मुंबई एयरपोर्ट पर 73 दिन फंसे घाना के फूटबाल खिलाड़ी ने कैसे बिताए दिन! जानिए

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लॉकडाउन के दौरान 73 दिन मुंबई एयरपोर्ट के बाहर बिताने वाले घाना के फुटबॉल प्लेयर ने एयरपोर्ट पर उसे मदद करने वाले एयरपोर्ट स्टाफ़, पुलिस और सीआईएसएफ की तारीफ की ।उसने कहा कि यहां के लोग बहुत ही दयालु है और मेरे बुरे वक्त में उन्होंने मेरी बड़ी मदद की है।

घाना के इस खिलाड़ी ने को 73 दिन तक लॉकडाउन डाउन में फंसे रहने के कारण पुलिस, सीआईएसएफ, और मुंबई एयरपोर्ट पर अथॉरिटी की ओर से हर प्रकार की सहायता की गई।


घाना के फुटबॉल खिलाड़ी रानडी जुआन मूलर ने अपना अनुभव मीडिया से साझा करते हुए बताया कि वह केरल में आयोजित फुटबॉल टूर्नामेंट में शामिल होने के लिए भारत आया था लेकिन जाने लगा तब मुंबई एयरपोर्ट पर पहुंचने के बाद उसे पता चला कि क्षेत्र लाइट बंद हो चुकी है।

उसके पास सिर्फ 1000 रूपए थे। रात हो गई थी क्या करेगा एक रात उसने एयरपोर्ट के बाहर ही बिता दी उस दौरान एक पुलिस वाला आया और उसे एयरपोर्ट से दूर जाने के लिए कहा लेकिन वह केरल भी नहीं जा सकता था क्योंकि ट्रेन बंद थी उसके पास होटेल के लिए पैसे भी नहीं थे।मुझे लगा कि मैं वहीं मर जाऊँगा।

ऐसे में मूलर ने एयरपोर्ट के बाहर एक कोने को अपना आशियाना बना लियांधीरे-धीरे वहां से आने जाने वाले पुलिसकर्मी और सीआईएसएफ के जवानों को उसकी सच्चाई पता चली तो उन्होंने मूलर की मदद करना शुरू की। इतना ही नहीं एयरपोर्ट की सिक्योरिटी स्टाफ ने मुंबई में साइक्लोन के दौरान मूलर को एक केबिन में आसरा दिया था। मूलर उनसे कुछ दिनों में घुल मिल गया।

इसके बाद वह सीआईएसएफ के जवानों के साथ मोबाइल में पिक्चर देखता था, राजनीति की बातें करके समय बिताते और खेलकूद तथा धर्म की बातें करते थे। एक समय पर मूलर का मोबाइल बिगड़ जाने के बाद जब घरवालों से बात नहीं कर पा रहा था तो उसके लिए नए मोबाइल की भी व्यवस्था वहां के लोगों ने कर दी। मूलर ने कहा कि यहां के लोग बहुत ही दयालु है।

मुझे रोटी, बिस्कुट सॉफ्ट ड्रिंक आदि भी देते थे। अब मूलर को महाराष्ट्र के नेता आदित्य ठाकरे और घाना के राजद्वारी कार्यालय से मदद मिलने के कारण एक होटल में ठहराया गया है। उसने बताया कि यहां पर मिले अनुभव को वह उसके लिए सबसे बड़ी यादगार है।