हीरा उद्योग के लिए लॉकडाउन के बाद कांटों भरी डगर!

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सूरत
लॉकडाउन ने सूरत के दोनों मुख्य उद्योग कपडा और हीरा उद्योग की कमर तोड़ दी है। कोरोना के कारण जारी लॉकडाउन यदि एक-दो महीने बाद समाप्त भी हो जाए तब भी हीरा उधोग के लिए आगे का सफ़र तय कर पाना मुश्किल होगा। आशंका है कि बड़ी संख्या में छोटे हीरा उद्यमियों का व्यापार बदलना पड़ सकता है।

मिली जानकारी के अनुसार सूरत का हीरा उद्योग मुख्य तौर पर निर्यात पर आधारित है।अमेरिका, यूरोप , हांगकांग, दुबई सहित अन्य देशों मे होनेवाले निर्यात पर हीरा उद्योग ज़्यादातर आधारित है। कोरोना के कारण दुनिया के कई देशों में लॉकडाउन की परिस्थिति है। ऐसे में हीरो की डिमांड बहुत कम हो चुकी है। कुछ देशों से थोड़ी बहुत डिमांड है लेकिन वह नाकाफी है। सूरत समेत देशभर मे लॉकडाउन के कारण कारख़ाने बंद होने से यहाँ माल का उत्पादन नही हो रहा।

इसलिए माल भेज पाना भी मुश्किल हो रहा है। दूसरी ओर कई हीरा उद्यमियों में विदेश में बेचे माल के रूपए भी अभी तक नहीं मिले और तब मिलेगा यह तय नही है। बड़े हीरा उधमी तो जैसे तैसे पूँजी की व्यवस्था कर लेंगे लेकिन छोटे हीरा उधमियों के लिए बड़ी मुसीबत होगी। छोटे और मध्यम वर्गीय हीरा उद्यमियों के लिए अस्तित्व बचा पाना मुश्किल है।

हीरा उधमी निलेश बोडकी ने बताया कि हीरा उधोग के बाद लॉकडाउन खुलते ही सबसे बड़ी समस्या हीरा श्रमिकों की हो सकती है। क्योंकि सूरत से गए हीरा श्रमिक कम से कम 45 दिन के बाद ही वापिस आ सकते हैं।इसके अलावा आगामी दिनों में बारिश का मौसम होने से खेती में जुट जाएंगे। तब पर सूरत आने से रहे है। इसलिए सबसे बड़ी समस्या हीरा श्रमिकों की आ सकती है। दूसरी बात करें तो सरकार का कहना है कि व्यापार सोशल डिस्टैंस से साथ आगामी दिनों में व्यापार खुल सकता है। लेकिन सूरत में हीरा उद्यमियों के पास इतने जगह नही है कि वह सोशल डिस्टैंस का पालन करवा सकें।

इसलिए आने वाले दिनों में इसकी समस्या भी हो सकती है।सबसे बड़ी बात तो यह है सूरत के छोटे और मध्यम हीरा कारोबारी हीरे तैयार कर मुबई के मार्केट में बेचते हैं। जब तक मुंबई का बाज़ार नहीं खुलेगा तब तक पूरा हीरा उधमियों के लिए मुसीबत हैं। छोटे और मध्यम वर्गीय हीरा उद्यमियों के लिए समस्या गंभीर हो सकती है। एक ओर उन उनके पास व्यापार शुरू करने के लिए पूंजी का अभाव है और दूसरी ओर पेमेंट नहीं मिलने से वह आगे का व्यापार एक तरह चला पाएंगे। यह चिंताजनक बात है।यदि केंद्र सरकार छोटे और मध्यम हीरा उद्यमियों के लिए बैंक ऋण आदि की व्यवस्था करती है तो हीरा उद्यमियों को थोड़ी राहत मिल सकेगी।