लॉकडाउन के दौरान व्यापार नहीं चलने के कारण आर्थिक परेशानी का सामना कर रहे सूरत के कपड़ा व्यापारियों ने किराया माफ़ी के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाया है। व्यापारी इस हस्ताक्षर के माध्यम से किराए पर दुकान चलानेवाले अन्य व्यापारियों का समर्थन चाहते है। फ़िलहाल यह अभियान बेगमवाडी क्षेत्र की मार्केट के व्यापारियों ने शूरू किया गया है।
बेगमवाडी क्षेत्र की कुछ मार्केट में गत रोज व्यापारियों ने दुकानों के आगे गैलरी में खड़े होकर विरोध किया था। अब किराएदार दुकानदार सभी दुकानों पर जाकर किराया माफ़ी के समर्थन में एक रजिस्टर पर व्यापारियों से समर्थन माँग रहे है। दरअसल किराएदार दुकानदारों को कहना है कि तीन महीने से दुकान बंद रहने के कारण वह पहले से परेशान है और व्यापार कब चलेगा यह ठिकाना रही है ऐसे में दुकान के मालिकों को उनकी मदद करनी चाहिए।
दुकानों का किराया माफ करना चाहिए। कई बिल्डर और दुकानदारों ने तो किराया माफ भी कर दिया है। इस सिलसिले में बीते दिनों कपड़ा व्यापारियों के संगठन, प्रोसेसर, विवर तथा पुलिस अधिकारियों की मीटिंग भी हुई। कुछ दुकान के मालिक किराया माफ़ी के लिए तैयार थे। लेकिन कुछ का कहना था कि उनका घर खर्च इस पर ही चल रहा है।इसलिए मीटिंग में कोई फ़ैसला नहीं हो सका था।
कपड़ा व्यापारी जगदीश कोठारी ने बताया कि बीते कई समय से व्यापार बंद होने के कारण व्यापारी परेशान हो गए है। इसलिए वह कुछ महीनों तक किराया माफ़ी चाहते है। इसके लिए वह हस्ताक्षर अभियान चला रहे है।
कपड़ा व्यापारियों को ऑनलाइन ठगने का नया ढंग!
यदि आपकी किसी पार्टी ने आपको कुरियर के माध्यम से चैक या कुछ डोक्यूमेंट आदि भेजा है जो कि आप को नहीं मिला और आप उसके लिए कुरियर कंपनी का संपर्क करना चाह रहे हैं तो एक बार आप को ध्यान से काम करना होगा। क्योंकि कपड़ा बाज़ार में इन दिनों ऑनलाइन चीटिंग करने वालों को नया आइडिया हाथ लग गया है।
ठग कंपनी के नम्बर पर फोन करने वाले ग्राहकों को पुरानी अटकी पड़ी डाक पहुंचाने की एवज में ऑनलाइन बैंक डिटेल्स मांगते हैं और बाद में उनके खाते से पैसे निकाल लेते हैं।
कपड़ा बाज़ार में बीते दिनों कई व्यापारी इसके शिकार बन चुके हैं। लॉकडाउन के बाद चीटिंग का यह कारोबार धड़ल्ले से चल निकला है। चीटिंग के बाद व्यापारियों में अज्ञात लोगों के खिलाफ पुलिस शिकायत की गई है।
सूरत के कपड़ा बाजार से रोजाना देश के हर राज्यों के लिए बड़े पैमाने पर कुरियर नीजि कंपनियों के माध्यम से और डाक से भेजी जाती है। लॉकडाउन घोषित होने से पहले की डाक बड़ी संख्या में रास्ते में ही अटक गई है।
देशभर में 73 दिनों तक लॉकडाउन होने के कारण व्यापार धंधा बंद होने तथा रेलवे और यातायात बंद होने से कुरियर भी नहीं पहुँचे। व्यापारी डाक की जांच-पड़ताल के लिए लोग ऑनलाइन या कई हैल्पलाइन पर सम्पर्क नम्बर सर्च करते हैं और फिर यहीं पर वे जाने-अनजाने ठगों के सम्पर्क में आ जाते हैं।
यहीं से उन्हें ग़लत जानकारी मिलने लगती है। व्यापारी किसी बड़ी कंपनी का नाम सर्च करे तो उस पर जो संपर्क नंबर मिलते हैं वह भी कई बार भ्रामक होते है। यहाँ से व्यापारी गुमराह होना शुरू हो जाता है। बताए गए फ़ोन नंबर पर फ़ोन करने के बाद कई चीटिंग की घटना सामने आई है।
बताया जाता है कि ऑनलाइन चीटिंग करने वाले बदमाश तत्व ऐसी कंपनियों के कुछ लोगों के साथ मिलीभगत रखते हैं जो उन्हें दर्ज कंपनी के नाम पर लोगों से ठगी का मौका देते हैं। लॉकडाउन से पहले की पुरानी डाक की इन्क्वायरी का मामला ध्यान में आने से ठगों ने इसे ऑनलाइन का नया फंडा बनाने का तय कर इसकी शुरुआत की है।
अपनी पुरानी डाक का पता लगाने के लिए रिंकु शराफ नाम के एक व्यापारी में एक मोबाइल नंबर बतानेवाली हेल्पलाइन से जानकारी लेकर फोन लगाया । ठग ने फोन उठाया और बताया कि पुरानी डाक तत्काल पहुंचा दी जाएगी, लेकिन उसके लिए ऑनलाइन एक रुपया जमा कराना होगा। उसकी वजह में ठग ने बताया कि पुरानी डाक है न, इसलिए यह जरूरी है और फिर वो एक लिंक भेजता है, जिस पर ऑनलाइन केवल पाँच रुपया भेजने की मांग करता है। इसके बाद लिंक मे जानकारी देने पर व्यापारी के खाते से पैसे पार हो गए।