योरिटी स्टाफ ने मुंबई में साइक्लोन के दौरान मूलर को एक केबिन में आसरा दिया था। मूलर उनसे कुछ दिनों में घुल मिल गया। इसके बाद वह सीआईएसएफ के जवानों के साथ मोबाइल में पिक्चर देखता था, राजनीति की बातें करके समय बिताते और खेलकूद तथा धर्म की बातें करते थे। एक समय पर मूलर का मोबाइल बिगड़ जाने के बाद जब घरवालों से बात नहीं कर पा रहा था तो उसके लिए नए मोबाइल की भी व्यवस्था वहां के लोगों ने कर दी।
मूलर ने कहा कि यहां के लोग बहुत ही दयालु है। मुझे रोटी, बिस्कुट सॉफ्ट ड्रिंक आदि भी देते थे। अब मूलर को महाराष्ट्र के नेता आदित्य ठाकरे और घाना के राजद्वारी कार्यालय से मदद मिलने के कारण एक होटल में ठहराया गया है। उसने बताया कि यहां पर मिले अनुभव को वह उसके लिए सबसे बड़ी यादगार है।