सोमवार से कपड़ा मार्केट की दुकान खोलने की मांग!

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सूरत
फैडरेशन ऑफ सूरत टैक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन ने कलक्टर को ज्ञापन देकर सोमवार से कपड़ा मार्केट की दुकाने खोलने की मांग की है।
फोस्टा ने कलक्टर को दिए ज्ञापन में बताया है कि लॉकडाउन के कारण सूरत के कपड़ा व्यापारियों का करो़डो का माल जॉबवर्क में और गोडाउन में फंस गया है। कपड़ा बाजार खुलने के बाद ही डाइंग- प्रोसेसिंग, वीविंग, एम्ब्रॉयडरी तथा महिलाओं के घर पर होने वाला कपड़ों का जॉबवर्क शुरू होगा। इसलिए पहले कपड़ा मार्केट खुलने की छूट दी जाए।  देश के कई क्षेत्रों मे मार्केट खुलने के लिए छूट दी जा रही है। इसे ध्यान में रखते हुए सूरत के कपड़ा मार्केट को भी छूट मिले। कपड़ा मार्केट बंद होने से व्यापारियों के जीएसटी, आयकर, बैंकिंग तथा पेमेन्ट सहित कई काम प्रभावित हो रहे हैं। यदि मार्केट खुलते हैं तो व्यापारियों को सरलता होगी और धीरे-धीरे व्यापार शुरू हो सकेगा। इसे देखते हुए सोमवार से तीन-घंटे मार्केट और क्वारेन्टाइन क्षेत्र की बैंक खुलने की इजाजत दी जाए।

-छोटे और मध्यम कपड़ा कारोबारियों के लिए अब अस्तित्व का संघर्ष
सूरत
कपड़ा उधोग के लिए आगे की डगर कांटो भरी नज़र आ रही है। ख़ासकर छोटे और मध्यम वर्गीय व्यापारियों के लिए व्यापार का अस्तित्व बचा पाना भी मुश्किल नज़र आ रहा है।एक ओर जहां कोरोना के बाद पूँजी की समस्या आएगी वहीं दूसरी ओर उन्हें कई पेमेंट भी करने होंगे । बड़े उधमी तो जैसे तैसे कर अपनी नाव निकाल लेंगे, लेकिन छोटे व्यापारियों के लिए अस्तित्व बचा पाना मुश्किल होगा। बुधवार को वित्तमंत्री ने राहत पैकेज की घोषणा के बाद कुछ उम्मीद जगी है।

कपड़ा बाज़ार के सूत्रों का कहना है कि सूरत का कपड़ा व्यापार उधार पर चलता है। यहाँ के व्यापारी अन्य राज्यों के व्यापारियों को उधार माल बेचते है। इसके बाद व्यापारी अपनी अपनी शर्तों के अनुसार एक से तीन माह के बीच पेमेंट करते हैं। हालाँकि जीएसटी और नोटबंदी के बाद छह महीने पहले के पेमेन्ट भी सूरत के व्यापारियों के फँस गए हैं। सूरत के व्यापारी तगड़ी पूँजी लगाते है। इसके बाद व्यापार चलाते है। उन पर प्रतिमास डाइंग यूनिट, एम्ब्रॉयडरी यूनिट, श्रमिकों का वेतन लोन का हप्ता, बिजली बिल, घर का खर्च सहित अन्य खर्च निभाने की ज़िम्मेदारी है। लगभग डेढ माह से बाज़ार बंद होने के कारण सब की आय शून्य हो गई है और खर्च बने हुए है। शायद ही एकाध खर्च कम हुआ है। फ़िलहाल व्यापार कब शुरू होगा यह पता नही है लेकिन व्यापार खुलने के साथ ही वीवर, प्रोसेसर, एम्ब्रॉयडरी, जॉबवर्कर, बैंक लोन आदि मुँह फाड कर खड़े हो जाएँगे। ऐसे संजोगों में छोटे और मध्यम वर्गीय व्यापारियों के लिये व्यापार संभालना मुश्किल होगा। क्योंकि व्यापारियों का कहना है कि जो माल अभी भेजा गया है। उसमें से आधा माल तो वापिस आना है और दूसरे कि पैमेन्ट भी कब मिलेगा यह तय नहीं है। 25 प्रतिशत राशि कम से कम डूब जाएगी।इन विपरीत परिस्थिति में व्यापारी को पूँजी जुटा कर व्यापार शुरू करना और अपने खर्च चलाने का दोनों ही भार रहेगा। आवक सिमित और खर्च अपार यह गणित व्यापारियों का समीकरण बिगाड़ने को काफ़ी है।
यदि सरकार और बैंक व्यापारियों का साथ नहीं देगी तो निश्चित मानिए इस भँवर से उबर पाना मुश्किल हो जाएगा।