कोरोना के कारण लॉकडाउन में गाँव गए श्रमिकों की अब उद्यमियों को ज़रूरत महसूस होने लगी है। अनलॉक के दौरान अब कपड़ा उद्योग और हीरा उद्योग खुल गए है लेकिन श्रमिकों की कमी के कारण अभी तक उद्योग की गाड़ी पटरी पर नहीं चढ़ पाई।
यदि श्रमिक नहीं लौटे तो कारख़ाने फिर से बंद हो जाएँगे। ऐसे में उद्यमी श्रमिकों को लेने यूपी गए हैं, लेकिन इन दिनों गाँवों में केन्द्र सरकार की मनरेगा योजना के साथ अच्छी बारिश होने के कारण श्रमिक आगामी तीन महीनों तक सूरत लौटे ऐसी संभावना कम है। इसके चलते उद्योगों की राह कठिन होते नज़र आ रही है।
मिली जानकारी के अनुसार कोरोना के कारण लॉकडाउन के दिनों में सूरत के कपड़ा और अन्य उद्योगों में काम करने वाले १० लाख से अधिक श्रमिक पैदल, सायकिल, टु व्हीलर या ट्रेन आदि के माध्यम से अपने गाँव लौट गए है।
अब कारख़ाने खुलने लगे है। तब श्रमिकों की कमी के कारण कपड़ा मिल मालिकों को उत्पादन क़ीमत ज़्यादा पड़ रही है। फ़िलहाल सिर्फ़ ३० प्रतिशत श्रमिक ही काम पर आ रहे है। ऐसे में ज़्यादा दिनों तक इस तरह काम नहीं चल सकता। अब मिल मालिक श्रमिकों को फ़ोन कर बुला रहे है। कुछ मिल मालिक तो यूपी पहुँच गए है और अलग-अलग ज़िले से श्रमिकों को बुला रहे है।
इसके बावजूद श्रमिक जल्दी आने को तैयार नहीं है बताया जा रहा है कि यूपी, बिहार, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में अच्छी बारिश होने के कारण श्रमिक अपने खेतों मे या दूसरे के खेतों में खेतीबाड़ी करने लगे है। ऐसे में वह अब तीन महीने बाद ही आने की बात कर रहे है। ऐसा हुआ तो कपड़ा उद्योग के लिए समस्या बढ जाएगी।
उल्लेखनीय है कि कपड़ा उद्यमियों की संस्था फोगवा तथा फैडरेशन ऑफ गुजरात विवर्स वेल्फेर एसोसिएशन ने श्रमिकों को के लिए नि:शुल्क ट्रेन दौड़ाने की माँग की है।