सूरत
कोरोना के चलते लॉकडाउन के कारण लाखों लोगों को बेरोज़गारी का सामना करना पड़ रहा है। श्रमिको को जीवन जीने के लिए संघर्ष करना पड रहा है, उनके पास रुपये नहीं होने से रोज़ जैसे-तैसे करके अपने भोजन का प्रबंध करने को लाचार हुए हैं।
कंपनी संचालकों से वेतन देने की अपील
लॉकडाउन के पहले ही प्रधानमंत्री ने कंपनी संचालकों से पहले ही बंद दिनों का भी वेतन देने के लिए कंपनी संचालकों से अपील की थी। इसके बावजूद कई स्थानों पर इसका पालन नहीं हो रहा। ऐसे में लाचार श्रमिकों की हालत और पतली होती जा रही है। ना ही वह अपने वतन वतन जा पा रहे हैं और ना ही यहाँ रह कर अपने दो वक़्त के भोजन का इंतज़ाम कर पा रहे हैं ।
लघुत्तम वेतन नियम के अमल की माँग
जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के रीजनल चेयरमैन दिनेश नावडिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह अपील की है कि वह कंपनी संचालकों से श्रमिकों को पूरा नहीं तो कम से कम वेतन लघुत्तम वेतन के नियमों के अनुसार दिलवाने की व्यवस्था करें। नावडिया में बताया कि सरकार के लघुतम वेतन योजना के अनुसार कुशल श्रमिक को 8500 और 8300 रुपये चुकाने का नियम है|
वेतन नहीं चुकाने की शिकायत
इन दिनों कारख़ाने बंद होने के कारण कंपनी संचालक ख़ुद ही परेशान है ऐसे में कई स्थानों पर श्रमिकों को वेतन नहीं दिए जाने की शिकायत भी सामने आ रही है ।ऐसे में सरकार से यह आग्रह है कि जो कंपनी संचालक पूरा वेतन नहीं दे पा रहा है। वह कम से कम लघुत्तम वेतन नियम के अनुसार भी श्रमिकों का कम से कम वेतन दें तो भी उन्हें घर का गुजरात चलाने में दिक़्क़त नहीं आएगी ।
सूरत में लाखों श्रमिक बेरोज़गार
उल्लेखनीय है कि सूरत के कपड़ा उद्योग में लगभग 10 लाख श्रमिक काम करते हैं ।हीरा उद्योग में लगभग छह लाख श्रमिक काम करते हैं ।जरी उद्योग में एक लाख श्रमिक काम करते हैं। इन तीनों उद्योगों में ही कुल मिलाकर 20, लाख से अधिक श्रमिक काम करते हैं। इसी तरह अन्य उद्योगों में भी काम करने वाले श्रमिक लाखों की संख्या में हैं, जो कि इन दिनों परेशानी से गुज़र रहे हैं।
यदि सरकार की ओर से वेतन चुकाने की बात संचालक मानते है तो लमकडाउन के श्रमिकों को हो रही दिक़्क़त कम हो जाएगी ।हालाँकि दूसरी ओर यह भी देखा जा रहा है कि कंपनी संचालक भी कारख़ाने होने बंद होने से दिक़्क़त का सामना कर रहे हैं।