सूरत
इंडियन नेशनल टेक्सटाइल वर्कर्स फेडरेशन ने कपड़ा उद्योग की परिस्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री विजय रूपाणी से श्रमिकों सूरत के पलायन को रोकने की मांग की है।
संगठन का कहना है कि सूरत के कपड़ा उद्योग में प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर से 15 लाख से ज्यादा श्रमिक काम करते हैं लॉकडाउन के कारण काम बंद होने से सूरत से 75% श्रमिक चले गए हैं। सिर्फ एक चौथाई श्रमिक बचे हैं।ऐसे में टेक्सटाइल उद्योग को आगामी दिनों में जीएसटी, बिजली शुल्क, आदि में राहत देनी चाहिए और श्रमिकों का पलायन होने से रोकना चाहिए।
नहीं तो, सूरत का कपड़ा उद्योग बांग्लादेश और चीन में शिफ्ट हो जाएगा। संगठन के नैषध देसाई ने मीडिया को बताया है कि भारत के मुकाबले चीन और बांग्लादेश में बिजली की कीमत आधा है। वहां ब्याज की दरें कम है। एवं जीएसटी भी लगभग 40% कम है। हाल की परिस्थिति में भारत में कपड़ा उद्योग के लिए परिस्थिति अच्छी नहीं है। यहाँ टैक्सटाइल इंडस्ट्री विकेन्द्रित है।
बिना सरकार सहाय के वह आत्मनिर्भर नहीं बन सकती हैं।वहां के उद्यमियों को सब्सिडी का लाभ मिलता है सूरत का कपड़ा उद्योग चीन और बांग्लादेश के सामने टिक सके इसलिए सरकार को मदद करनी चाहिए। देसाई ने कहां कि उधोगो को सब्सिडी सहित अन्य आवश्यक सहायता देनी चाहिए। इंडियन नेशनल की ओर से उद्योगों को वर्किंग कैपिटल के लिए ब्याज रहित लोन देना चाहिए।
राज्य एवं केन्द्र की जीएसटी में में 5 वर्ष तक पचास प्रतिशत छूट देना चाहिए। 5 वर्ष तक बिजली शुल्क में 25% छूट देना चाहिए। एमएसएमई सीसी, ओडी और वर्किंग कैपिटल पर पाँच साल तक ब्याज माफी देनी चाहिए।