सुनकर आपको भी आश्चर्य होगा,लेकिन यह सच है क्योंकि जहां कोरोना के केस लगातार बढ़ रहे हैं। वही पीपीई किट की डिमांड कम हो गई है। पहले शहर के पीपीई किट उत्पादक प्रतिदिन 1000 तक किट बनाते थे लेकिन, इन दिनों पीपीई किट का उत्पादन घटकर 500 तक पहुंच गया है।
सूरत के कपड़ा व्यापारी किसी भी चुनौती को अवसर में बदलने के लिए माहिर हैं। बीते दिनों जब कोरोना के कारण साड़ी और ड्रेस मटेरियल का व्यापार घट गया था तब सूरत के कपड़ा व्यापारियों ने पीपीई किट का उत्पादन शुरू करके इस चुनौती को अवसर में परिवर्तित कर दिया था। उस समय इसकी अच्छी डिमांड थी और कपड़ा उद्यमियों ने बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू किया था लेकिन, जब कोरोना की संख्या लगातार बढ़ रही है। तब पीपीई किट का उत्पादन कम करने की नौबत आई है।
कपड़ा उद्यमियों का कहना है कि इन दिनों बाजार में पीपीट की डिमांड घर जाने के कारण उन्होंने उत्पादन घटाया है। शहर के एक उद्योगपति ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि पीपीई किट के लाइसेंस के लिए कोयंबटूर जाना पड़ता है और वही इसकी प्रक्रिया करनी पड़ती है। इसके अलावा विदेशों में एक्सपोर्ट करने की प्रक्रिया भी बहुत जटिल होने के कारण उद्यमी परेशान हो गए हैं।
इन दिनों स्थानिक बाजार में भी पीपीई किट की मांग कम हो गई है। इन तमाम कारणों से पीपीई किट का उत्पादन घटाकर 50% कर दिया गया है। जहां एक और पीपीई किट की डिमांड कम हुई है वहीं दूसरी ओर नाइट्रेक्स ग्ल्ब्स यानी कि मेडिकल क्षेत्र में इस्तेमाल किए जाने वाले की डिमांड बढ़ रही है।
इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने चेंबर ऑफ कॉमर्स को दक्षिण गुजरात में जो निर्माता इस ग्रुप का उत्पादन करते हैं उनकी जानकारी कट्ठा करने की को कहा है।