कोरोना के कारण रेमेडेसिवीर इंजेक्शन की भारी मांग उठी है। प्रशासन रेमेडिसिविर इंजेक्शन मरीजों तक पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है लेकिन इस बीच सिविल हॉस्पिटल में डेढ सौ इंजेक्शन का हिसाब किताब नहीं मिलने के कारण सिविल प्रशासन चिंता में है। इसकी जाँच के आदेश दिए है।
बात ऐसी है कि नियम के अनुसार सिविल में दाखिल हो ऐसे मरीजों को ही रेमेडिसिविर इंजेक्शन दिया जाता है लेकिन मेडिकल स्टोर से सिविल हॉस्पिटल में दाखिल नहीं है।ऐसे लोगों के नाम पर भी इंजेक्शन दिया गया है। संभावना है कि डेढ़ सौ इंजेक्शन सिविल में दाखिल नहीं हो ऐसे लोगों के नाम पर जारी किए गए हैं।
यह मामला सामने आने के बाद सुप्रिन्टेन्डेन्ट ने जांच के आदेश दे दिए हैं। सोमवार को जिला कलेक्टर ने भी निजी हॉस्पिटलों को 1200 इंजेक्शन दिए थे एक मरीज के लिए एक इंजेक्शन ही दिया जा रहा है और जब तक कि स्टॉक है तब निजी हॉस्पिटल को इंजेक्शन दिया जाएगा। इसके दो दिन पहले भाजपा कार्यालय से भी लोगों को निशुल्क इंजेक्शन दिया गया था।
सूरत शहर में कोरोना ने अब डरावना रूप ले लिया है। प्रशासन की सभी तैयारियों के बाद भी कोरोना घटने का नाम नहीं ले रहा। शहर में कोरोना के बढते केसो के कारण लोगों में भय का माहौल बनता जा रहा है। सूरत में कोरोना संक्रमितों की संख्या सोमवार को 1469 पर पहुंच गई।सूरत की निजी अस्पतालों में अब कोरोना के बेड की कमी होने लगी है। मृतकों की संख्या देखते हुए पाल में 14 साल पहले बंद स्मशान घाट फिर से शुरू करना पड़ा।
सूरत शहर और ग्राम्य में मिलाकर संक्रमितों का आंकड़ा 1469 पर पहुंच गया। साथ ही 788 स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हुए। अभी तक शहर तथा ग्रामीण क्षेत्र से कुल 76416 मरीज कोरोना संक्रमित हुए। सोमवार को शहरी क्षेत्र से 18 तथा ग्रामीण क्षेत्र से 1 सहित कुल 19 कोरोना मरीजों की मौत हुई।अब तक शहर जिले में कुल 1302 की मौत हुई और 68763 मरीज डिस्चार्ज हुए हैं।
सूरत में कोरोना के मरीज़ों की संख्या को देखते हुए सिविल अस्पताल में आपातकालीन ओपीडी के सिवाय अन्य ओपीडी बंद करने का फ़ैसला किया गया है। कोरोना के कारण श्रमिकों में भय होने के कारण वह पलायन नहीं करें इसलिए चैम्बर ऑफ कॉमर्स ने प्रशासन से गुहार लगाई है।