हीरा उद्योग में नहीं सब ठीक! हीरा श्रमिक है मुश्किल में!

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गुजरात डायमंड वर्कर यूनियन ने कलक्टर को ज्ञापन देकर हीरा श्रमिकों को लॉकडाउन के दिनों का वेतन नहीं दिए जाने की शिकायत करते हुए इसकी व्यवस्था कराने की मांग की है।


गुजरात डायमंड वर्कर यूनियन ने कलक्टर को ज्ञापन में बताया है कि सरकार की ओर से लॉकडाउन के दिनों में पूरा पगार चुकाने और छंटनी नहीं करने को कहा था। इसके बावजूद हीरा श्रमिकों को वेतन नहीं दिया गया है साथ ही कई कंपनियां छंटनी कर रही है।

इसके अलावा इन दिनो हीरा श्रमिक पहले से ही परेशान हैं ऐसे में कई कंपनियों में कम वेतन पर उनसे काम कराया जा रहा है। मंदी के बहाने हीरा श्रमिकों के वेतन में 40 प्रतिशत तक कमी की जा रही है। इसलिए कलक्टर से मध्यस्थी कर हीरा श्रमिकों से अन्याय नहीं हो ऐसी व्यवस्था करने की मांग की है। 

यूनियन के प्रमुख रमेश जिलरीया और भावेश टाँक का कहना है कि हीरा श्रमिक पहले से ही लॉकडाउन के कारण आर्थिक समस्या से जूझ रहे हैं ऐसे में यदि उन्हें काम से निकाल दिया जाए या पगार काट ली जाए तो वह मानसिक तौर से टूट कर कुछ भी कर सकते हैं इसलिए हीरा श्रमिकों का वेतन नहीं काटने और छँटनी नहीं ऐसी प्रशासन से माँग की है।।

कपड़ा व्यापारी कर रहे किराया माफ़ी की माँगे

आरकेटीएम मार्केट के व्यापारियों ने किराया माफी की मांग
सूरत किराया माफी को लेकर कपड़ा बाजार की कई मार्केट में चल रही मांग में गुरूवार को राधाकृष्ण टैक्सटाइल मार्केट के व्यापारी भी जुड़ गए। राधाकृष्ण टैक्सटाइल मार्केट में किराए से दुकान चलाने वाले व्यापारी बड़ी संख्या में दुकानों के बाहर निकल आए और गैलरी में ही बैठकर किराया माफी को लेकर नारेबाजी करने लगे। व्यापारियों का कहना है कि तीन महीने का किराया माफ होनौ चाहिए।

इसके अलावा व्यापारी मैंटेनेस और पार्किंग चार्ज भी माफ करने की मांग कर रहे है। कई व्यापारी यदि मांग नहीं मानी जाती तो सोमवार से दुकान बंद करने की बात भी कह रहे थे। कुछ दुकानदारों ने दुकाने खोल रखी थी उनकी दुकाने भी समर्थन के लिए बंद करा दी गई। 
इसके पहले मंगलवार को सूरत टैक्सटाइल मार्केट तथा यूनिवर्सल मार्केट और बुधवार को जेजे एसी तथा मिलेनियम मार्केट में व्यापारियों ने किराय माफी को लेकर अपनी बातें दुकान मालिकों को सामने रखी।

व्यापारियों का कहना है कि लॉकडाउन के दिनों में दुकाने बंद होने से एक रुपए की आवक नहीं हुई है। ऐसे में दुकान के मालिकों को परिस्थिति समझते हुए दुकान का किराया तीन महीने तक माफ कर देना चाहिए।