कोरोना ने दिखाया मानवता ज़िंदा है लोगों में! पढ़ें कैसे?

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सूरत कोरोना ने भले ही लोगों का जीना दुस्वार कर दिया है। कोरोना के कारण लाखो लोग बेरोजगार हो गए हैं और लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पलायन करना पड़ रहा है। लेकिन कोरोना के कारण कहीं कहीं मानवता अभी भी जिंदा है इसका उदाहरण भी देखने को मिला। बीते 10 दिन में सूरत से यूपी और बिहार जाने वाली चार महिलाओं को चालू ट्रेन में ही प्रसव पीडा शुरू हो गई।

एक ओर चालू ट्रेन और दूसरी ओर कोई डॉक्टर या परीचित भी नहीं। ऐसे में इन चारो घटनाओं में पीडित के आसपास बैठने वाली महिलाएं ही उनके लिए तारणहार बनी और प्रसूति करवाई। चारो घटना में माता और बच्चे दोनो ही स्वस्थ्य है। ऐसे भले ही लोगो एक दूसरे की मुश्किल में मदद करना एक बार टाल दे।

लेकिन बीते दस दिनों में ट्रेन में अपरिचित होते हुए भी डिब्बे में बैठी महिलाओं ने प्रसूता की मदद की उससे मानवता जीवित है यह साबित होता है। लॉकाडाइन के कारण सूरत में रहने वाले लाखो श्रमिक आंखों में आंसू लेकर सूरत शहर को अलविदा कह रहे हैं।  पिछले दस दिनों में सूरत से यूपी-बिहार जाने वाली ट्रेन में चार महिलाओं की डिलीवरी हुई है।

घटना -1
सीतामढ़ी जिले के असलम नामक का युवक की पत्नी मैनाज खातून सूरत और बिहार के दरभंगा के लिए एक विशेष ट्रेन में जा रहा था , उस दौरान बुधवार को सुबह 6 बजे उन्हें प्रसव पीड़ा हुई थी। उनके पति असलम ने पास की बोगियों से महिलाओं को बुलाया। वहां की महिलाएं  खातुन के लिए तारणहार बन गई। मेंनाज  ने एक बच्चे को जन्म दिया। ट्रेन से उतरने के बाद दोनों को प्राथमिक उपचार केंद्र भेजा गया।

घटना -2
बुधवार को सूरत से रायबरेली के हमीरपुर के दीपक निषाद अपनी गर्भवती पत्नी रजनी के साथ यूपी जा रहे थे।  उस दौरान उनकी पत्नी को दर्द होना शुरू किया। इसे देख रही महिलाओं नें डिलिवरी करवाई । दीपक सूरत स्थित एक कंपनी के लिए काम कर रहे थे, लेकिनलॉकडाउन में अपना व्यवसाय बंद होने के बाद उन्हें घर लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा। 

घटना -3
यूपी के मूल निवासी आशीष मिश्रा अपनी गर्भवती पत्नी सोनी मिश्रा के साथ लॉकडाउन में काम बंद हो जाने से गाव जा रहे थे।उस दौरान  चालू गाडी में के पास दर्द  होने लगा। शूरू में वह दर्द रोकने का प्रयास कर रही थी लेकिन दर्द असहनीय हो गया। इसे देख रही आसपास की महिलाओं ने डिलीवरी कराई।

घटना-4
काम और व्यवसाय के लिए सूरत आए यूपी के रामेश्वर सिंह 9 मई को श्रमिक ट्रेन से गर्भवती पत्नी केतकी के साथ यूपी गांव जा रहे थे, अचानक उनकी पत्नी की तबियत ख़राब हो गई। पत्नी की हालत से घबराकर, रामेश्वर सिंह ने कुछ महिलाओं को मदद के लिए गुहार लगाई और महिलाओ ने बिना देरी किए मदद कर डिलीवरी करवाई।