सूरत की कपड़ा मंडी से लिया माल वापिस किया तो समझ लो…

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सूरत
फैडरेशन ऑफ सूरत टैक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन ने अन्य राज्यों के व्यापारियों से बीते दिनों भेजे गए माल को बेचकर पैमेंट देने की शुरूआत करने और रिटर्न गुड्स नहीं करने की सूचना दी है।


फोस्टा की ओर से अन्य राज्यों के व्यापारियों के लिए जारी एक पत्र में कहा है किकोरोना वायरस के लोकडाउन से पिछले 2 महीने से सूरत का कपड़ा मार्केट सम्पूर्ण रूप से बंद है। इस दौरान सूरत में मजदूरी करने वाले लगभग 90% मजदूर भी पिछले दिनों में सूरत से अपने वतन की और पलायन कर चुके है।सूरत में कपड़ा मण्डी में उत्पादन लगभग फ़िलहाल संभव नहीं है।क्योकि सूरत कपड़ा उत्पाद की चेन पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है।


इसलिए यहाँ कपड़ों का कुछ दिनों उत्पादन कम होगा। कोरोना वायरस में लोकडाउन से पहले रमजान, शादी-ब्याह, इत्यादि का जो भी कपड़ा दुकानदार को भेजे है वह धीरे धीरे सभी माल को बेचकर उसका रुपया अपने सप्लायर दुकानदार को भेजकर आपसी व्यव्हार के साथ साथ पेमेंट की चैन शुरू करे। ताकि सभी व्यापारी वापस अपने व्यापार को खड़ा कर सके । एवं कोई भी दुकानदार जो भी माल गया है वह रिटर्न गुड्स न भेजे। आगे 4-5 महीने तक सूरत कपड़ा मार्केट में माल की कमी रहेगी।एजेंट व आइ़तिया से भी सहयोग की अपील की गई है।

यदि किसी व्यापारी ने रिटर्न गुड्स सूरत की पार्टी को भेजा और यदि व्यापारी ने फोस्टा में शिकायत किया तो उसका नाम कपड़ा बाजार में जारी कर विपदा के समय में सहयोग न करने पर उस व्यापारी से सावधान रहने की सुचना जारी कि जाएगी।

राज्य सरकार की आत्मनिर्भर योजना के प्रति बैंक उदासीन


राज्य सरकार की ओर से कोरोना के बाद बेरोजगार हो चुके लोगों को मदद करने के लिए और छोटे व्यापारियों की आर्थिक सहायता के उद्देश्य से आत्मनिर्भर योजना शुरू की गई है। इस योजना में ₹100000 तक की लोन बिना गारंटी के देने की बात कही जा रही है। बताया जा रहा है कि राज्य सरकार की ओर से 5000 करोड रुपए के इस पैकेज में वास्तव में तो राज्य सरकार सिर्फ 6% ही देने के लिए जिम्मेदार है। मतलब कि सिर्फ 300 करोड रुपए की जिम्मेदारी राज्य सरकार ले रही है बाकी की जिम्मेदारी बैंकों की होगी इस कारण बैंकों के अधिकारियों में निराशा है। वह इस योजना में ज्यादा उत्साहित नहीं है।


बैंकिंग सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बैंकर्स का कहना है कि यदि लोगों को लोन दी जाए और उनसे कोई गारंटी न ली जाए तो वह रकम वापस आएगी कि नहीं? इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा। इससे एनपीए बढ़ने की संभावना है।बैंकों का कहना है कि यदि वह लोन देते हैं और अकाउंट एनपीए हो जाता है तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से भी उन्हें सुनना पड़ेगा। ऐसे में इस योजना की सफलता को लेकर भी तरह-तरह की चर्चाएं उठने लगी हैं।

एक और राज्य सरकार जोर शोर से आत्मनिर्भर योजना की प्रशंसा कर रही है वहीं दूसरी और बैंक के अधिकारियों में इस योजना को लेकर निराशा देखी जा रही है। इस योजना को लेकर राजनीति भी गरम हो गई है।


कांग्रेस ने इस योजना को मात्र एक छलावा बताया है जबकि भाजपा इस योजना को गरीबों और जरूरतमंद लोगों के लिए उपयोगी बता रही है फिलहाल 1 जून तक के लिए कई बैंकों ने इस योजना के लिए फॉर्म देना बंद कर दिया है कुछ स्पष्टता के बाद ही वह फॉर्म वितरण करना शुरू करेंगे।