हीरा उद्योग पर संकटः हीराश्रमिको की हालत तंग

Spread the love


सूरत
हीरा उद्योग की मंदी ने हीरा श्रमिकों को विवश कर दिया है। बीते चार महीने से कम वेतन या नौकरी छूट जाने के कारण कई श्रमिको ने बच्चों की स्कूल की फ़ीस भी नहीं चुका सके।
बीते दिनों में डायमंड वर्क यूनियन के सर्वे में यह दर्दनाक दास्तां सामने आई। डायमंड वर्कर यूनियन ने शुरू किए हेल्पलाइन में 2 हज़ार लोगों के कॉल आए।इनमें से कई लोगों ने आत्महत्या के विचार आने लगे हैं ऐसा दर्द बताया तो कई लोगों ने बच्चों की फ़ीस नहीं भर तक ने के कारण पढ़ाई छूटने की लाचारी बताई।
डायमंड वर्कर यूनियन की ओर से किए गए सर्वे के बाद अब कई बड़े हीरा उद्यमियों ने लाचार हीरा श्रमिकों का हाथ थामा है।धर्मनंदन डायमंड के संचालकों ने है 40 से अधिक बच्चों की बाक़ी स्कूल की फ़ीस चुकाई। इसी तरह से कई हीरा उद्यमी अब हीरा श्रमिकों के परिवारों को अनाज की कीट भी बाँटने के लिए सोच रहे हैं।


हीरा उद्योग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सूरत का हीरा उद्योग दो साल से विदेशों में हीरो की माँग घटने से मंदी के भँवर में फँसता जा रहा है। दो साल से हीरों का निर्यात लगातार घटता जा रहा है। परिस्थिति इतनी नाज़ुक हो गयी है कि कई हीरा कारखानों में छुट्टी दे दी गई है ।बड़ी संख्या में हीरा श्रमिकों को रोज़गार से हाथ धोना पड़ा है। कई कारख़ाने मे हीरा उद्यमियों ने में जब काम आएगा तब बुलाया जाएगा ऐसा कह कर नौकरी से छुट्टी दे दी है। जो हीराश्रमिक काम कर रहे हैं उनका भी वेतन 50 प्रतिशत तक कम कर दिया गया है।इस परिस्थिति में हीरा श्रमिकों के लिए जीवन ज़रूरी ख़र्च निकालना भी मुश्किल हो गया है। नेचरल हीरो के साथ लैबग्रान डायमंड मे भी गंभीर मंदी का माहौल है। डायमंड वर्कर यूनियन ने हीरा श्रमिकों की समस्या जानने के लिए सर्वे किया था।इस सर्वे मे अब तक 2 हज़ार लोगों ने कॉल किया। कुछ लोगों ने पेमेंट नई फँसने के चलते आत्महत्या करने की लाचारी बतायी।

कुछ लोगों का कहना था कि अब उनके पास बच्चों की पढ़ाई छुड़ाने के लिए सिवाय कोई विकल्प नहीं है। क्योंकि बीते 3 महीने से बच्चों की फ़ीस नहीं चुकाई। कई लोगों ने नौकरी के लिए गुहार लगायी थी। कुछ बड़े हीरा उद्यमी सामने और 40 स्कूल के बच्चों की फीस चुका दी। यह रक़म लगभग पाँच लाख रुपए की है।

डायमंड वर्कर यूनियन के उपप्रमुख भावेश टांक ने बताया कि नौकरी छूट जाने के बाद बड़ी संख्या में लोगों की आर्थिक हालत ख़राब हो चुकी है।वह आर्थिक संकट के दौर से गुज़र रहे हैं। इस बारे में राज्य सरकार से भी गुहार लगायी गई है लेकिन अभी तक कोई परिणाम नहीं मिला है। यदि राज्य सरकार कि यदि इराक़ श्रमिकों की मदद करती है तो उन्हें राहत मिलेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes:

<a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>