राज्य की नई टैक्सटाइल पॉलिसी घोषितः जानिए सूरत को क्या मिला?

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सूरत
लंबे समय से टेक्सटाइल पॉलिसी के अभाव में संघर्ष के दौर से गुजर रहे सूरत सहित गुजरात के कपड़ा उद्योग के लिए राहत भरे समाचार हैं।गुजरात राज्य की टेक्सटाइल पॉलिसी घोषित किए जाने के कारण कपड़ा उद्यमियों को राहत मिली है। साथ ही अन्य राज्यों मैं पलायन करने वाले उद्यमियों की संख्या भी घटेगी।


गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने मंगलवार को टेक्सटाइल पॉलिसी की घोषणा की।नई टेक्सटाइल पॉलिसी में कपड़ा उद्योगों को 10 से 35% तक कैपिटल सब्सिडी का प्रावधान किया गया है।इसके पहले ब्याज सब्सिडी में 5 से 6 प्रतिशत तक का प्रावधान था जो कि अब की बारी ब्याज पर 5 से 7% तक की सब्सिडी दी जाएगी।वहीं पर पावर सब्सिडी में भी छूट दी गई है। प्रति यूनिट 1 रुपए की सब्सिडी दी जाएगी।राज्य के 5592 औद्योगिक इकाइयों के लिए 1107करोड रुपए की सहायता की घोषणा की गई।

राज्य की नई टेक्सटाइल पॉलिसी में ग्रामीण क्षेत्र में कपड़ा उद्योग में काम करने वाली महिलाओं को अधिक वेतन मिल सके इस पर भी ध्यान दिया गया है।इसके पहले वर्ष 2019 में टेक्सटाइल पॉलिसी बनाई गई थी। इसमे कैपिटल इन्वेस्टमेन्ट सब्सिडी के लिए प्रावधान नहीं था। ब्याज पर सब्सिडी और पावर पर सब्सिडी दी गई थी। अब की बार सरकार ने कैपिटल सब्सिडी का प्रावधान किया है।बताया जा रहा है कि कपड़ा उद्योग में टफ योजना बंद हो जाने के बाद उद्यमियों ने निवेश करना कम कर दिया था लेकिन टेक्सटाइल पॉलिसी में कैपिटल सब्सिडी 10 से 35% कर देने के बाद यह निवेश बढ़ेगा।


गुजरात के अलावा अन्य राज्यों में टेक्सटाइल पॉलिसी घोषित कर दिए जाने के कारण कई कपड़ा उद्यमियों ने योजनाओं का लाभ लेने के लिए अन्य राज्यों में भी निवेश करना शुरू कर दिया था लेकिन राज्य की टेक्सटाइल पॉलिसी में कई अच्छे प्रावधान होने के कारण गुजरात के बाहर जाने वाला निवेश भी रुकेगा।

गुजरात की नई टेक्सटाइल पॉलिसी के प्रावधान कपड़ा उद्यमियों के लिए गेम चेंजर साबित होगी।टेक्सटाइल पॉलिसी में कैपिटल इनवेस्टमेंट सब्सिडी के अलावा बिजली टैरिफ़ पर भी सब्सिडी की बात कही गई है। इससे अन्य राज्यों में पलायन करने वाले उद्योगों की संख्या घटेगी।साथ ही कपड़ा उद्योग में नया निवेश भी आएगा।हालाँकि इसका अमल पुरानी पॉलिसी जिस दिन समाप्त हुई तब से होना चाहिए। साथ ही गत टैक्सटाइल पॉलिसी के समय की कई फाइलें अभी भी पेंडिंग पड़ी है वह भी जल्दी क्लियर होनी चाहिए।
मयूर गोलवाला, सेक्रेटरी, सचिन इंडस्ट्रियल कोआपरेटिव सोसायटी

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