सरकार द्ववारा एक स्किम चलाई गई थी और चल भी रही हैं बिल लावो इनाम पावो इस स्कीम के जरिये भी जीएसटी डिपार्टमेंट आपके बिल की किस प्रकार से जांच करता है और फिर कारण बतावो नोटिस के जरिये जबाब भी पूछता है।यानी कि ये उन टैक्सपेयर्स के लिए है जो जीएसटी रूल्स के मुताबिक B2C के इनवॉइस नही बनाते हैं।
जीएसटी रूल्स के मुताबिक 50 हजार से नीचे के बिल में इतनी डिटेल्स नही देनी होगी पर अगर आप B2C का कोई भी बिल 50 हजार से ऊपर बनाते हो तो उस बिल पर खरीददार का नाम, एड्र्स,स्टेट लिखना अनिवार्य है पर लापरवाही व छोटी सी गलती टैक्सपेयर्स कर बैठते हैं जिसकी वजह से फस जाते है अब होता ये की कोई भी परचेजर आपसे बिल लिया उसने सरकार द्ववारा चलाई गई।
स्किम के तहत इनाम पाने के लिए उसे अपलोड कर दिया कारण की सरकार लॉटरी सिस्टम के आधार पर इनाम जो दे रही हैं।और उधर आपका डेटा सरकार के पास चला गया।अब जब आप अपना जीएसटी आर 1 फ़ाइल करते है तब सरकार जीएसटी नम्बर के आधार पर पोट्रल के द्ववारा ये चेक हो जाता हैं कि एक जीएसटी नम्बर पर एक महीने में जितने बिल B2C के अपलोड हुई है क्या व आपके द्ववारा भेजे गए जीएसटी आर 1 में उतने बिल आ रहे है या नही।
इन सभी के आधार पर जीएसटी डिपार्टमेंट पहले भी कई तरीकों के आधार पर फेंक इनवॉइस व गलत अपलोड बिलो की जांच करता रहा हैं ठीक उसी तरह यहा भी चोरी कहा हो रही हैं ओर आपसे जबाब भी मांग सकता है।कुलमिलाकर सरकार को भी स्किम निकालती है उसमें भी अपना ही काम निकालती है।