बिल नहीं चुकाने पर वृध्द मरीज को हॉस्पिटल में बेड से बाँध दिया!

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कहते है कि डॉक्टर भगवान का रूप होते है, लेकिन कभी कभी ऐसी घटनाएँ सामने आ जाती है कि मानवता शर्मसार हो जाती है। ऐसी ही एक धटना मध्यप्रदेश से सामने आ रही है।


मध्यप्रदेश के एक होस्पिटल में 11000 रूपए का बिल नहीं चुकाने वाले एक मरीज को होस्पिटल के स्टाफ ने बैंड के साथ बाँध दिया।


मिली जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश के शाहजहाँपुर में एक वृध्द को शारीरिक तकलीफ के चलते कुछ दिन पहले अस्पताल में दाखिल किया गया था।उसका उपचार हो जाने के बाद उसके पास बिल के रूपए नहीं थे। परिवारजनों ने डॉक्टर्स से समय माँगा।

इस दौरान पता नहीं किन्ही कारणों से होस्पिटल के स्टाफ ने वृध्द को बैड से बांध दिया। वृद्ध के परिवारजनों का आरोप है कि उनके बार-बार रोकने पर भी होस्पिटल का स्टाफ उनकी बात सुनने को तैयार नही था।


यह घटना देख रहे आसपास के मरीज़ों के परिवारजनों ने भी होस्पिटल के स्टाफ को समझाने का प्रयास किया। घटना पूरे शहर में चर्चा का विषय बनी है।

होस्पिटल स्टाफ का कहना है कि मरीज को खींच आती थी इसलिए बैड से बांधा गया।मध्यप्रदेश सरकार ने इस मामले की जाँच के आदेश दिए है।

चीन के खिलाफ 8 देशों ने बनाया संगठन
चीन की मुसीबत लगातार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती जा रही है।कोरोना वायरस, साउथ चाइना और हांगकांग तथा भारत के साथ चल रहे विवाद को लेकर चीन चारों ओर से घिरता नजर आ रहा है।ऐसे हालात में अमेरिका सहित यूरोप के 8 देशों ने चीन को वैश्विक व्यापार सुरक्षा और मानव अधिकारों के लिए खतरा बताते हुए एक संगठन बनाया हैं।

यह संगठन अमेरिका, जर्मन, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, स्वीडन नॉर्वे, और यूरोप की संसद के सदस्यो का बना है।शुक्रवार को इस संगठन यानि आईपीएसी की घोषणा हुई।इस संगठन के अनुसार चीन से जुड़े हुए मुद्दों पर सक्रियता से रणनीति बनाकर एक दूसरे का साथ देकर उचित प्रतिक्रिया देने की योजना है।

अमरीका के रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर मार्को रूबियो आईपीएसी के सहायक देशो में से एक हैं। रूबियों ने कहा कि कम्युनिस्ट पार्टी के राज में चीन वैश्विक चुनौती पेश कर रहा है। अलायंस का यह भी कहना था कि चीन के खिलाफ खड़े होने वाले देशों को अक्सर ऐसा अकेले रहना पड़ता है। और बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ती है।

कोरोनना वायरस के फैलने के बाद से चीन और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। इसका असर उद्योगों पर भी दिखने लगा है। दूसरी ओर चीन का कहना है कि वह अब 19 के दशक का चीन नहीं है वह अपने हितों की सुरक्षा करना जानता है।