कपड़ा उद्यमी हेल्पलाइन पर पूछ रहे, पैमेंट मिलेगा या नही?

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सूरत
लॉकडाउन के कारण बंद कपड़ा कारख़ानों को शुरू करने के लिए हो रही असुविधा को कम करने के लिए सचिन जीआईडीसी के उद्यमियों ने एक हेल्प सेन्टर शुरू किया है।लॉकडाउन के कारण बंद यूनिटों को लॉकडाउन-४ के दौरान कुछ शर्तों के अधीन फिर से शुरू किया जा रहा है। हालाँकि केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने इसके लिए गाइडलाइन जारी की है। इसकी जानकारी उद्यमियों को अच्छे से मिले। इसलिए सचिन जीआईडीसी में सचिन इंडस्ट्रियल सोसायटी के पूर्व अध्यक्ष नीलेश गामी और पूर्व सचिव मयूर गोलवाला के साथ एक सहायता केंद्र शुरू किया है।

इस संबंध में, मयूर गोलवाला ने कहा कि उद्योगपतियों को इकाइयों को शुरू करने के लिए निगम के दिशानिर्देशों के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है। हम हैल्पलाइन पर इसकी जानकारी दो रहे है। लोगों को कारखाना शुरू करना है लेकिन उसके लिए कितने स्टाफ़ चाहिए, क्या व्यवस्था होनी चाहिए, सोशल डिस्टैंस के लिए क्या करना चाहिए। आदि के बारे में पूछ रहे है।

अभी तक 70 उद्यमियों का कॉल आ चुका है। इसके अलावा सोश्यल डिस्टैंस एवं रोग प्रतिकारक शक्ति बढ़ाने के लिए ज़रूरी सामन भी उपलब्धत करा रहे हैं। गोलवाला ने कहा कि ज़्यादातर उद्यमी अपने बताया पैमेन्ट के लिए चिंतित है। बातचीत के दौरान उनकी समस्या समझी जा सकती थी। कई उद्यमियों ने पूछा की सरकार की ओर से कोई योजना का लाभ उन्हे मिल सकता है या नही? उन्हें कपड़ा बाज़ार खुलने से पहले कारखाना शुरू करना चाहिए या नही?

सूरत से 23 दिन में 10 लाख से अधिक श्रमिक गांव गए
लॉकडाउन डाउन ने सभी के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है वहीं श्रमिकों के जीवन में भूचाल ला दिया है। सूरत में बीते 10 दिनों में 2300000 श्रमिक अपने गांव लौट गए हैं।
लॉकडाउन के कारण व्यापार धंधा रोज़गार बंद होने का कारण लाचार श्रमिक बीते एक महीने से अपने गाँव जाना शुरू कर दिए है।देश के सभी राज्यों में ट्रेन दौड़ाने के मामले में सूरत सबसे आगे है।


सूरत से अब तक 404 ट्रेन अन्य राज्यों के लिए गई हैं। ट्रेन से 6. 35 लाख से अधिक श्रमिक अपने गांव के लिए रवाना हो चुके हैं। इसके अलावा नीजि बस और अन्य साधनों से 3.30 लाख लोग गए है। कुल मिलकर बीते 23 दिनों में 10 लाख से अधिक श्रमिकों ने अपने गांव जा चुके है।


अभी भी सूरत से 200 से अधिक ट्रेन वेटिंग में है अर्थात की सवा तीन लाख लोगों ने गांव जाने के लिए मंजूरी मांगी है। इतनी बड़ी संख्या में श्रमिकों के पलायन के कारण सचिन पलसाना सहित क्षेत्र खाली हो गए हैं।


मिली जानकारी के अनुसार अन्य राज्यों की श्रमिकों की ओर से बार-बार अपने गांव जाने की मांग की जा रही थी इसके चलते प्रशासन ने कई राज्यों से संपर्क कर उनके लिए ट्रेन की व्यवस्था करवाई है। सूरत से उड़ीसा, बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, राजस्थान, तेलंगाना आदि राज्यों के लिए ट्रेन लगातार दौड़ रही है। सूरत से सबसे अधिक ट्रेन उत्तर प्रदेश के लिए रवाना हुई है 192 ट्रेनों के माध्यम से सूरत से उत्तर उत्तर प्रदेश के निवासियों को गांव ले जाया गया है।

राजस्थान, मध्य प्रदेश सहित कुछ अन्य राज्यों के लोग निजी बस और साधनों से अपने गांव गए हैं। इतनी बड़ी संख्या में श्रमिकों के पलायन के कारण पांडेसरा, सचिन, पलसाना के औद्योगिक क्षेत्रों में श्रमिकों की भारी कमी आ गई है। बताया जा रहा है कि अभी भी 200 से अधिक ट्रेन का शेड्यूल तैयार है। राज्य सरकार से मंजूरी मिलने के बाद यह भी रवाना कर दी जाएंगी।